जयपुर(प्रैसवार्ता) हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर को छेड़छाड़ के मामले 19 साल बाद भले ही छह माह की सजा मिल गई हो, लेकिन राजस्थान में एक आदिवासी महिला का अपहरण व देहशोषण के आरोपित डीआईजी मधुकर टंडन को आज तक पुलिस नहीं खोज पाई है। यही नहीं सर्विस रिवाल्वर भी अभी तक टंडन के पास ही है। इस दौरान प्रदेश में तीन सरकारें बदल चुकी हैं, लेकिन पीडि़ता को न न्याय मिला और न ही मुआवजा। बलात्कार के आरोपित टंडन की ओर से धमकाए जाने के बाद पीडि़ता के पति को पुलिस की नौकरी तक छोडऩी पड़ी। हैरानी की बात तो यह है कि पुलिस की क्राइम ब्रांच ने फाइल ही बंद कर दी है। दौसा के बांदीकुई थाने में चार फरवरी 1997 को मधुकर टंडन के खिलाफ उनके मातहत सिपाही ने पत्नी का अपहरण कर देहशोषण का मामला दर्ज कराया था। थानाधिकारी तेजपाल सिंह के मुताबिक पुलिस ने पीडि़ता का मेडिकल मुआयना कराया व घटनास्थल से अपहरण में प्रयुक्त कार बरामद कर साक्ष्य जुटाए। इसके बाद राज्य सरकार ने टंडन को सेवा से बर्खास्त कर दिया। मामला दर्ज होने के समय नोएडा निवासी टंडन छुट्टी पर थे जो लौटकर नहीं आए। पुलिस की सक्रियता का आलम यह है कि जिस मधुकर टंडन की उसे तलाश है उसकी फोटो तक थाने में नहीं है। सबसे पहले जांच तत्कालीन डीएसपी लीलाधर को फिर एसपी रामेश्वर सिंह और सौरभ श्रीवास्तव को सौंपी गई। अंतत: जांच पुलिस की क्राइम ब्रांच को दे दी गई जिसके एएसपी बन्ने सिंह ने आरोपित का पता नहीं लगने पर इस प्रकरण में एफआर लगा दी और अदालत ने चार्जशीट पेश कर दी। अदालत ने टंडन को स्थाई वारंटी घोषित कर रखा है। सीआईडी सीबी के एसपी रोहित महाजन का कहना है कि बर्खास्त डीआईजी टंडन का प्रकरण पुराना हो गया है। आरोपित को गिरफ्तार करने के लिए अन्य एजेंसियों की मदद ली या नहीं, इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। क्राइम एडीजी केएल बैरवा का कहना है कि आरोपित को पकडऩे के प्रयास किए गए, लेकिन पता नहीं चलने पर क्राइम ब्रांच ने काफी पहले ही एफआर दे दी थी। उसके खिलाफ अदालत ने स्थाई वांरट जारी कर रखा है। पता चलते ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
Wednesday, December 30, 2009
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