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Saturday, July 10, 2010

सोचो जब ऐसा हो तो क्या हो...

झज्जर(प्रैसवार्ता) हिसार वन मंडल के एक अधिकारी की कथित मिली भगत कर एक यूजर एजेंसी (पैट्रोल पम्प) का पक्ष लेकर सरकार को लाखों रुपयों की क्षति पहुंचाने का मामला उजागर हुआ है। ''प्रैसवार्ता" को मिली जानकारी सूचना के अधिकार में मिले पत्रों से उजागर हुए पर्यावरण से जुड़े इस मामले में दो जिला वन अधिकारी और रेंजर की जांच को इस कदर ''इग्नोर" कर ''ओवर रूल्ड" किया कि भविष्य में जांच करने वाले अधिकारी को जानकारी हो जाये, कि इस प्रकरण से एक बड़े साहब भी संबंधित है, हालांकि यह मामला पर्यावरण न्यायालय कुरूक्षेत्र में विचाराधीन है। हिसार वन विभाग से संबंधित इस प्रकरण में कंजरवेटर वी के झांझडिया ने पैट्रोल पम्प चलाने वाली यूजर एजेंसी को लांभावित करने के लिए नियमों को ताक पर रखने का प्रयास किया। जिक्रयोग है, कि राष्ट्रीय राजमार्ग नं. दस पर ग्राम कुतुबपुर में वर्ष 2002 से एक पैट्रोल पम्प संचालित है, जिस पर इल्जाम है कि उनके द्वारा वन भूमि का अधिक प्रयोग किया जा रहा है और अपने रास्ते के लिए यहां किये गये पौधारोपण को नष्ट किया गया है। इस प्रकरण की जांच के लिए हिसार मंडल के तत्कालीन जिला वन अधिकारी शिव कुमार ने तीन बार मौके का मुआयना करके प्रकरण को सही ठहराते हुए रिपोर्ट की, कि यूजर एजेंसी (आई.वी.पी.सी.एल पैट्रोल पम्प) द्वारा अपने आने जाने के रास्ते के लिए 1221 वर्ग मीटर वन भूमि का पिछले कई वर्ष से भारत सरकार की बगैर स्वीकृति के प्रयोग किया जा रहा, है जोकि वन सरंक्षण अधिनियम 1980 की अवहेलना है। वन विभाग के रेंज व अन्य आला अधिकारियों ने जांच में पाया कि यहां कोई पेड बाधक नहीं है, लेकिन रिकार्ड में यहां 1999-2000 में 10 आर.के.एम पौधारोपण किया गया था, जिसके चलते यूजर एजेंसी को नोटिस जारी किया गया। परिमंडल के कंजरवेटर ने हिसार के जिला वन अधिकारी की इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए पुन: रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिये, जिस पर जिला वन अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट को दोहराते हुए इस अवहेलना के दोषी हांसी खंड के प्रभारी वन दरोगा सज्जन कुमार तथा बीट इंचार्ज वन रक्षक हुकमी राम के खिलाफ कार्यवाही अमल में लाने को कहा, मगर इसके उपरांत भी कंजरवेटर पैट्रोल पम्प पर इस कद्र मेहरबान रहे कि उन्होंने पंचकुला स्थित नोडल अधिकारी को भी यूजर एजेंसी पर पैनल्टी लगाकर स्वीकृति प्रदान करने की सिफारिश कर दी। कंजरवेटर ने पत्र में लिखा था कि उक्त साईट पर 287 वृक्ष नहीं खड़े थे, गलती से पेड़ खड़े होने की रिपोर्ट भेजी गई है। मौके पर पेड़ न होने के कारण मार्किंग लिस्ट नहीं बनाई गई है, यूजर एजेंसी ने बाधक पेड न होने के कारण उक्त साईट का चयन किया है। अतीत में दिखाये गये 287 पेड़ गलत थे और गलती से ही यूजन एजेंसी से फेलिंग चार्जिज लिये गये हैं। यहां तक कंजरवेटर ने उच्चाधिकारियों को गुमराह करते हुए लिखा कि पंप के आने-जाने वाले पर पेड़ हो ही नहीं सकते तथा यूजर एजेंसी 286 वर्ग मीटर भूमि इस्तेमाल कर रही है-जबकि वास्तव में 1221 वर्ग मीटर का प्रयोग किया जा रहा है, जिसकी नोडल अधिकारी ने स्वीकृति प्रदान कर दी। जिला वन अधिकारी हिसार के तबादले उपरांत नये जिला वन अधिकारी ने 286 वर्ग मीटर तथा 1.72 आर.के.एम. में खड़े पौधों के हिसाब से यह राशी 42900 रुपये निर्धारित की, जोकि सिर्फ पौधारोपण की थी। 23 नवम्बर को इस मामले में हिसार के जिला वन अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने कंजरवेटर को एक शुद्धि पत्र भेजा और साथ पैनल सी ऐ रिपोर्ट दी, जिसमें इस मामले में यूजर एजेंसी से जो राशी वसूलनी थी, कई गुणा ज्यादा थी। यह राशी पूर्व जिला वन अधिकारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर 1221 वर्ग मीटर और 7.35 आर.के.एम के हिसाब से तय की गई, जो करीब 6 लाख 94 हजार 630 रुपये बनती थी। इसमें दो और चार्जिज शामिल किये गये, जिन्हें पहली रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया था। तार फैसिंग के चार लाख 41 हजार रुपये, दस प्रतिशत सुपरवाईजरी चार्जिज 63148 रुपये शामिल करते हुए पैट्रोल पम्प के डिप्टी मनैजर को सूचित करते हुए और राशी जमा करवाने के लिए कहा गया, तो विभाग में हड़कम्प मच गया, क्योंकि एक अधिकारी महज 42900 रुपये बता रहे हैं और जिला अधिकारी 6 लाख 94 हजार 630 रुपये बता रहे हैं। फिलहाल इन दोनों में कौन सच बोल रहा है, यह निस्पक्ष जांच उपरांत ही पता चल सकेगा।

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