बठिंडा(प्रैसवार्ता) भाषा के नाम पर लोगों को आपस में तोडऩा नहीं चाहिए, बल्कि जोडऩा चाहिए। परन्तु कुछ लोग जनता को भाषा के नाम पर लड़ा रहे हैं। यह बात पंजाब के राज्यपाल शिवराज पाटिल ने राजिंद्र कालेज में लगाए चार दिवसीय अरोग्य मेले के तीसरे दिन आयोजित समारोह में कही। उन्होंने कहा कि हमारे देश के प्रांतों की अलग-अलग परंपराएं हैं, जिनका अपना-अपना महत्व है। हमें सभी का सम्मान करना चाहिए। इससे एकता बढ़ाने में सहायता मिलती है। उन्होंने कहा हमारी संस्कृति व पद्धति के अनुसार आयुर्वेदिक चिकित्सा का अपना महत्व है। हमें दूसरी चिकित्सा प्रणालियों का विरोध नहीं करना चाहिए। पाटिल ने कहा कि केंद्र सरकार ने ऐसे मेले लगाने के लिए नीति बनाई व धन का प्रबंध भी किया है। परन्तु सभी प्रांत इसका लाभ नहीं उठा रहे। पंजाब बधाई का पात्र है, जो इस योजना का लाभ ले सका। उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञान व संस्कृति हमारे देश में हजारों वर्षों से हैं। राज्यपाल ने कहा कि हमारी पुरानी पद्धति को नए ढंग से पेश करने की जरूरत है। ताकि प्रत्येक व्यक्ति इसे समझ सके। इससे पहले पंतजलि योग समिति हरिद्वार के वैद्यराज आचार्य बाल कृष्ण जी ने बताया कि आधुनिक व आपात स्थिति में एलोपैथी का अपना महत्व है। हमारे ऋषि-मुनियों ने पीपल, तुलसी व अन्य पौधों को धार्मिक परंपरा से इसलिए, जोड़ा था ताकि वह नष्ट ना हों क्योंकि उन पौधों से हमें जीवन रक्षक दवाईयां मिलती हैं। व्रत स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, इसे भी धार्मिक रीति से जोड़ा गया। स्वामी रामदेव ने योग का प्रचार घर-घर पहुंचा कर करोड़ों लोगों को स्वास्थ्य लाभ दिया है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा हमें अपने चरित्र व इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए। हमने कीटनाशक औषधियों व रासायनिक खादों का प्रयोग कर धरती को जहरीला बना दिया, इसे बचाने की जरूरत है। पंजाब की स्वास्थ्य मंत्री लक्ष्मी कांता चावला ने कहा कि राज्य में यह तीसरा अरोग्य मेला है। चौथा मेला अक्टूबर में होगा।
Monday, February 15, 2010
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