किसी भी देश में शांति और व्यवस्था बनाये रखने की अहम् भूमिका निभाती है और हर देश की अपनी-अपनी अलग पुलिस है। इसी प्रकार पुलिस का एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन भी है-जिसे अंतर्राष्ट्रीय अपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) कहा जाता है। विश्व भर के एक सौ से ज्यादा देश इसके सदस्य हैं। योगगोस्वालिया को छोड़कर कोई भी कम्युनिस्ट देश इसका सदस्य नहीं है। इंटरपोल का मुख्यालय पैरिस में है तथा यह संगठन किसी भी प्रकार की राजनीति, भाषा, क्षेत्र और जाति से अलग है, जो निस्पक्ष रूप से अपना काम करता है। यदि किसी देश का व्यक्ति अपराध करके दूसरे देश भाग जाता है-जहां उसे उस देश की पुलिस पकड़ नहीं सकती, ऐसी स्थिति में इंटरपोल काम आता है। इंटरपोल के कुछ अधिकारियों तथा कर्मचारियों का संबंधित देश की राजधानियों से सीधा संपर्क होता है तथा हर वर्ष इंटरपोल के वरिष्ठ अधिकारी सम्मेलन करके विचार विमर्श उपरांत योजनाएं बनाते हैं। इंटरपोल की शुरुआत की काफी दिलचस्प है। प्रथम विश्व युद्ध उपरांत यूरोप में अपराधियों की संख्या काफी बढ़ गई थी। आस्ट्रेलिया के अपराधी पड़ौसी देशों में भाग जाते थे-जहां उन्हें आस्ट्रेलिया पुलिस पकड़ नहीं सकती थी। इसलिए आस्ट्रेलिया के पुलिस अधिकारी जोहन स्कोबर ने अपनी सरकार की अनुमति से 1923 में वियेना में कई देशों के पुलिए अधिकारियों की बैठक बुलाई-जिसमें उपस्थित 20 देशों की सहमति से अपराधों की रोकथाम के लिए इंटरपोल का गठन किया गया। आरंभ में इंटरपोल का मुख्यालय वियेना में तथा जोहन स्कोबर को अध्यक्ष चुना गया। वर्ष 1938 में जब जर्मनी का आस्ट्रीया पर हमला हुआ, तो इंटरपोल समाप्त हो गया। दूसरे विश्व युद्ध में भी इंटरपोल क्रिया हीन ही रहा। इसके उपरांत बैल्जियम के पुलिस अधिकारी कलोरेंट लुवागे ने पुन: इंटरपोल की स्थापना करके 55 देशों को इसका सदस्य बनाया। 1956 में इंटरपोल का नया संविधान बना। बैल्जियम में सुविधाओं की कमी के चलते इंटरपोल का मुख्यालय पैरिस (फ्रांस)में बनाया गया था। भारत भी इंटरपोल का सदस्य है। -मनमोहित (प्रैसवार्ता)
Tuesday, March 9, 2010
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