श्री गंगानगर(प्रैसवार्ता) सब्जी व फलों की फुटकर कीमतों में आये अचानक उछाल ने जब सामान्य के होश उड़ा दिये हैं, वहीं खुदरा विक्रेताओं की मनमर्जी पर सरकार शिकंजा कसने में असफल दिखाई देती है। आलू जैसी सदाबार सब्जी का प्रयोग भी मुश्किल हो गया-वहीं अन्य सब्जियों के दाम सुनते ही कंपकंपी शुरू हो जाती थी। सब्जी विक्रेता पहले सब्जियों के दाम किलो में बताते थे, मगर एक पाव का भाव बताया जाता है। हरी सब्जियों के आसमान छू रहे दाम पर नजर दौड़ाने से लगता है कि सब्जी के स्थान पर चटनी से रोटी खाना भी मुश्किल हो गया, क्योंकि लहसुन 60 रुपये किलो बिक रही है। नमक-मिर्च में पानी डालकर रोटी खाना भी एक कठिनाई बनता जा रहा है, क्योंकि इनके दाम भी उछाला लिये हुए हैं। गंगानगर में सब्जियों की आवक कम होने के कारण बाहर से सब्जियों की आवक होती है, तो हाल में ही हुए माल भाड़े की बढ़ौत्तरी को इसका एक कारण माना जा रहा है।
Tuesday, March 23, 2010
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