सिरसा(प्रैसवार्ता) खून, थूक, मल-मूत्र की जांच कर मनुष्य के शरीर में उपस्थित रोग की जानकारी प्रयोग शाला के माध्यम से सैंकड़ों रूपयों के खर्च उपरांत दी जाती है, मगर सिरसा में झोलाछाप डाक्टरों के साथ साथ झोला प्रयोगशालाएं भी भारी संख्या में बगैर पैथोलोजिस्ट के लोगों का आर्थिक शोषण करने के साथ साथ संदिग्ध जांच की रिपोर्ट से मनुष्य के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। शहर के कई निजी अस्पतालों की अपनी निजी प्रयोगशालाएं है, जहां चिकित्सकों के परामर्श उपरांत पैथोलोजिस्ट की बजाये झोला छाप लैब तकनीशियन जांच करके अपनी रिपोर्ट देते है, जबकि नियमानुसार पैथोलोजिस्ट ही जांच रिपोर्ट कर सकता है। ''प्रैसवार्ता" को मिली जानकारी अनुसार सिरसा में ऐसी प्रयोगशालाओं की कोई कमी नहीं, जहां ऐसे लोगों द्वारा जांच उपरांत रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिनके पास न कोई मान्य डिग्री होती है और न हड्डी कोई डिप्लोमा। ज्यादातर प्रयोगशालाओं में सिर्फ अनुभव के आधार पर स्टॉफ रखकर कागजी कार्यवाही पूरी की जाती है। आश्चर्यजनक पहलू यह है कि प्रयोगशालाओं से कही खतरनाक अस्पतालों में नर्सिंग केयर के नाम पर कार्य करने वाले युवक -युवतियां है, जिनके पास कोई मान्य डिग्री या डिप्लोमा नहीं होता। जबकि नियमानुसार इनके पास जी.एन.एम, ऐ.एन.एम या अन्य किसी प्रकार की मान्य डिग्री या डिप्लोमा नहीं है। ऐसे लोग दिन प्रतिदिन सैकडों मरीजों को ड्रिप देने के साथ साथ इंजैक्शन इत्यादि भी लगाते है, जबकि कई ऐसे इंजैक्शन है, जिनकी मात्रा थोड़ी कम होने पर मरीज की जान को खतरा हो सकता है। केवल इतना ही नहीं, कई अस्पतालों में तो चिकित्सक की अनुपस्थिति में यह मरीजों का उपचार करते है, जिन्हें अस्पताल परिसर में मुंह पर मास्क, हाथों में दस्ताने व गले में स्टेथेस्कोप लटकाए आसानी से देखा जा सकता है।
Tuesday, July 6, 2010
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