बलिया(प्रैसवार्ता) उत्तर प्रदेश राज्य के जनपद बलिया के ग्राम सिकंदरपुर निवासी एवं कृषक पढ़े लिखे पदम नाथ तिवाड़ी एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिसे डंसने उपरांत सांप की मृत्यु हो जाती है। पदमनाथ (52) को जवानी में नशे की आदत पड़ गई थी, कि वह बिना नशा किये रह नहीं सकता। संपन्न कृषक होने के कारण उसने महंगे से महंगे नशीले पदार्थों का सेवन करने के साथ-साथ अपनी नशाखोरी प्रवृत्ति को शांत करने के लिए अफीम, पोस्त के अतिरिक्त व धतूरे के बीज वह खाने लग गया। उन दिनों अफीम की खेती उसके क्षेत्र में होती थी, वहीं ही गाजीपुर रिफाईनरी है, जोकि अफीम से विभिन्न-विभिन्न दवाईयां तैयार करती है। पदमनाथ के अनुसार वह प्रतिदिन आधा किलोग्राम तक डोडे खाने के साथ-साथ चार बीड़ी बंडल पीना, 25 से 30 कप चाय लेता था। धीरे-धीरे जब उसमें नशे की मात्रा कम होने पर शरीर दर्द करने लगा, तो उसने स्वयं को सांपों से डंसवाना शुरू कर दिया, जिससे वह खूब आनन्द महसूस करता था। इस प्रकार उसके सारे शरीर में जहर भर गया और परिस्थितियां ऐसी बन गई, कि उसे डंसने वाला सांप स्वयं ही मर जाने लगा, जबकि पदमनाथ का कुछ नहीं बिगड़ता था। दो अलग-अलग घटनाओं में पदमनाथ को सांप और कुत्ते ने काटा और वह दोनों ही मर गये। सांप को काटने से पदमनाथ का शरीर सुन्न हो गया, जिससे उसे खूब आनन्द आया। नशा मुक्ति केन्द्र की डाक्टर शशी बाला ने ''प्रैसवार्ता" को बताया कि सांप से डसवाकर नशा करना कोई आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि कुछ समय पूर्व एक नशा मुक्ति केन्द्र के शिविर में उनके पास दो ऐसे सगे भाई आये थे, जिन्होंने स्वयं को डंसवाने के लिए सांप पाल रखे थे। डाक्टर शशी का मानना है कि 70 प्रतिशत लोग यौन संबंधों बारे अधूरी जानकारी होने के कारण नशे की शुरूआत करते हैं, परन्तु नशे का ज्यादा प्रयोग उन्हें नपुंसक बना देता है। पदमनाथ अब नशे छोड़कर ब्राह्मण होने के कारण पूजा-पाठ व धार्मिक ग्रन्थ बिना ऐनक के पढ़ता है। ग्राम और परिवारजन पदमनाथ के नशा छोडऩे से बहुत खुश हैं।
Saturday, July 10, 2010
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