नई दिल्ली(प्रैसवार्ता) देश में हाई-ब्लड प्रैशर, मूत्र में प्रोटीन या खून जाना, क्रिएटिनाईन और ब्लड यूरिया, नाईट्रोजन का स्तर सामान्य से अधिक और जी.एफ.आर 90 से कम होना, पेशाब में तकलीफ, आंखों के नीचे सूजन, हाथ-पैरों में सूजन, हाईपरटैंशन के शिकार ज्यादातर लोग किडनी डिसीज (सी.के.डी) का शिकार हो रहे हैं-ऐसे लोगों को किडनी की जांच करवा लेनी चाहिये। उपरोक्त बिमारियों के चलते, यदि धूम्रपान और दर्द निवारक दवाओं के आदी पचास वर्ष की आयु लांघते ही किडनी फेल जैसी बीमारी से प्रभावित होना साधारण बनता जाने लगा है। किडनी फेल रोग का उपचार महंगा होने के कारण करीब दो लाख लोग प्रतिवर्ष लोग इस रोग की चपेट में आ रहे हैं। दिल्ली के आसपास हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार 10 हजार लोग सी.के.डी से पीडि़त है। इस दृष्टि से देश में करीब 78 लाख से ज्यादा आबादी इस बीमारी से ग्रस्त मानी जा सकती है। सर्वेक्षण के मुताबिक 41 प्रतिशत डायबिटीज, 22 प्रतिशत हाईपरटैंशन, 16 प्रतिशत क्रानिक ग्लोमेरुने फ्राईटिसके शिकार लोगों की सी.के.डी का खतरा है। हाथ-पैरों या पीठ दर्द के लिए नियमित रूप से दर्द निवारक लेना भी सी.के.डी को निमंत्रण देता है।
Tuesday, March 23, 2010
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