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Saturday, July 10, 2010

नर्सिंग रजिस्ट्रार की नियुक्ति विवादों में

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) हरियाणा नर्सिंग काऊंसिल रजिस्ट्रार की नियमों की अवहेलना करते हुए की गई नियुक्ति विवादों में गई है। करीब एक दशक उपरांत इस नियुक्ति के उजागर होने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कम्प मच गया है, क्योंकि रजिस्ट्रार के पद पर आसीन की गई तो शर्तें पूरी करती थी और ही योग्यता की कसौटी पर खरा उतरती थी। नियमानुसार 23 वर्ष का अनुभव रखने वाले भी रजिस्ट्रार पद के प्रत्याशी थे, मगर उन्हें दर किनार कर दिया गया। ''प्रैसवार्ता" को मिली जानकारी अनुसार हरियाणा नर्सिंग कौंसिल में रजिस्ट्रार पद के लिए बकायदा 1999 में विज्ञापन निकाला गया था। विज्ञापन में स्पष्ट किया गया था, कि जिस उम्मीदवार को अधिकतम शैक्षणिक और प्रशासनिक अनुभव होगा, उसे ही वरीयता दी जायेगी। इस पद के लिए साक्षात्कार 22 जनवरी 2000 को लिया गया, जिसके लिए दस महिलाओं ने आवेदन किया था। आवेदकों के पास नर्सिंग क्षेत्र में 5 वर्ष से लेकर 23 वर्ष तक का शैक्षणिक एवं प्रशासनिक अनुभव था। आवेदकों में एक रोहतक की सुमित्रा देवी भी थी, हालांकि उनके पास केवल सिस्टर टयूटर का ही अनुभव था, प्रशासनिक नहीं। बावजूद इसके सुमित्रा को इंटरव्यू में ऐप्लस ग्रेड देकर 1 अगस्त 2000 को रजिस्ट्रार पद पर नियुक्ति दे दी। नियुक्ति प्रकरण विवादों में आने पर सरकार ने जांच के आदेश दे दिये हैं। जांच सीनियर आई..एस अधिकारी एच.एस. मलिक विशेष सचिव, स्वास्थ्य विभाग, हरियाणा करेंगे। ''प्रैसवार्ताÓÓ को यह भी पता चला है, कि कौंसिल की उपाध्यक्ष कौशल्या हुड्डा रजिस्ट्रार सुमित्रा देवी के बीच पनपे विवाद उपरांत कौंसिल में चल रही अनियमिताओं का भंडाफोड़ हुआ है। उपाध्यक्ष के आरोप हैं, कि जून 2009 में एम.पी.डब्लयु (एफ) की परीक्षा में गड़बड़ी की गई है। 100 में से 23 अंक लेने वाली सोनिया को पास कर दिया गया है, जबकि पास के लिए 50 प्रतिशत अंक चाहिये। इसी प्रकार विद्या को पास की मार्कशीट दे दी गई, जबकि रिजल्ट रजिस्ट्रर में वह फेल है। केवल इतना ही जून 2009 की उत्तर पुस्तिका को भी बिना किसी अनुमति फाड़ दिया गया है। 6 जनवरी 2010 को .एन.एम जी.एन.एम की परीक्षा का इंचार्ज निदेशक का बनाया गया, क्योंकि रजिस्ट्रार ने, जो पेपर छपवाये थे, लीक हो गये थे। इस दौरान परीक्षा चार्ज रजिस्ट्रार से ले लिया गया-जिसके चलते कौंसिल को वित्तीय हानि उठानी पड़ी। मजेदार बात तो यह है कि कार्रवाई तो दूर रही, रजिस्ट्रार से स्पष्टीकरण तक भी नहीं मांगा गया। आरोप तो यह भी अध्यक्ष रजिस्ट्रार लाखों रुपयों के चैक पर स्वयं हस्ताक्षर कर देते हैं-जबकि कौंसिल बाडी के सामने यह मामला रखा जाना चाहिए। उपाध्यक्ष द्वारा रहस्योद्घाटन उपरांत रिकार्ड में तबदीली के काम में तेजी गई है। सत्यता तो जांच उपरांत ही सामने आयेगी, परन्तु हरियाणा नर्सिंग कौंसिल फिलहाल विवादों में है।

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