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Saturday, July 10, 2010

गांव मरहिया में सिर्फ लंबू जी....लंबू जी....

मरहिया(प्रैसवार्ता) पश्चिमी चंपारण के ग्राम मरहिया में भारी संख्या में लंबू जी हैं। लम्बे लोगों के ग्राम के रूप अपनी पहचान बना चुके पश्चिमी चंपारण के लौरिया प्रखंड के मरहिया ग्राम के ग्रामीणों की औसत लम्बाई 6 फुट 9 इंच है, जबकि इक्का-दुक्का 7 फुट भी पार कर चुका है। मरहिया ग्राम सम्राट चंद्र गुप्त मौर्य की जन्मस्थली भी है। नंदवंश के आखिरी राजा घनानंद की दासी मुर्रा का घर यही है। दासी मुर्रा ही चन्द्रगुप्त की मां थी। मुर्रा के घर का अवशेष यहां टीले के रूप में विद्यमान है। भारद्वाज गोत्र के कौशिक राजपूतों के इस ग्राम में अब भी सामान्य से अधिक लंबे लोगों की संख्या लगभग 450 है। ग्राम की जानकी देवी ने ''प्रैसवार्ता" को बताया कि उनके पूर्वज धु्रव नारायण सिंह बेतिया महाराज हिरेन्द्र किशोर के पिता के गनमैन थे। महाराजा हरेन्द्र की शादी के समय एक हाथी ने महारानी की पालकी पर हमला बोल दिया था, तो ध्रुव नारायण सिंह ने रक्षार्थ तलवार से हाथी की सूंड काट डाली, जिससे हाथी की मृत्यु हो गई। इससे प्रसन्न होकर महाराज हरेन्द्र ने मरहिया की जागीर ध्रुव नारायण सिंह को सौंप दी। तब से ये लंबे लोग यही के होकर रह गये। ग्राम के वैद्यनाथ के अनुसार नंदवंश के आखिरी राजा घनानंद की दासी मुर्रा के नाम पर इस ग्राम का नाम पहले मोर्या तथा बाद के अपभ्रंश नाम मरहिया पड़ गया, जिसका वर्णन चित्रसेन के इतिहास चाणक्य एवं चन्द्रगुप्त में मिलता है। मरहिया वृत्त के खाता संख्या 435 के अन्तर्गत ही नंदनगढ़ का किला आता है। बताया जाता है, कि 1950 में मरहिया ग्राम में एक कुएं की खुदाई में एक आदर्धावृत्ताकार सुरंग मिली थी, जो मुर्रा के घर की ओर से होती हुई नंदनगढ़ के किले की तरफ जाती है, जिसे ग्रामवासियों ने बन्द करा दी और उसे भर दिया। मरहिया ग्राम के बीच स्थित एक खंडहरनुमा टीले को मुर्रा का घर बताया जाता है।

संस्कृति के प्रचार पर 16 करोड़ रुपये खर्च-खंडेलवाल

नैनीताल(प्रैसवार्ता) हरियाणा के अपर मुख्य सचिव डाक्टर के.के. खंडेलवाल ने कहा है कि उत्तराखंड व हरियाणा समृद्धशाली संस्कृति के वाहन हैं। हरियाणा में भी उत्तराखंड की तर्ज पर राम लीला, मीरा प्रसंग और राधा प्रसंग का वर्णन है। इस वर्ष दोनों प्रांतों की संस्कृति के प्रचार-प्रसार और एक रुपता के प्रदर्शन के लिए दोनों प्रांतों की ओर से कलाकारों के दलों को इधर-उधर भेजा जायेगा तथा संस्कृति के संरक्षण के लिए भी मिलकर प्रयास किये जायेंगे। डा. खंडेलवाल के अनुसार हरियाणा में संस्कृति के प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है। उत्तर क्षेत्र संस्कृतिक केन्द्र से संबंध राज्य राज्यों की अपेक्षा हरियाणा में संस्कृति के संरक्षण और प्रसार पर 16 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं, जो अन्य राज्यों से कहीं ज्यादा है। हरियाणा ही एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां का इनसाईक्लो पीडिया बनाया गया है, जिससे प्रभावित होकर उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के अध्यक्ष और पंजाब के राज्यपाल ने अन्य राज्यों को भी इन्साईक्लोपीडिया तैयार करने को कहा है। डा. खंडेलवाल कहते हैं, कि इस वर्ष हरियाणा संस्कृति विकास के अन्तर्गत गुरू-शिष्य परम्परा को सार्थक करने समेत पांरपरिक गीत संगीत, नृत्य एवं वाद्य यंत्रों के संरक्षण की पहल करेगा, जिसका डाक्यूमेटेंशन विभिन्न स्थानों पर किया जाएगा।

स्कूली बच्चों की गांधीगिरी कामयाब

रतिया(प्रैसवार्ता) हरियाणा राज्य के जिला फतेहाबाद के उपमंडल रतिया के ग्राम लाधूवास स्थित मिडिल स्कूल के बच्चों ने गांधीगिरी दिखाते हुए शिक्षा मंत्री से अपनी मांग पूरी करवा ली है। ''प्रैसवार्ता" को मिली जानकारी अनुसार उपरोक्त स्कूल के करीब 90 छात्र पिछले चार वर्ष से शिक्षक नियुक्ति की मांग कर रहे थे, मगर कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। आखिर स्कूली छात्रों ने ग्राम पंचायत को साथ लेकर हरियाणा सिविल सचिवालय चंडीगढ़ की 6वीं मंजिल पर पहुंच कर शिक्षा मंत्री के कार्यालय के बाहर रैंप की साईड में बैठ गये, जो हर किसी गुजरने वाले को दिखाई दिये। ''प्रैसवार्ता" प्रतिनिधी ने जब लाईन लगाकर बच्चों से पूछा, तो उन्होंने रोकर अपनी दास्तान सुनाई कि उन्हें चार वर्ष से सरकार शिक्षक नहीं दे रही, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है। गांधीगिरी की चर्चा जब शिक्षा मंत्री को पहुंची, तो उन्होंने तुरन्त शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव को बुलाकर आदेश जारी कर दिया, कि स्कूली बच्चों की मांग तुरन्त पूरी की जाये। एक घंटे के भीतर ही शिक्षक नियुक्ति के आदेश पंचायत स्कूली बच्चों को दे दिये। इस प्रकार स्कूली छात्रों ने गांधीगिरी के जरिये वह सफलता हासिल कर ली, जो पंचायत पिछले चार वर्ष से नहीं कर पाई थी।

नर्सिंग रजिस्ट्रार की नियुक्ति विवादों में

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) हरियाणा नर्सिंग काऊंसिल रजिस्ट्रार की नियमों की अवहेलना करते हुए की गई नियुक्ति विवादों में गई है। करीब एक दशक उपरांत इस नियुक्ति के उजागर होने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कम्प मच गया है, क्योंकि रजिस्ट्रार के पद पर आसीन की गई तो शर्तें पूरी करती थी और ही योग्यता की कसौटी पर खरा उतरती थी। नियमानुसार 23 वर्ष का अनुभव रखने वाले भी रजिस्ट्रार पद के प्रत्याशी थे, मगर उन्हें दर किनार कर दिया गया। ''प्रैसवार्ता" को मिली जानकारी अनुसार हरियाणा नर्सिंग कौंसिल में रजिस्ट्रार पद के लिए बकायदा 1999 में विज्ञापन निकाला गया था। विज्ञापन में स्पष्ट किया गया था, कि जिस उम्मीदवार को अधिकतम शैक्षणिक और प्रशासनिक अनुभव होगा, उसे ही वरीयता दी जायेगी। इस पद के लिए साक्षात्कार 22 जनवरी 2000 को लिया गया, जिसके लिए दस महिलाओं ने आवेदन किया था। आवेदकों के पास नर्सिंग क्षेत्र में 5 वर्ष से लेकर 23 वर्ष तक का शैक्षणिक एवं प्रशासनिक अनुभव था। आवेदकों में एक रोहतक की सुमित्रा देवी भी थी, हालांकि उनके पास केवल सिस्टर टयूटर का ही अनुभव था, प्रशासनिक नहीं। बावजूद इसके सुमित्रा को इंटरव्यू में ऐप्लस ग्रेड देकर 1 अगस्त 2000 को रजिस्ट्रार पद पर नियुक्ति दे दी। नियुक्ति प्रकरण विवादों में आने पर सरकार ने जांच के आदेश दे दिये हैं। जांच सीनियर आई..एस अधिकारी एच.एस. मलिक विशेष सचिव, स्वास्थ्य विभाग, हरियाणा करेंगे। ''प्रैसवार्ताÓÓ को यह भी पता चला है, कि कौंसिल की उपाध्यक्ष कौशल्या हुड्डा रजिस्ट्रार सुमित्रा देवी के बीच पनपे विवाद उपरांत कौंसिल में चल रही अनियमिताओं का भंडाफोड़ हुआ है। उपाध्यक्ष के आरोप हैं, कि जून 2009 में एम.पी.डब्लयु (एफ) की परीक्षा में गड़बड़ी की गई है। 100 में से 23 अंक लेने वाली सोनिया को पास कर दिया गया है, जबकि पास के लिए 50 प्रतिशत अंक चाहिये। इसी प्रकार विद्या को पास की मार्कशीट दे दी गई, जबकि रिजल्ट रजिस्ट्रर में वह फेल है। केवल इतना ही जून 2009 की उत्तर पुस्तिका को भी बिना किसी अनुमति फाड़ दिया गया है। 6 जनवरी 2010 को .एन.एम जी.एन.एम की परीक्षा का इंचार्ज निदेशक का बनाया गया, क्योंकि रजिस्ट्रार ने, जो पेपर छपवाये थे, लीक हो गये थे। इस दौरान परीक्षा चार्ज रजिस्ट्रार से ले लिया गया-जिसके चलते कौंसिल को वित्तीय हानि उठानी पड़ी। मजेदार बात तो यह है कि कार्रवाई तो दूर रही, रजिस्ट्रार से स्पष्टीकरण तक भी नहीं मांगा गया। आरोप तो यह भी अध्यक्ष रजिस्ट्रार लाखों रुपयों के चैक पर स्वयं हस्ताक्षर कर देते हैं-जबकि कौंसिल बाडी के सामने यह मामला रखा जाना चाहिए। उपाध्यक्ष द्वारा रहस्योद्घाटन उपरांत रिकार्ड में तबदीली के काम में तेजी गई है। सत्यता तो जांच उपरांत ही सामने आयेगी, परन्तु हरियाणा नर्सिंग कौंसिल फिलहाल विवादों में है।

ऐतिहासिक चबूतरे पर होगी महापंचायत

महम(प्रैसवार्ता) हिन्दू मैरिज एक्ट में संशोधन की मांग को लेकर एक अगस्त को महम चौबीसी के ऐतिहासिक चबूतरे पर सर्वजात सर्वखाप पंचायत होगी, जिसकी सफलता के लिए खाप पंचायतें सक्रिय हो गई हैं। हिन्दू मैरिज एक्ट में संशोधन की मांग से लोगों को अवगत कराते हुए महम चौबीसी के ऐतिहासिक चबूतरे पर पहुंचने का निमंत्रण दिया जा रहा है। सर्वखाप के कानूनी प्रकोष्ठ के संयोजक शमशेर सिंह खरकड़ा के अनुसार एक गांव, एक गौत्र एवं सीम-सीमाली ग्रामों में विवाह को किसी भी मूल्य पर स्वीकार नहीं किया जायेगा। जो सांसद एवं विधायक उनकी मांग का समर्थन करेंगे, सर्वजातीय पंचायत उनका समर्थन करेगी, जबकि विरोध करने वालों का विरोध किया जायेगा। प्रथम अगस्त को होने वाली इस बैठक में हिन्दू मैरिज एक्ट में संशोधन की मांग को लेकर संघर्ष का बिगुल फूंका जायेगा।

सोचो जब ऐसा हो तो क्या हो...

झज्जर(प्रैसवार्ता) हिसार वन मंडल के एक अधिकारी की कथित मिली भगत कर एक यूजर एजेंसी (पैट्रोल पम्प) का पक्ष लेकर सरकार को लाखों रुपयों की क्षति पहुंचाने का मामला उजागर हुआ है। ''प्रैसवार्ता" को मिली जानकारी सूचना के अधिकार में मिले पत्रों से उजागर हुए पर्यावरण से जुड़े इस मामले में दो जिला वन अधिकारी और रेंजर की जांच को इस कदर ''इग्नोर" कर ''ओवर रूल्ड" किया कि भविष्य में जांच करने वाले अधिकारी को जानकारी हो जाये, कि इस प्रकरण से एक बड़े साहब भी संबंधित है, हालांकि यह मामला पर्यावरण न्यायालय कुरूक्षेत्र में विचाराधीन है। हिसार वन विभाग से संबंधित इस प्रकरण में कंजरवेटर वी के झांझडिया ने पैट्रोल पम्प चलाने वाली यूजर एजेंसी को लांभावित करने के लिए नियमों को ताक पर रखने का प्रयास किया। जिक्रयोग है, कि राष्ट्रीय राजमार्ग नं. दस पर ग्राम कुतुबपुर में वर्ष 2002 से एक पैट्रोल पम्प संचालित है, जिस पर इल्जाम है कि उनके द्वारा वन भूमि का अधिक प्रयोग किया जा रहा है और अपने रास्ते के लिए यहां किये गये पौधारोपण को नष्ट किया गया है। इस प्रकरण की जांच के लिए हिसार मंडल के तत्कालीन जिला वन अधिकारी शिव कुमार ने तीन बार मौके का मुआयना करके प्रकरण को सही ठहराते हुए रिपोर्ट की, कि यूजर एजेंसी (आई.वी.पी.सी.एल पैट्रोल पम्प) द्वारा अपने आने जाने के रास्ते के लिए 1221 वर्ग मीटर वन भूमि का पिछले कई वर्ष से भारत सरकार की बगैर स्वीकृति के प्रयोग किया जा रहा, है जोकि वन सरंक्षण अधिनियम 1980 की अवहेलना है। वन विभाग के रेंज व अन्य आला अधिकारियों ने जांच में पाया कि यहां कोई पेड बाधक नहीं है, लेकिन रिकार्ड में यहां 1999-2000 में 10 आर.के.एम पौधारोपण किया गया था, जिसके चलते यूजर एजेंसी को नोटिस जारी किया गया। परिमंडल के कंजरवेटर ने हिसार के जिला वन अधिकारी की इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए पुन: रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिये, जिस पर जिला वन अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट को दोहराते हुए इस अवहेलना के दोषी हांसी खंड के प्रभारी वन दरोगा सज्जन कुमार तथा बीट इंचार्ज वन रक्षक हुकमी राम के खिलाफ कार्यवाही अमल में लाने को कहा, मगर इसके उपरांत भी कंजरवेटर पैट्रोल पम्प पर इस कद्र मेहरबान रहे कि उन्होंने पंचकुला स्थित नोडल अधिकारी को भी यूजर एजेंसी पर पैनल्टी लगाकर स्वीकृति प्रदान करने की सिफारिश कर दी। कंजरवेटर ने पत्र में लिखा था कि उक्त साईट पर 287 वृक्ष नहीं खड़े थे, गलती से पेड़ खड़े होने की रिपोर्ट भेजी गई है। मौके पर पेड़ न होने के कारण मार्किंग लिस्ट नहीं बनाई गई है, यूजर एजेंसी ने बाधक पेड न होने के कारण उक्त साईट का चयन किया है। अतीत में दिखाये गये 287 पेड़ गलत थे और गलती से ही यूजन एजेंसी से फेलिंग चार्जिज लिये गये हैं। यहां तक कंजरवेटर ने उच्चाधिकारियों को गुमराह करते हुए लिखा कि पंप के आने-जाने वाले पर पेड़ हो ही नहीं सकते तथा यूजर एजेंसी 286 वर्ग मीटर भूमि इस्तेमाल कर रही है-जबकि वास्तव में 1221 वर्ग मीटर का प्रयोग किया जा रहा है, जिसकी नोडल अधिकारी ने स्वीकृति प्रदान कर दी। जिला वन अधिकारी हिसार के तबादले उपरांत नये जिला वन अधिकारी ने 286 वर्ग मीटर तथा 1.72 आर.के.एम. में खड़े पौधों के हिसाब से यह राशी 42900 रुपये निर्धारित की, जोकि सिर्फ पौधारोपण की थी। 23 नवम्बर को इस मामले में हिसार के जिला वन अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने कंजरवेटर को एक शुद्धि पत्र भेजा और साथ पैनल सी ऐ रिपोर्ट दी, जिसमें इस मामले में यूजर एजेंसी से जो राशी वसूलनी थी, कई गुणा ज्यादा थी। यह राशी पूर्व जिला वन अधिकारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर 1221 वर्ग मीटर और 7.35 आर.के.एम के हिसाब से तय की गई, जो करीब 6 लाख 94 हजार 630 रुपये बनती थी। इसमें दो और चार्जिज शामिल किये गये, जिन्हें पहली रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया था। तार फैसिंग के चार लाख 41 हजार रुपये, दस प्रतिशत सुपरवाईजरी चार्जिज 63148 रुपये शामिल करते हुए पैट्रोल पम्प के डिप्टी मनैजर को सूचित करते हुए और राशी जमा करवाने के लिए कहा गया, तो विभाग में हड़कम्प मच गया, क्योंकि एक अधिकारी महज 42900 रुपये बता रहे हैं और जिला अधिकारी 6 लाख 94 हजार 630 रुपये बता रहे हैं। फिलहाल इन दोनों में कौन सच बोल रहा है, यह निस्पक्ष जांच उपरांत ही पता चल सकेगा।

जिसे डंसने से मर जाता है-सांप

बलिया(प्रैसवार्ता) उत्तर प्रदेश राज्य के जनपद बलिया के ग्राम सिकंदरपुर निवासी एवं कृषक पढ़े लिखे पदम नाथ तिवाड़ी एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिसे डंसने उपरांत सांप की मृत्यु हो जाती है। पदमनाथ (52) को जवानी में नशे की आदत पड़ गई थी, कि वह बिना नशा किये रह नहीं सकता। संपन्न कृषक होने के कारण उसने महंगे से महंगे नशीले पदार्थों का सेवन करने के साथ-साथ अपनी नशाखोरी प्रवृत्ति को शांत करने के लिए अफीम, पोस्त के अतिरिक्त व धतूरे के बीज वह खाने लग गया। उन दिनों अफीम की खेती उसके क्षेत्र में होती थी, वहीं ही गाजीपुर रिफाईनरी है, जोकि अफीम से विभिन्न-विभिन्न दवाईयां तैयार करती है। पदमनाथ के अनुसार वह प्रतिदिन आधा किलोग्राम तक डोडे खाने के साथ-साथ चार बीड़ी बंडल पीना, 25 से 30 कप चाय लेता था। धीरे-धीरे जब उसमें नशे की मात्रा कम होने पर शरीर दर्द करने लगा, तो उसने स्वयं को सांपों से डंसवाना शुरू कर दिया, जिससे वह खूब आनन्द महसूस करता था। इस प्रकार उसके सारे शरीर में जहर भर गया और परिस्थितियां ऐसी बन गई, कि उसे डंसने वाला सांप स्वयं ही मर जाने लगा, जबकि पदमनाथ का कुछ नहीं बिगड़ता था। दो अलग-अलग घटनाओं में पदमनाथ को सांप और कुत्ते ने काटा और वह दोनों ही मर गये। सांप को काटने से पदमनाथ का शरीर सुन्न हो गया, जिससे उसे खूब आनन्द आया। नशा मुक्ति केन्द्र की डाक्टर शशी बाला ने ''प्रैसवार्ता" को बताया कि सांप से डसवाकर नशा करना कोई आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि कुछ समय पूर्व एक नशा मुक्ति केन्द्र के शिविर में उनके पास दो ऐसे सगे भाई आये थे, जिन्होंने स्वयं को डंसवाने के लिए सांप पाल रखे थे। डाक्टर शशी का मानना है कि 70 प्रतिशत लोग यौन संबंधों बारे अधूरी जानकारी होने के कारण नशे की शुरूआत करते हैं, परन्तु नशे का ज्यादा प्रयोग उन्हें नपुंसक बना देता है। पदमनाथ अब नशे छोड़कर ब्राह्मण होने के कारण पूजा-पाठ व धार्मिक ग्रन्थ बिना ऐनक के पढ़ता है। ग्राम और परिवारजन पदमनाथ के नशा छोडऩे से बहुत खुश हैं।

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