मरहिया(प्रैसवार्ता) पश्चिमी चंपारण के ग्राम मरहिया में भारी संख्या में लंबू जी हैं। लम्बे लोगों के ग्राम के रूप अपनी पहचान बना चुके पश्चिमी चंपारण के लौरिया प्रखंड के मरहिया ग्राम के ग्रामीणों की औसत लम्बाई 6 फुट 9 इंच है, जबकि इक्का-दुक्का 7 फुट भी पार कर चुका है। मरहिया ग्राम सम्राट चंद्र गुप्त मौर्य की जन्मस्थली भी है। नंदवंश के आखिरी राजा घनानंद की दासी मुर्रा का घर यही है। दासी मुर्रा ही चन्द्रगुप्त की मां थी। मुर्रा के घर का अवशेष यहां टीले के रूप में विद्यमान है। भारद्वाज गोत्र के कौशिक राजपूतों के इस ग्राम में अब भी सामान्य से अधिक लंबे लोगों की संख्या लगभग 450 है। ग्राम की जानकी देवी ने ''प्रैसवार्ता" को बताया कि उनके पूर्वज धु्रव नारायण सिंह बेतिया महाराज हिरेन्द्र किशोर के पिता के गनमैन थे। महाराजा हरेन्द्र की शादी के समय एक हाथी ने महारानी की पालकी पर हमला बोल दिया था, तो ध्रुव नारायण सिंह ने रक्षार्थ तलवार से हाथी की सूंड काट डाली, जिससे हाथी की मृत्यु हो गई। इससे प्रसन्न होकर महाराज हरेन्द्र ने मरहिया की जागीर ध्रुव नारायण सिंह को सौंप दी। तब से ये लंबे लोग यही के होकर रह गये। ग्राम के वैद्यनाथ के अनुसार नंदवंश के आखिरी राजा घनानंद की दासी मुर्रा के नाम पर इस ग्राम का नाम पहले मोर्या तथा बाद के अपभ्रंश नाम मरहिया पड़ गया, जिसका वर्णन चित्रसेन के इतिहास चाणक्य एवं चन्द्रगुप्त में मिलता है। मरहिया वृत्त के खाता संख्या 435 के अन्तर्गत ही नंदनगढ़ का किला आता है। बताया जाता है, कि 1950 में मरहिया ग्राम में एक कुएं की खुदाई में एक आदर्धावृत्ताकार सुरंग मिली थी, जो मुर्रा के घर की ओर से होती हुई नंदनगढ़ के किले की तरफ जाती है, जिसे ग्रामवासियों ने बन्द करा दी और उसे भर दिया। मरहिया ग्राम के बीच स्थित एक खंडहरनुमा टीले को मुर्रा का घर बताया जाता है।
Saturday, July 10, 2010
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