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Saturday, December 26, 2009

जल प्रदूषण:कारण और निवारण

जल प्रदुषण की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। पृथ्वी का दो तिहाई भाग जल होते हुए भी इसमें से मानव के उपभोग योग्य जल ही मात्रा कम है। प्रकृति से प्राप्त जल का प्रमुख स्त्रोत वर्षा है। वर्षा का पानी ही भूमिगत जल स्त्रोत बनता है। जल ही यौगिक पदार्थ है। यह एक रंगहीन द्रव है। दो परमाणु हाइड्रोजन व एक परमाणु ऑक्सीजन मिलकर एक पानी बनाते है।वर्षा का जल आरंभ में शुद्ध होताह है, किंतु वायुमंडल की ऊपरी सतहों से जैसे-जैसे यह पृथ्वी पर आता है। इसमें धूल के कण, गैसें व अन्य अशुद्धियां मिल जाती है। जल जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। कहा भी है ' बिन पानी सब सून।' शरीर का 70 प्रतिशत भाग जल है। अशुद्ध जल शरीर को हानि पहुंचाता है और अनेक बीमारियों उत्पन्न करता है। विशेषकर हैजा, पेचिश, पीलिया, टाइफाइड, मलेरिया, पेट कें कीड़े आदि बिमारियां, दूषित जल के कारण ही फैलती हैं। विश्व स्वास्यथ संगइन ने शुद्ध पेयजल के भौतिक व रसायन गुण निश्चित किए हैं। भौतिक मानक के अनुसार पेयजल स्वच्छ, शीतल, निर्मल, गंधरहित तथा स्वादहीन होता है। रासायनिक मानक के अनुसार पेयजल का पी.एच.मात्र 7 व 8.5 के बीच में होना चाहिए। जैविक मानक के अनुसार शुद्ध पेयजल में अपद्रव्य बेसिलस कोलाई प्रति 100 मि.ली. में एक भी नहीं होना चाहिए तथा अन्य कोलीफार्म बैक्टीरिया 10 से अधिक नहीं होना चाहिए। अशुद्ध जल में कैल्शियम सल्फेट, लोहा, मैग्नीज, तांबा, जिंक, सीसा, कैडमियम, पारा तथा अन्य रासायनिक अम्ल आदि पाए जाते है। जब कोई संक्रामक रोग फैलता है तो उसके रोगाणु पानी में घुलकर ही व्यक्ति को रोगग्रस्त करते हैं। कुएं, बावड़ी व जलाशयों का पानी प्रदूषण के कारण दूषित हो जाता है। जनसंख्या विस्फोट से भी पेयजल की समस्या पैदा की है।
जल प्रदूषण से कैसे बचे:- अशुद्ध जल को शद्ध करने की कई सामान्य विधियां हैं। उनमें कुछ इस प्रकार है-
भौतिक विधियां-1 पानी को निथारकर कुछ समय के लिए टैंक या बर्तन आदि में ठहरने देते है। इसेस अशुद्धियां भारी होने के कारण नीचे बैठ जाती है और ऊपर पानी साफ रहता है।
2 पानी को उबालकर भी उसे शुद्ध किया जाता है। इससे कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। उबला हुआ पानी फिर किसी पात्र में छान लेना चाहिए। उबला हुआ पानी पीने में स्वाद रहित और फीका होता है। पानी को छाने के लिए जो कपड़ा काम में लें वह साफ व गाढ़ा होना चाहिए। उबालने से पानी की अस्थाई कठोरता नष्ट हो जाती है। जल शोधन की परम्यूटिट विधि भी है जिसमें कठोर जल को परम्यूटिट व माटी रेत के बीच गुजारकर छाना जाता है।
3 स्त्रावण विधि से भी पानी को शुद्ध किया जाता है। इसमें पहले पानी को उबालकर भाप में परिवर्तित कर देने हैं और फिर उस भाप को शीतकों द्वारा द्रवीभूत कर देते है। यह पानी उत्यंत स्वच्छ और गुणकारी होता है। इस पानी का उपयोग दवाओं तथा रासायनिक कार्यो में किया जाता है।
4 बाजार में पानी छानने का फिल्टर भी मिलता है। इससे पानी साफ भी मिलता है पर वे महंगे होते है। जो आम व्यक्ति की पहुंच से दूर है। ऐसे बड़े पात्र भी मिलते हैं जिसमें कोयला, रेत आदि भरकर पात्र के पेंदे से साफ पानी निकाल लिया जाता है।
रासायनिक विधियां-1 गंदे पानी का शुद्ध करने के लिए सबसे सस्ता तरीका पानी में फिटकरी घोलना है। फिटकरी के कारण मिट्टी व अघुलशील पदार्थ नीचे बैठ जाते हैं। सौ ग्राम फिटकरी का टुकड़ा लेकर उसे पानी के बर्तरन में 5-7 मिनट तक घुमाने से अशुद्धियां नीचे बैठ जाती है। फिटकरी का यह टुकड़ा फिर काम में लिया जात सकता है।
2 पानी को कीटाणु रहित करने के लिए लाल दवा, क्लोरीन, ब्लीचिंग पाउडर, चूना भी काम में लिया जाता है। उचित मात्रा में यह कुओं, बावड़ी व पानी की टंकियों में डाला जाता है। बड़े-बड़े नगरों में नल के पानी को शुद्ध करने के लिए टंकियों में बड़े बड़े फिल्टर लगाए जाते हैं। कहीं-कहीं पानी एक तालाब से दूसरे तालाब में डाला जाता है। इन तालाबों में रेत व बजरी की मोटी तहें होती है। इन तहों में से होकर पानी छनता हुआ जल संग्रलय में पहुंचता है। बनारस के तटों पर होने वाले प्रदूषण से भी बचाव आवश्यक है। गंगा में बहने वाले दुर्गन्धयुक्त शवों के कारण होने वाले प्रदूषण से बचाव जरूरी है। इसक लिए बिजली से चलने वाले शवदाह गृह बनाए जाने चाहिए। धार्मिक दृष्टि से केवल शव ी अस्थियां गंगा में विसर्जित की जा सकती है। नदियां भारतीय संस्कृति की धरोवर है, इन्हें शुद्ध रखना हमारा पुनीत कत्र्तव्य है। पानी की समस्या के हल के लिए प्राचीन जल स्रोतों तथा तालाब, कुएं, बावडिय़ां, नोल-नालियां, कुंड आदि को स्वच्छ रखकर उनका संरक्षण भी जरूरी है। जल स्रोतों के आस-पास कल-कारखाने स्थापित नहीं किए जाएं। इनसे जल प्रदूषित होता है। जो जल वितरण किया जाए वह फिल्टर किया हुआ हो। यह सत्य है कि शुद्ध वायु व शुद्ध पानी ही मानव को स्वस्थ जीवन प्रदान करते है। राजेश वर्मा (प्रैसवार्ता)

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