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Wednesday, December 23, 2009

यहां दूध बेचना यानी मुसीबत को बुलाना

बिजरियागंज(प्रैसवार्ता) जिले में एक ऐसा भी गांव है जहां दूध नहीं बिकता। इतना ही नहीं इस गांव का कोई भी व्यक्ति गांव से बाहर भी दूध का कारोबार नहीं करता। यह गांव है बिलरियागंज ब्लाक का कोठिया। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि गांव को कीर का श्राप लगा हुआ है, जिसने भी दूध बेचा उसके पशु की मौत हो गई। अब कोई भी व्यक्ति दूध बेचना तो दूर बेचने की भी नहीं सोचता। करीब 900 की आबादी वाले कोठिया गांव में औसतन 3,000 लीटर दूध रोज उत्पादन होता है। दूध बेचने को लेकर सबके मन में एक ही डर है कि कहीं उनका पशु मर जाए। इस संबंध में पूर्व प्रधान विश्वनाथ यादव बताते हैं कि उनके पट्टीदार हरिलाल यादव ने आज से 30 साल पहले दूध बेचना शुरू किया तो उनकी भैंस गई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिर दूध बेचने की ठान ली और गांव छोड़कर आजमगढ़ जिला मुख्यालय स्थित रोडवेज पर रहने लगे। यहां पर उन्होंने दो भैंसें खरीदीं और एक बार फिर दूध बेचना शुरू किया। कुछ ही दिन बाद उनकी दोनों भैंसें मर गईं। उनकी आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई। इसके बाद वे मुंबई में रहने लगे। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि रूपायन यादव ने बिहार के आसनसोल में डेयरी खोलकर दूध बेचना शुरू किया तो वहां उनके सारे पशुओं की मौत हो गई। इसके बाद गांव के लोगों ने दूध का धंधा बंद कर दिया। गांव के 70 वर्षीय तिलकधारी यादव ने बताया कि बाप-दादा बताते रहे हैं कि सैंकड़ों वर्ष पूर्व एक फकीर ने एक घर में दूध मांगा तो घर की महिला ने दूध होते हुए फकीर से यह बोल दिया कि घर में दूध नहीं है।

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