यदि आपने किसी को बड़े प्रेम से दावत पर बुलाया है तो वही प्रेम आपकी व्यवस्था में भी झलकना चाहिए। इसलिए दावत पर बुलाते वक्त यह ध्यान रखें कि-भोजन आदि की सब मुनासिब व्यवस्था मेहमान के आने से पहले ही पूरी हो जानी चाहिए। केवल रोटी आदि गर्म-गर्म सेंकने जैसे कार्य ही शेष रह गए हों। घर के सब सदस्यों को जिससे अपेक्षा है कि वे दावत में शामिल हों पहले से ही ज्ञात होना चाहिए कि मेहमानों के आगमन से पूर्व वे लोग घर में उपस्थित हों। मेहमान का स्वागत इतना प्रेममयी होना चाहिए कि उन्हें लगे कि आपके घर में उनका हार्दिक स्वागत है। घर को विशेषकर कि स्वागत कक्ष एवं जिस-जिस स्थान पर मेहमान की बैठने की संभावना हो, उसे साफ-सुथरा रखें, हर चीज तरीके से रखी हो। बर्तन मेहमान के आगमन से पूर्व ही धुले-पुछे होने चाहिए। अगर परिस्थितिवश घर का कोई सदस्य जिसकी उपस्थिति अपेक्षित थी और वह नहीं आ पाता है तो मेहमानों को वाजिब कारणों से अवगत कराएं कि अपेक्षित सदस्य अनुपस्थित क्यों है? भोजन परोसने वक्त यह ध्यान रखें कि सबको खाना परास दिया गया हो भोजन खाते वक्त खाने में इतना न मशगूल हो जाएं कि यही भूल जाएं कि मेहमान की थाली में भोजन है भी या नहीं? खाना खाते वक्त यह ध्यान रखें कि मेहमानों को कोई व्यंजन चाहिए कि नहीं? परोसने से पहले हमेशा पूछ लें अन्यथा भोजन व्यर्थ जाता है। मेहमानों के आगमन पर टीवी आवश्य बंद कर दें। मेहमानों को आपने घर इसलिए बुलाया है कि दो परिवार संग बैठ सकें और कुछ अनौपचारिक गपशप कर सकें। इसलिए टीवी को तो बंद ही कर दें, हालांकि धीमी-धीमी मद्धिम संगीत की धुन माहौल को खुशनुमा बनाती है। अत: धीमी ध्वनी में संगीत उचित लगता है और बातचीत में भी बाधा नहीं आती है। लेकिन तेज ध्वनि का संगीत न केवल बातचीत को लगभग नगण्य कर देता है, बल्कि यह जरूरी भी नहीं कि हर सदस्य उससे आनन्दित हो। इसलिए यह विशेष ध्यान रखें कि संगीत की ध्वनि इतनी होनी चाहिए जो बातचीत में अवीरोध उत्पन्न न करें। यदि आपने अपने घर में किसी को बुलाया है, आमंत्रित किया है, इसलिए कोई ऐसी बात न करें, कोई ऐसा दुव्र्यहार न करें जिससे कि आपके मेहमान को कष्ट हो या वह दु:खी हो या वह अपमानित महसूस करे या फिर उसे शर्मिंदा होना पड़े। भेले ही आपके विचार मेल न खाते हों, लेकिन माहौल में व्याप्त खुशनुमा महक को बरकरार रखें और कोई अवांछनीय निन्दनीय बात न होने दें। जिस वक्त आप मेहमानों को बुला रहे हैं, उस वक्त कोशिश यही करें कि मेजबान उपस्थित हो। रात्रि में भोजन आदि एक निश्चित समय के भीतर समाप्त हो जाना चाहिए-जिससे कि किसी को असुविधा न हो। अगर देर रात तक का कार्यक्रम हो, तो आप अपने मेहमानों को पहले से ही अवगत करा दें कि कार्यक्रम देर रात तक चलेगा, जिससे आवश्यक प्रबंध कर के आएं और देर रात तक निश्चिंत होकर दावत का लुत्फ उठा सके। -मनमोहित (प्रैसवार्ता)
Friday, May 28, 2010
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