नई दिल्ली(प्रैसवार्ता) मनोरंजन चैनलों पर औरतों की गलत और अश£ील छवि, समाचार चैनलों पर अंधविश्वास, हिंसा, भय और सेक्स की अंतिरंजित प्रस्तुतीकरण पर रोक लगाने के लिए सरकार जारी किए कंटेंट कोड का कुछ प्रभाव दिखने लगा है। कंटेंट कोड के अनुसार टी.वी कार्यक्रमों में स्त्री देह शोषण, महिलाओं को यौन आवेगों से संचालित न करने, तंत्र-मंत्र वाले कार्यक्रमों में स्त्रियों को डायन या चुडैल न दिखाने, परिवार में स्त्री की दास भूमिका न दिखाने और न ही उनका महिमा मंडल करने, बाल विवाह, दहेज प्रथा, बहुपति प्रथा को बढ़ावा न देने, बेटों को तरजीह दिये जाने की कुरीतियों का महिमा मंडल न करने के निर्देश हैं। इसके अतिरिक्त हिंसा, अंधविश्वास बढ़ाने वाले कार्यक्रमों पर अंकुश लगाने तथा स्टिंग आप्रेशन पर शिकंजा कसने की योजना भी है। कंटेंट कोड में मनोरंजन कार्यक्रमों को तीन श्रेणियों में बांटते हुए अलग-अलग समय सारणी बनाई गई है-जिसके अन्र्तगत यू.ए और एस का प्रसारण प्रात: चार बजे से सांय 8 बजे तक, अभिभावकों की उपस्थिति में देखे जाने वाले कार्यक्रम यू.ए रात्रि 8 बजे से प्रात: चार बजे तथा व्यस्कों के लिए कार्यक्रम ''ऐÓÓ रात्रि ग्यारह बजे से प्रात: 4 बजे तक होगा। कंटैंट कोड का पालन करने के लिए सरकार ने चैनलों के भीतर ही तंत्र कायम करने के लिए कहा है और कार्यक्रमों की सार वस्तु पर नजर रखने के लिए कंटेंट आडिटर नियुक्त करने की सलाह दी है। कोड कंटेंट के उल्लंघन की स्थिति में दर्शक कंटेंट आडिटर और अन्य सक्षम प्राधिकार के समक्ष शिकायत दर्ज करवा सकता है। यदि इस पर कोई सुनवाई या समाधान नहीं होता-तो भारतीय प्रसारण नियामक प्राधिकार इसका समाधान करेगा।
Tuesday, March 9, 2010
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