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Tuesday, March 23, 2010

दो लाख लोगों की होती है-हर वर्ष किडनी फेल

नई दिल्ली(प्रैसवार्ता) देश में हाई-ब्लड प्रैशर, मूत्र में प्रोटीन या खून जाना, क्रिएटिनाईन और ब्लड यूरिया, नाईट्रोज का स्तर सामान्य से अधिक और जी.एफ.आर 90 से कम होना, पेशाब में तकलीफ, आंखों के नीचे सूजन, हाथ-पैरों में सूजन, हाईपरटैंशन के शिकार ज्यादातर लोग किडनी डिसीज (सी.के.डी) का शिकार हो रहे हैं-ऐसे लोगों को किडनी की जांच करवा लेनी चाहिये। उपरोक्त बिमारियों के चलते, यदि धूम्रपान और दर्द निवारक दवाओं के आदी पचास वर्ष की आयु लांघते ही किडनी फेल जैसी बीमारी से प्रभावित होना साधारण बनता जाने लगा है। किडनी फेल रोग का उपचार महंगा होने के कारण करीब दो लाख लोग प्रतिवर्ष लोग इस रोग की चपेट में रहे हैं। दिल्ली के आसपास हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार 10 हजार लोग सी.के.डी से पीडि़त है। इस दृष्टि से देश में करीब 78 लाख से ज्यादा आबादी इस बीमारी से ग्रस्त मानी जा सकती है। सर्वेक्षण के मुताबिक 41 प्रतिशत डायबिटीज, 22 प्रतिशत हाईपरटैंशन, 16 प्रतिशत क्रानिक ग्लोमेरुने फ्राईटिसके शिकार लोगों की सी.के.डी का खतरा है। हाथ-पैरों या पीठ दर्द के लिए नियमित रूप से दर्द निवारक लेना भी सी.के.डी को निमंत्रण देता है।

एक से बढ़कर एक कारनामों में फंसता जा रहा है-अशोक श्योराण

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) हरियाणा पुलिस की एस.टी.एफ के प्रमुख अशोक श्योराण (अब निलंबित) के नित नये कारनामे सामने आ रहे हैं, मगर जांच को लेकर कई संदेह उत्पन्न हो रहे हैं। पानीपत पुलिस ने श्योराण का पांच दिन का पुलिस रिमांड अदालत से प्राप्त कर लिया है, मगर श्योराण का जांच में सहयोग न करना जांच दल के लिए एक कठिनाई बन रहा है। एस.एस.पी पानीपत राजेन्द्र सिंह गहलोत के अनुसार सत्यता सामने जरूर लाई जायेगी-भले ही नारको टैस्ट करवाना पड़े। ''प्रैसवार्ता" द्वारा प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार श्योराण के सरकार के विपक्ष के कई राजनेताओं तक की पहुंच जांच प्रभावित कर रही है। 16 नवम्बर 2008 को बादड़ा (भिवानी) क्षेत्र से 5 करोड़ रुपये की हैरोइन की बरामदी में आधा दर्जन लोगों पर शिकंजा कसने वाले श्योराण पर यह भी आरोप लग रहा है कि डसने हैरोइन की जगह यूरिया पावडर की प्रयोगशाला जांच करवाई, जिसके चलते सभी कथित अपराधी जमानत पर रिहा कर दिये। श्योराण का सर्विस रिवालवर का गुम होना और उससे पुलिस अधिकारी राजबीर की हत्या का होना भी विवादित हो गया है।

रोटी के साथ लहसुन की चटनी भी भारी

श्री गंगानगर(प्रैसवार्ता) सब्जी फलों की फुटकर कीमतों में आये अचानक उछाल ने जब सामान्य के होश उड़ा दिये हैं, वहीं खुदरा विक्रेताओं की मनमर्जी पर सरकार शिकंजा कसने में असफल दिखाई देती है। आलू जैसी सदाबार सब्जी का प्रयोग भी मुश्किल हो गया-वहीं अन्य सब्जियों के दाम सुनते ही कंपकंपी शुरू हो जाती थी। सब्जी विक्रेता पहले सब्जियों के दाम किलो में बताते थे, मगर एक पाव का भाव बताया जाता है। हरी सब्जियों के आसमान छू रहे दाम पर नजर दौड़ाने से लगता है कि सब्जी के स्थान पर चटनी से रोटी खाना भी मुश्किल हो गया, क्योंकि लहसुन 60 रुपये किलो बिक रही है। नमक-मिर्च में पानी डालकर रोटी खाना भी एक कठिनाई बनता जा रहा है, क्योंकि इनके दाम भी उछाला लिये हुए हैं। गंगानगर में सब्जियों की आवक कम होने के कारण बाहर से सब्जियों की आवक होती है, तो हाल में ही हुए माल भाड़े की बढ़ौत्तरी को इसका एक कारण माना जा रहा है।

घोड़ों के लिए विशेष पहचान रखता है-बेरी

झज्जर(प्रैसवार्ता) हरियाणा राज्य के जिला झज्जर के कस्बे बेरी में, जहां मां भीमेश्वरी देवी के दर लाखो श्रद्धालु माथा टेकने पहुंचे रहे हैं, वहीं उत्तरी भारत में घोड़ों खच्चरों के मेले में भी भारी भीड़ जुट रही है। सोमवार से शुरू हुए इस मेले में पहुंचे कई घोड़ों ने तो लग्जरी गाडिय़ों को भी पिछाड़ दिया है और 25 लाख रुपये तक घोड़े की कीमत लगाई जा रही है। ''प्रैसवार्ता" को मिली जानकारी अनुसार कस्बा बेरी में चैत्र माह में खच्चरों तथा घोड़ों का मेला लगता है-जिसमें दूर-दूर से खच्चर घोड़े बिक्री के लिए जाये जाते हैं। मेले में विशेष आकर्षण का केन्द्र बने कई घोड़ों की कीमत 3 लाख रुपये से 25 लाख रुपये मांगी जा रही है। वैसे आम नसल के घोड़े-घोड़ी 70 से 80 हजार के बीच बिक रहे हैं। मेले में हरियाणा के अतिरिक्त, पंजाब, दिल्ली, यू.पी., राजस्थान इत्यादि के अश्व व्यापारी खरीदो-फरोक्त कर रहे हैं।

महापाठ के रूप में मिलेगा हनुमंतलाल का आर्शीवाद

उज्जैन(प्रैसवार्ता) भारतीय संस्कृति के इतिहास में अनूठा द्वितीय अनुष्ठान रामनवमी के दिन पूरा होने जा रहा है। करोड़ों हनुमान भक्त रामनवमी के दिन, एक ही समय पर श्रीहनुमानचालीसा का महापाठ करेंगे। यह आयोजन सांय 7 से 8 के मध्य देश तथा विदेशों में एक साथ होगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश गोयल ने बताया कि जीवन प्रबंधन समूह और महापाठ आयोजन समिति के तत्वावधान तथा प्रसिद्ध जीवन प्रबंधन गुरु पं. विजयशंकर मेहता की प्रेरणा से होने जा रहे महाआयोजन की तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। मुख्य कार्यक्रम छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित होगा। जहां पं. विजयशंकर मेहता उपस्थित रहेंगे। आस्था, संस्कार, बीटीवी तथा जी 36 घंटे पर कार्यक्रम का सीधा प्रसारण सांय 7 से 8 बजे होगा। साथ ही स्थानीय चैनलों पर समयानुसार प्रसारण होगा। यह आयोजन लोगों के जीवन में नई दृष्टि देगा। सफलता अर्जित करने वाले युग में सुख के साथ शांति कहां से मिले इसका समाधान हनुमानजी के चरित्र में और हनुमानचालीसा की पंक्तियों में है। देश-विदेश के कई स्थानों पर यह कार्यक्रम सीडी के माध्यम से भी संपन्न होगा। एक घंटे की सीडी के प्रदर्शन में आरंभ में साढ़े सात मिनट की विशेष धुन पर पाठ किया जाएगा। आरंभ में पाठ के पश्चात कार्यक्रम के प्रेरणा स्त्रोत पं. विजयशंकर मेहता का 40 मिनट की अवधि का व्याख्यान होगा। जिसमें हनुमानचालीसा और ध्यान (मेडिटेशन) पर प्रकाश डाला जाएगा। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष भी महापाठ के इस आयोजन को दुनियाभर में सफलता मिली थी तथा 5 करोड़ से अधिक लोगों ने इसमें शामिल होकर आहूति दी थी।

Tuesday, March 9, 2010

महिला सरपंच ने बनाया-नशा मुक्त ग्राम

सिरसा(प्रैसवार्ता) महिलाएं भी पुरूषों से कम नहीं है और महिलाएं भी वह करके दिखा सकती हैं, जिसे शायद पुरूष न कर सके। ऐसी एक मिसाल पेश की है, कि जिला सिरसा के ग्राम छतरियां की सरपंच सुलोचना देवी वर्ष 2005-06 में सरपंच बनने के समय ग्राम में शराब बिना किसी रोक-टोक के बिकती थी और एक दिन महिला सरपंच ने बस अड्डे पर शराब की दुकान पर छोटे-छोटे बच्चों को शराब सेवन करते देखा, तो उसी क्षण उसने ठान लिया कि नशों से युवा वर्ग का भविष्य खतरे में पड़ सकता है, इसलिए ग्राम को नशा मुक्त बनाना है। इसी के साथ नशा मुक्त् िके खिलाफ सुलोचना देवी ने एक अभियान छेड़ दिया, जिसमें वह पूर्णतया कामयाब हुई है। पिछले दो वर्ष से शराब की बिक्री ग्राम छतरियां में बंद है और पंचायत तथा ग्रामीणों के सहयोग से पूरे ग्राम में शराब बेचने तथा सेवन करता पकड़े जाने पर ग्यारह हजार रुपये का दंड निर्धारित किया है-जिसका पालन करते हुए ग्राम वासियों ने एक भी व्यक्ति को दंडित की नौबत न आने का अवसर देकर नशा मुक्त ग्राम की स्वीकृति देकर एक अनूठी मिसाल कायम की है।

शादी के 14 वर्ष उपरांत भी नहीं देख पाई ग्राम

भोपाल(प्रैसवार्ता) विश्व में महिलाएं भले ही विभिन्न-विभिन्न क्षेत्रों में ऊंची उड़ान भर कर अपनी विशेष पहचान बना चुकी हैं, परन्तु ऐसी महिलाओं की भी भारत में कमी नहीं है-जो सिर्फ घर के चुल्हे-चौके तक सिमट कर रह गई हैं। मध्यप्रदेश के भोपाल जिले के गैरत गंज तहसील के राम खेड़ी की सरजू, एक ऐसी महिला है, जिसकी शादी 14 वर्ष पूर्व हुई थी और वह तीन बच्चों की मां है, ने अपनी यह आयु चुल्हे-चौके और मकान की चार दीवारी के अन्दर ही बिता दी है। पुरूषों से तो दूर स्त्रियों से भी खुलकर बात करने वाली सरजू सदैव घूंघट मेें रहती है-भले ही घर में कोई पुरूष हो। शिक्षा क्षेत्र में अनपढ़ रही सरजू की तरह इस ग्राम ऐसी कई ओर भी महिलाएं हैं। देश-दुनिया से बेखबर सरजू जैसी महिलाओं की स्वतंत्रता और अधिकार के लिए महिला आरक्षण बिल क्या सहयोग देगा, यह तो महिला आरक्षण बिल पास और लागू होने उपरांत ही पता चल पायेगा।

पुलिस बेपरवाह-लोग लापरवाह

सिरसा(प्रैसवार्ता) हरियाणा राज्य के अंतिम छोर पर बसा तथा पंजाब-हरियाणा की सीमा से जुड़ा जिला सिरसा अपराधी वर्ग के लिए किसी आरामदेही से कम नहीं है-क्योंकि अपराधी अपराध करके दूसरे राज्यों में चले जाते हैं। इससे पुलिस की बेपरवाही कहा जाये या फिर लोगों की लापरवाही। जिला मैजिस्ट्रेट का आदेश है, कि किरायेदारों की जानकारी संबंधित पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई जानी जरूरी है, मगर सिरसा जिला में जिला मैजिस्ट्रेट का यह आदेश ठंडे बस्ते में है। जिला भर में गत वर्ष कितने मकान-दुकान मालिकों ने किरायेदारा बनाये, इसकी गिनती तो सैकड़ों में है, पुलिसिया रिकार्ड लगभग शून्य है। पुलिस एक्ट के मुताबिक किरायेदारों की सूचना देने वाले मालिकों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज करने में पुलिस सक्षम है, परन्तु अभी तक जिला सिरसा में एक भी मुकद्दमा दर्ज होना पुलिसिया तंत्र पर प्रश्र चिन्ह अंकित करता है।

कठिन हो गया-दसवीं पास करना

जयपुर(प्रैसवार्ता) राजस्थान राज्य के जिला अलवर के 76 वर्षीय श्योराम उर्फ पप्पू का दसवीं परीक्षा पास करना एक मुसीबत बना हुआ है। श्योराम 41वीं बार राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं की परीक्षा दे रहे हैं-जबकि ढलती उम्र में भले ही आंखें और शरीर साथ नहीं दे रहा, मगर बुलन्द हौंसला लिए श्योराम ''लगे रहो, मुन्ना भाई" की तर्ज पर दसवीं पास कर ली जाये। अलवर जनपद के बहरोड उपखंड के ग्राम खोहरी निवासी श्योराम की शादी की बात, जब जवानी के दिनों में चली थी तब ग्राम वालों ने कह दिया कि वह दसवीं पास नहीं और इससे शादी करेगा कौन? भले ही शादी के लिए दसवीं पास होना अनिवार्य नहीं था, मगर गांव वालों के ताहने से श्योराम ने जिद पकड़ ली थी, कि दसवीं पास करके ही शादी करवायेगा। अन्यथा कुंवारे ही संसार से विदा ले लेंगे। श्योराम ने ''प्रैसवार्ता" को बताया कि दसवीं पास करके ही शादी करूंगा और मरते दम तक दसवीं पास करने का प्रयत्न करता रहूंगा। ग्राम खोहरी में उन बच्चों के साथ बैठकर श्योराम परीक्षा देता है, जिनकी कई पीढिय़ां श्योराम के साथ परीक्षा दे चुकी हैं।

सेक्स नगरी बनता जा रहा है-नोएडा

नोएडा(प्रैसवार्ता) सेक्स रैकेट माफिया के लिए सुरक्षित स्थान बन रहे नोएडा में देह व्यापार का कारोबार तेजी पकड़ रहा है। विदेशी स्टाईल में खेले जाने वाले ''की-थ्रो" गेम की शुरुआत का श्रेय भी नोएडा को प्राप्त है। नामी-गिरामी देह व्यापार के सरगना कैवजजीत, सोनू पंजाबिन, रीतिका ठाकुर, पंकज धीर और बाबा चोटीवाला को नोएडा पुलिस गिरफ्तार भी कर चुकी है। दिल्ली पुलिस के सख्त रवैये ने सेक्स रैकेट माफिया का रूझान नोएडा की तरफ मोड़ दिया है। शिवेन्द्र बाबा की गिरफ्तारी से दिल्ली पुलिस को एक दर्जन से ज्यादा ऐसे ठिकानों की जानकारी मिली है-जो नोएडा से संबंधित है, जहां विदेशी लड़कियों का रैकेट भी चलता है। ''प्रैसवार्ता" को मिली जानकारी अनुसार नोएडा के कुछ सैक्टरों में चल रहे ब्यूटी पार्लर कोड वर्ड से इस धंधे को चला रहे हैं। रंगीन मिजाज लोग ब्यूटी पार्लर में कोड वर्ड बताकर अपनी मन पसंद लड़की का चयन कर सकते हैं। नोएडा के ही सैक्टर 15 ऐ से टोल पुल, सैक्टर 37 से रैस्ट हाऊस, सैक्टर 62 से खोड़ा रोड, कालिंदी कुंज मार्ग, एक्सप्रैस वे पर भी जिस्मफरोशी धंधे के सौदागर मिल जाते हैं, मगर उन्हेें भी कोड वर्ड या किसी विशेष संकेत का सहारा लेना पड़ता है।
क्या है 'की-गेम खेल': पश्चिमी सभ्यता की तर्ज पर नोएडा के कनॉट सैक्टर-18 में 'की-थ्रो' गेम खेला जाता था। जिस बार में यह गेम चलता था, उसका लाईसैंस निरस्त तथा गेम भी बन्द किया जा चुका है। इस गेम के तहत जोड़े में मर्द अपनी अपनी गाड़ी की चाबी को गोल टेबल पर रखकर घुमाते हैं तथा उसके बाद जिस व्यक्ति के पास, जो चाबी आती है, उस चाबी की मालकिन बेझिझक चाबी पाने वाले के साथ रात्रि में हम बिस्तर बनती है।

खेलों में महिलाएं भी पीछे नहीं-हरियाणा में

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) हरियाणा राज्य में खेल जगत में पुरूषों की समानता कर रही महिलाएं जिला, प्रान्त, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बना रही है। कबड्डी खेल में जिला कैथल के ग्राम डींग की पांच बहिनें, जहां अपना प्रतिभा का लोहा देश-विदेश तथा प्रदेश में मनवा चुकी हैं, वहीं भिवानी जिला के ग्राम बलाली की पांच बहिनों द्वारा कुश्ती खेल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान बनाना संकेत देता है, कि प्रदेश में पुरूषों के मुकाबले में महिला प्रतिभाओं की कमी नहीं है। बलाली ग्राम की गीता, बबीता और उनकी तीन बहिनें कुश्ती के विभिन्न भार वर्गों में देश का प्रतिनिधित्व कर कई पदक जीत चुकी हैं। महिलाओं के लिए मार्गदर्शक बनी यह बहिनें भले ही सरकारी प्रोत्साहन न मिलने पर रोष रखती है, मगर फिर भी गांव की मिट्टी से खेलकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक खेलने का गौरव हासिल कर चुकी है। ''प्रैसवार्ता " को मिली जानकारी मुताबिक हरियाणवी महिला कुश्ती खिलाड़ी गीता तथा बबीता भारत में होने वाले कामनवैल्थ गेम्स में देश की महिला कुश्ती टीम का प्रतिनिधित्व करेंगी।

क्या है-सरकारी कंटेट कोड

नई दिल्ली(प्रैसवार्ता) मनोरंजन चैनलों पर औरतों की गलत और अश£ील छवि, समाचार चैनलों पर अंधविश्वास, हिंसा, भय और सेक्स की अंतिरंजित प्रस्तुतीकरण पर रोक लगाने के लिए सरकार जारी किए कंटेंट कोड का कुछ प्रभाव दिखने लगा है। कंटेंट कोड के अनुसार टी.वी कार्यक्रमों में स्त्री देह शोषण, महिलाओं को यौन आवेगों से संचालित न करने, तंत्र-मंत्र वाले कार्यक्रमों में स्त्रियों को डायन या चुडैल न दिखाने, परिवार में स्त्री की दास भूमिका न दिखाने और न ही उनका महिमा मंडल करने, बाल विवाह, दहेज प्रथा, बहुपति प्रथा को बढ़ावा न देने, बेटों को तरजीह दिये जाने की कुरीतियों का महिमा मंडल न करने के निर्देश हैं। इसके अतिरिक्त हिंसा, अंधविश्वास बढ़ाने वाले कार्यक्रमों पर अंकुश लगाने तथा स्टिंग आप्रेशन पर शिकंजा कसने की योजना भी है। कंटेंट कोड में मनोरंजन कार्यक्रमों को तीन श्रेणियों में बांटते हुए अलग-अलग समय सारणी बनाई गई है-जिसके अन्र्तगत यू.ए और एस का प्रसारण प्रात: चार बजे से सांय 8 बजे तक, अभिभावकों की उपस्थिति में देखे जाने वाले कार्यक्रम यू.ए रात्रि 8 बजे से प्रात: चार बजे तथा व्यस्कों के लिए कार्यक्रम ''ऐÓÓ रात्रि ग्यारह बजे से प्रात: 4 बजे तक होगा। कंटैंट कोड का पालन करने के लिए सरकार ने चैनलों के भीतर ही तंत्र कायम करने के लिए कहा है और कार्यक्रमों की सार वस्तु पर नजर रखने के लिए कंटेंट आडिटर नियुक्त करने की सलाह दी है। कोड कंटेंट के उल्लंघन की स्थिति में दर्शक कंटेंट आडिटर और अन्य सक्षम प्राधिकार के समक्ष शिकायत दर्ज करवा सकता है। यदि इस पर कोई सुनवाई या समाधान नहीं होता-तो भारतीय प्रसारण नियामक प्राधिकार इसका समाधान करेगा।

वरना एक दुल्हन के लिये होंगे-दस दुल्हे

वर्ष 2001 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 102.7 करोड़ थी, जिसमें 53.1 करोड़ पुरूष तथा 49.6 करोड़ महिलाएं थी। कन्या भू्रण हत्या की बढ़ती कुप्रथा ने पिछले एक दशक में इस समस्या को इतना जटिल और भयावह बना दिया है, कि कुंवारे पुरूषों की बढ़ती संख्या से समाज में अपहरण, बलात्कार, वैश्यावृत्ति, अनमोल विवाह, बहुपति प्रथा, आटे-साटे का विवाह, स्त्रियों के खरीद-फरोक्त सरीखे अपराध बढ़ेंगे, जिससे नारी की अस्मिता, गरिमा और सम्मान तीनों ही खतरें में पढ़ जायेंगे। नारी परविार, समाज व राष्ट्र की मूलाधार है, अत: उसे खतरे से बचाना युग धर्म का प्रतीक है। कन्या भू्रण हत्या को बढ़ावा देने वाला मुख्य कारण माता-पिता का पुत्र प्राप्ति है, जिसे वंश बढ़ाने का आधार माना जाता है। दूसरा कारण अल्ट्रा साऊंड मशीने हैं, जिसने लिंग निर्धारण की सस्ती तकनीक को जन्म दिया है। तीसरा कारण गर्भपात की दुकान चलाने वाले चिकित्सक न नर्सें तथा चौथा कारण सरकार तथा प्रशासन का आंखे मूंद कर बैठना है-जिसे जनसंख्या निरोध करने का बेहतर फार्मूला मान लिया गया है। पांचवा कारण वे सामाजिक, धार्मिक तथा शैक्षिक संस्थाएं हैं, जो मानव सभ्यता पर मंडरा रहे इस खतरे से बेफिक्र हैं। परिस्थितियां ऐसी बन गई हैं, कि एक दुल्हन के लिए दस दुल्हें होंगे और इसमें सामाजिक स्तर पर अनाचार और व्याभिचार का दौर शुरू होगा-जिससे बहिन-बेटी को बचाना मुश्किल हो जायेगा। जब संतान को जन्म देने वाली कोख ही नहीं रहेगी तो वंश बेल बढ़ाने वाले पुत्र रत्न कहां से पैदा होंगे? जरूरत है कि कन्या भ्रूण हत्या के तमाम पहलुओं से लोगों को जागरूक करने के लिए-जिसके लिए होनी चाहिए नुक्कड़ सभाएं, पंचायती सभाएं, स्कूल-कालेजों में सभाएं, निशुल्क साहित्य विवरण, समाचार पत्रों में लेख, रैली तथा सैमिनार, गोष्ठी इत्यादि के साथ-साथ अल्ट्रा साऊंड केन्द्रों व गर्भपात करने वाले चिकित्सकों व नर्सों पर शिकंजा कसना। सरकार को गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण तथा बच्चा पैदा होने तक निगरानी रखनी चाहिये। लिंग परीक्षण और अवैध गर्भपात के मामलों में सख्त कदम उठाने और अल्ट्रा साऊंड मशीन केन्द्रों में आने वाले आगन्तुकों का पंजीकरण और उसकी महिला पर न होकर परिवार का मुखिया पर निर्धारित हो और अपवाद स्वरूप यदि कोई महिला अपनी पहल पर गर्भपात करवाती है, तो परिवार का मुखिया गर्भपात से पूर्व जिला प्रशासन को सूचित करे।
-सुरेन्द्र कटारिया (प्रैसवार्ता)

क्यूं नहीं हो रही-कन्फैड घोटाले की जांच

सिरसा(प्रैसवार्ता) भ्रष्ट अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर शिकंजा कसने वाला राज्य का चौकसी विभाग कन्फैड घोटाले की जांच को लेकर विवादों में आ गया है। उल्लेखनीय है, कि वर्ष 2003 से लेकर 2007 तक गेहूं की धुलाई में हुए करोड़ों रुपयों के घपले उजागर होने से कन्फैड विभाग द्वारा जांच विजीलैंस को दिये जाने की घोषणा की थी, मगर जांच का विभागीय स्तर तथा विजीलैंस विभाग के ठंडे बस्ते में जाने से कई प्रश्र चिन्ह उत्पन्न हो गये हैं। कन्फैड सिरसा के अधिकारियों की मिलीभगत से ट्रैक्टर-ट्रालियों व स्कूटर पर गेहूं ढुलाई का भुगतान किया गया है-जबकि वाहन पंजीकरण प्राधिकार कृषि कार्यों के लिए प्रयोग होने वाले ट्रैक्टर-ट्रालियों को व्यावसायिक प्रयोग की अनुमति नहीं थी-जबकि ट्रैक्टर-ट्राली के व्यावसायिक प्रयोग के लिए बकायदा निर्धारित फीस अलग से देनी होती है। सिर्फ इतना ही नहीं, कन्फैड के सरकारी तंत्र द्वारा एक स्कूटर पर गेहूं ढुलाई के बिलों का भुगतान करके अनूठी मिसाल पेश की है। इस घपले की अखबारी चर्चा उपरांत कन्फैड के अधिकारियों ने विजीलैंस जांच के आदेश देने की बात कहकर चुप्पी साध ली थी, मगर वह जांच किस दिशा में चल रही है, किसके द्वारा की जा रही है, स्वयं में कई सवाल खड़े कर रही है।

औषधि चमत्कार-उपचार अधिनियम विज्ञापन प्रकाशित करने वालों पर कार्यवाही-जिला मैजिस्ट्रेट

कोटा(प्रैसवार्ता) जिला मैजिस्ट्रेट टी.रविकान्त ने औषधि-चमत्कार उपचार आक्षेपकीय विज्ञापन अधिनियम 1954 के प्रावधानों का उल्लंघन कर विज्ञापन छापने वाले समाचार पत्रों/पत्रिकाओं अन्य के विरूद्ध मुकद्दमा दर्ज कर कार्यवाही के निर्देश दिये हैं। पुलिस प्रमुख को प्रेषित पत्र में अधिनियम की धारा 3 5 के हवाले से कहा गया है, कि सेक्स संबंधी विज्ञापनों को अधिनियम में प्रतिबंधित किया गया है। इस प्रकार के विज्ञापन प्रथम बार प्रकाशित करने पर 6 मास की सजा एवं जुर्माना अथवा दोनों ही दंड से दंडित करने का प्रावधान है। यदि ऐसा विज्ञापन पुन: प्रकाशित किया जाता है, तो सजा दुगन्नी हो सकती है। जिला मैजिस्ट्रेट के अनुसार इस प्रकार का विज्ञापन प्रकाशित या प्रसारित करने को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिनमें पुलिस अधिकारी अपराध करने वाले को बगैर वारंट मुकद्दमा दर्ज करके गिरफ्तार कर सकते हैं। जिला मैजिस्ट्रेट ने चमत्कारित उपचार अधिनियम 1954 के प्रावधान का जिक्र करते हुए कहा है, कि इस अधिनियम का उद्देश्य लैंगिक कमजोरी को दूर करने तथा गर्भधारण गर्भपात जैसे मामलों में विज्ञापनों के माध्यम से चमत्कारिक इलाज से दिग्भ्रमित होकर लोगों को शोषण से बचाने के लिए सेक्स संबंधी विज्ञापनों को प्रतिबंधित करना है। किसी भी व्यक्ति द्वारा जादुई चमत्कारिक क्रिया कलाप जैसे तिलस्म, मंत्र, कबज द्वारा किसी मानव या पशु के उपचार का भरोसा दिलवाने वाला विज्ञापन प्रतिबंधित है। अधिनियम की धारा 3 में सैक्स संबंधित विज्ञापनों के प्रकाशन पर पूर्णरूपेण प्रतिबंध लगाया गया है। किसी भी व्यक्ति द्वारा महिला के गर्भपात को रोकने या गर्भधारण करने से संबंधित चमत्कारिक इलाज या दवाई, शारीरिक सुख के लिए सैक्स क्षमता को बनाये रखना या उसमें वृद्धि संबंधी इलाज या दवाई तथा महिलाओं के मासिक धर्म की समस्या का इलाज चमत्कारिक दवाई के माध्यम से, कैंसर, एडस, मोटापा कम या ज्यादा करने संबंधित विज्ञापनों को प्रतिबंधित विज्ञापनों की श्रेणी में माना गया है।

सूचना अधिकार के पुराने नियम निरस्त, नये नियमों की घोषणा

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) हरियाणा सरकार ने सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत वर्ष 2005 में बनाये गये नियमों को निरस्त करते हुए नये नियम बनाये हैं, जिनमें सूचना प्राप्त करने वाले व्यक्ति के लिए वसूली जाने वाली फीस तथा अपील करने की विधि का विस्तृत उल्लेख किया गया है। नयी नियमावली के मुताबिक जो व्यक्ति सूचना प्राप्त करना चाहता है, उसे राज्य जनसूचना अधिकारी और उसकी अनुपस्थिति में राज्य सहायक सूचना अधिकारी की माडल फार्म-ए में 50 रुपये की फीस सहित आवेदन पत्र देना होगा। फीस दो रुपये प्रति पृष्ठ (ए-4 साइज अथवा ए-3 साइज) के हिसाब से वसूली जाएगी। फ्लापी में सूचना उपलब्ध करवाने के लिए 50 रुपये तथा हार्डडिस्क में सूचना देने के लिए 100 रुपये फीस वसूली जाएगी। अगर व्यक्ति दस्तावेजों को देखना चाहता है और इस काम के लिए वह एक घंटा ही लगाता है, तो उससे कोई फीस नहीं ली जाएगी, लेकिन व्यक्ति दस्तावेजों का निरीक्षण करने के लिए अधिक समय लगाना चाहता है, तो उसे एक घंटे के बाद हर 15 मिनट के लिए 10 रुपये फीस के रूप में देने होंगे। यह फीस उक्त अधिकारी के पास नगद, बैंक ड्राफ्ट, पोस्टल आर्डर अथवा खजाने चालान के माध्यम से जमा करवाई जा सकेगी। सूचना प्राप्त करने वाले व्यक्ति द्वारा जो अपील की जानी है, उसमें अपीलकर्ता का नाम और पता, राज्य सूचना अधिकारी का सरकारी पदनाम तथा पता, जिसके खिलाफ अपील की जा रही है, पास किए गये आदेश का ब्योरा, जिसके विरूद्ध अपील की जा रही है, अपील के मुख्य संक्षिप्त रूप में तथ्य, आवेदन अथवा राहत के लिए कारण, अपीलकर्ता द्वारा सत्यापन अथवा अन्य कोई भी विवरण जो सूचना अधिकारी अपील पर अपना निर्णय देने के लिए जरूरी समझे, का उल्लेख करना होगा। अपीलकर्ता को अपील के ज्ञापन की तीन प्रतियां भेजनी होंगी। सूचना आयोग के पास भेजी जाने वाली अपील के साथ उस आदेश की स्वत: सांक्ष्ययांकित तीन प्रतियां लगानी होंगी, जिसके विरूद्ध अपील की जा रही है। इसके अतिरिक्त अपीलकर्ता को अपील में उल्लिखित दस्तावेजों की प्रतियां तथा इन कागजात की अनुक्रमणिका भी अपील के साथ लगानी होगी। अगर अपीलकर्ता द्वारा पूरे दस्तावेज नहीं भेजे जाते तो अपील को रद्द नहीं किया जाएगा, लेकिन अपीलकर्ता से इन दस्तावेजों को भेजने और सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए कहा जाएगा।

इंटरपोल की कहानी

किसी भी देश में शांति और व्यवस्था बनाये रखने की अहम् भूमिका निभाती है और हर देश की अपनी-अपनी अलग पुलिस है। इसी प्रकार पुलिस का एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन भी है-जिसे अंतर्राष्ट्रीय अपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) कहा जाता है। विश्व भर के एक सौ से ज्यादा देश इसके सदस्य हैं। योगगोस्वालिया को छोड़कर कोई भी कम्युनिस्ट देश इसका सदस्य नहीं है। इंटरपोल का मुख्यालय पैरिस में है तथा यह संगठन किसी भी प्रकार की राजनीति, भाषा, क्षेत्र और जाति से अलग है, जो निस्पक्ष रूप से अपना काम करता है। यदि किसी देश का व्यक्ति अपराध करके दूसरे देश भाग जाता है-जहां उसे उस देश की पुलिस पकड़ नहीं सकती, ऐसी स्थिति में इंटरपोल काम आता है। इंटरपोल के कुछ अधिकारियों तथा कर्मचारियों का संबंधित देश की राजधानियों से सीधा संपर्क होता है तथा हर वर्ष इंटरपोल के वरिष्ठ अधिकारी सम्मेलन करके विचार विमर्श उपरांत योजनाएं बनाते हैं। इंटरपोल की शुरुआत की काफी दिलचस्प है। प्रथम विश्व युद्ध उपरांत यूरोप में अपराधियों की संख्या काफी बढ़ गई थी। आस्ट्रेलिया के अपराधी पड़ौसी देशों में भाग जाते थे-जहां उन्हें आस्ट्रेलिया पुलिस पकड़ नहीं सकती थी। इसलिए आस्ट्रेलिया के पुलिस अधिकारी जोहन स्कोबर ने अपनी सरकार की अनुमति से 1923 में वियेना में कई देशों के पुलिए अधिकारियों की बैठक बुलाई-जिसमें उपस्थित 20 देशों की सहमति से अपराधों की रोकथाम के लिए इंटरपोल का गठन किया गया। आरंभ में इंटरपोल का मुख्यालय वियेना में तथा जोहन स्कोबर को अध्यक्ष चुना गया। वर्ष 1938 में जब जर्मनी का आस्ट्रीया पर हमला हुआ, तो इंटरपोल समाप्त हो गया। दूसरे विश्व युद्ध में भी इंटरपोल क्रिया हीन ही रहा। इसके उपरांत बैल्जियम के पुलिस अधिकारी कलोरेंट लुवागे ने पुन: इंटरपोल की स्थापना करके 55 देशों को इसका सदस्य बनाया। 1956 में इंटरपोल का नया संविधान बना। बैल्जियम में सुविधाओं की कमी के चलते इंटरपोल का मुख्यालय पैरिस (फ्रांस)में बनाया गया था। भारत भी इंटरपोल का सदस्य है। -मनमोहित (प्रैसवार्ता)

एचसीएस परीक्षाओं में धांधली का खुलासा

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन (एचपीएससी)द्वारा ली गई एचसीएस परीक्षाओं में बड़े स्तर पर गड़बडिय़ों का खुलासा हुआ है। यह खुलासा मामले की जांच कर रही स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम की रिपोर्ट में किया गया। यही नहीं हरियाणा सरकार ने भी कोर्ट में हलफनामा देकर यह स्वीकारा है कि यह धांधली हुई है। हिसार रेंज के स्टेट विजिलेंस ब्यूरो के एसपी डा. एम रवि किरण ने 2001 में की गई इन भर्तियों में अनियमितताओं की यह स्टेटस रिपोर्ट हलफनामे के रूप में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को सौंपी। रिपोर्ट के अनुसार एसआईटी ने पूछताछ के लिए एचसीएस के 13 उम्मीदवारों को चुना है, जिन्हें सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस जारी कर दिए गए हैं। एसपी ने कहा कि उम्मीदवारों की उत्तर-पुस्तिकाओं की एसआईटी ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के ज्वाइंट रजिस्ट्रार जनरल की मौजूदगी में 8 से 11 सितंबर 2009 तक जांच की। इसमें 35 उम्मीदवारों की 54 उत्तर पुस्तिकाओं में अनियमितताएं पाई गईं। रिपोर्ट में कहा कि इसके अलावा एचपीएससी के कब्जे से 101 उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाएं लेकर उनकी भी जांच की गई तो 198 उत्तर पुस्तिकाओं में गंभीर गड़बडिय़ां मिलीं। इन उत्तर पुस्तिकाओं में ओवर राइटिंग, कटिंग, नंबरों में कटिंग, नंबर बढ़ाए व घटाए जाने के साथ विभिन्न स्याही व पेन का इस्तेमाल किया गया है। यही नहीं, पहले पन्ने खाली रखे गए, जिनमें बाद में उत्तर भरे गए। रिपोर्ट में बताया गया कि इंटरव्यू पर बुलाए गए 195 उम्मीदवारों की जांच की गई। इसमें पता चला कि 60 उम्मीदवारों को इंटरव्यू में 75 से 92 प्रतिशत अंक दिए गए, जबकि उन्हें 41.7 से 71.47 प्रतिशत अंक मिले थे।

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