चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) हरियाणा के मकान मालिकों के लिए खुशखबरी है, क्योंकि राज्य सरकार द्वारा किराया एवं निष्कासन नियंत्रण अधिनियम बनाया जा रहा है। इस व्याप्क कानून को लागू करने के लिए एक बिल का प्रारूप तैयार किया जा चुका है। जिसे विधानसभा में मंजूरी दी जाएगी। यह कानून सभी शहरी क्षेत्रों पर लागू होगा। नए अधिनियम की विशेषताओं के अनुसार किराएदार के निष्कासन के लिए किराएदारी अवधि की समाप्ति को आधार के रूप में शामिल किया गया है। यह अधिनियम हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं आधारभूत संरचना विकास निगम, हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड, आवास बोर्ड तथा लाईसैंसशुदा कालोनियों तथा नगर एवं ग्राम आयोजन विभाग द्वारा अधिसूचित अन्य नियंत्रित क्षेत्रों पर लागू होगा। अधिनियम के मुताबिक मूल किराए में प्रतिवर्ष पांच प्रतिशत की वृद्धि का प्रावधान किया गया है तथा प्रत्येक पांच वर्ष के उपरांत वार्षिक वृद्धि का मूल किराए में विलय कर दिया जाएगा। किराएदार के माता-पिता, विधवा, नाबालिग बच्चे, अविवाहित व्यक्ति, विधवा बेटी या तलाकशुदा बेटी एवं विकलांग बच्चों के मामले में किराएदारों के उत्तराधिकार की सीमा पांच वर्ष होगी। अन्य मामलों में यह सीमा दो वर्ष निर्धारित की गई है। यदि किराएदार मकान मालिक की सहमति के बिना किराएदारी की सहमत अवधि के बाद या प्राधिकरण द्वारा निष्कासन आदेश जारी किए जाने के बाद भी मकान में रहता है। तो उसे अनाधिकृत कब्जे की अवधि के लिए मूल किराया राशि से दोगुना राशि का भुगतान करना होगा। मकान मालिक तथा किराएदार के बीच कोई भी आपसी लिखित समझौता या अनुबंध इस नियम के तहत पार्टियों के अधिकारों को मजबूत करेगा। अद्ध सैन्य बालों के सदस्यों, विधवाओं, नाबालिग बच्चों एवं विकलांग व्यक्तियों को शामिल करने के लिए निर्दिष्ट मकान मालिक की परिभाषा का विस्तार किया गया है। निर्दिष्ट मकान मालिक जैसे कि कर्मचारी, सशस्त्र एव अद्र्ध सैन्य बलों के सदस्य अपनी सेवानिवृत्ति की तिथि से दो वर्ष पहले या बाद में निष्कासन प्रक्रिया शुरू करने के पात्र होंगे।
Monday, February 15, 2010
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