वर्ष 2001 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 102.7 करोड़ थी, जिसमें 53.1 करोड़ पुरूष तथा 49.6 करोड़ महिलाएं थी। कन्या भू्रण हत्या की बढ़ती कुप्रथा ने पिछले एक दशक में इस समस्या को इतना जटिल और भयावह बना दिया है, कि कुंवारे पुरूषों की बढ़ती संख्या से समाज में अपहरण, बलात्कार, वैश्यावृत्ति, अनमोल विवाह, बहुपति प्रथा, आटे-साटे का विवाह, स्त्रियों के खरीद-फरोक्त सरीखे अपराध बढ़ेंगे, जिससे नारी की अस्मिता, गरिमा और सम्मान तीनों ही खतरें में पढ़ जायेंगे। नारी परविार, समाज व राष्ट्र की मूलाधार है, अत: उसे खतरे से बचाना युग धर्म का प्रतीक है। कन्या भू्रण हत्या को बढ़ावा देने वाला मुख्य कारण माता-पिता का पुत्र प्राप्ति है, जिसे वंश बढ़ाने का आधार माना जाता है। दूसरा कारण अल्ट्रा साऊंड मशीने हैं, जिसने लिंग निर्धारण की सस्ती तकनीक को जन्म दिया है। तीसरा कारण गर्भपात की दुकान चलाने वाले चिकित्सक न नर्सें तथा चौथा कारण सरकार तथा प्रशासन का आंखे मूंद कर बैठना है-जिसे जनसंख्या निरोध करने का बेहतर फार्मूला मान लिया गया है। पांचवा कारण वे सामाजिक, धार्मिक तथा शैक्षिक संस्थाएं हैं, जो मानव सभ्यता पर मंडरा रहे इस खतरे से बेफिक्र हैं। परिस्थितियां ऐसी बन गई हैं, कि एक दुल्हन के लिए दस दुल्हें होंगे और इसमें सामाजिक स्तर पर अनाचार और व्याभिचार का दौर शुरू होगा-जिससे बहिन-बेटी को बचाना मुश्किल हो जायेगा। जब संतान को जन्म देने वाली कोख ही नहीं रहेगी तो वंश बेल बढ़ाने वाले पुत्र रत्न कहां से पैदा होंगे? जरूरत है कि कन्या भ्रूण हत्या के तमाम पहलुओं से लोगों को जागरूक करने के लिए-जिसके लिए होनी चाहिए नुक्कड़ सभाएं, पंचायती सभाएं, स्कूल-कालेजों में सभाएं, निशुल्क साहित्य विवरण, समाचार पत्रों में लेख, रैली तथा सैमिनार, गोष्ठी इत्यादि के साथ-साथ अल्ट्रा साऊंड केन्द्रों व गर्भपात करने वाले चिकित्सकों व नर्सों पर शिकंजा कसना। सरकार को गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण तथा बच्चा पैदा होने तक निगरानी रखनी चाहिये। लिंग परीक्षण और अवैध गर्भपात के मामलों में सख्त कदम उठाने और अल्ट्रा साऊंड मशीन केन्द्रों में आने वाले आगन्तुकों का पंजीकरण और उसकी महिला पर न होकर परिवार का मुखिया पर निर्धारित हो और अपवाद स्वरूप यदि कोई महिला अपनी पहल पर गर्भपात करवाती है, तो परिवार का मुखिया गर्भपात से पूर्व जिला प्रशासन को सूचित करे।
-सुरेन्द्र कटारिया (प्रैसवार्ता)
-सुरेन्द्र कटारिया (प्रैसवार्ता)
No comments:
Post a Comment