सूचना का अधिकार भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सशक्त हथियार बन कर सामनें आया है, लेकिन दूर-दराज के गावों में आज भी ग्रामीण इस अधिकार से वंचित हैं। उनकी सोच में अधिकारी उनकी सूचनाओं को देने के लिए बाध्य नहीं है। ऐसा नहीं है सूचना के इस अधिकार ने आम आदमी को संसद विधायिका के बराबर का अधिकार दे दिया है। यदि आपने कोई शिकायत की है और उस पर क्या कार्यवायी हुई ? इसे जानने के लिए सूचना के अधिकार 2005 के तहत सूचना मांगी जा सकती है। सूचना प्राप्त करनें हेतु, सूचना चाहने वाले को निर्धारित शुल्क रुपये 10 ट्रेजरी चालान, पोस्टल आर्डर अथवा बैक ड्राफ्ट के साथ जन सूचना अधिकारी को आवेदन करना होता है, बी0पी0एल0 कार्ड धारक को केवल कार्ड की फोटोस्टेट प्रति लगानी होती है। आवेदक द्वारा मांगी गयी सूचना 30 दिन के अन्दर उपलब्ध कराना आवश्यक है। साथ ही आवेदक को यह भी बताने की आवश्यकता नहीं है कि उसे यह सूचना क्यों चाहिए। यदि आवेदक किसी ऐसे कार्यालय को सूचना का आवेदन देता है जहां वह सूचना उपलब्ध नहीं है तो वह कार्यालय भी उसका आवेदन-पत्र वापिस नहीं करेगा अपितु सही कार्यालय को आवेदक का आवेदन-पत्र प्रषित कर देगा। यदि विभाग का सूचना अधिकारी 30 दिन के भीतर सूचना उपलब्ध नहीं कराता है ता इसकी शिकायत मुख्य सूचना आयुक्त उ0प्र0 राज्य सूचना आयोग छटा तल, इंदिरा भवन लखनउ से की जा सकती है। निर्धारित समय सीमा के भीतर सूचना उपलब्ध न कराना सूचना के अधिकार 2005 के कानून के तहत अपराध माना गया है। जिसके लिए दोषी अधिकारी पर रुपये 250 प्रतिदिन के हिसाब से अधिकतम रुपये 25000 का जुर्माना भरना पड़ सकता है। यह जुर्माना दोषी अधिकारी को अपनी जेब से भरना होगा। -सत्यवीर सिंह (प्रैसवार्ता)
Monday, February 8, 2010
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