कोटा(प्रैसवार्ता) जिला मैजिस्ट्रेट टी.रविकान्त ने औषधि-चमत्कार उपचार आक्षेपकीय विज्ञापन अधिनियम 1954 के प्रावधानों का उल्लंघन कर विज्ञापन छापने वाले समाचार पत्रों/पत्रिकाओं व अन्य के विरूद्ध मुकद्दमा दर्ज कर कार्यवाही के निर्देश दिये हैं। पुलिस प्रमुख को प्रेषित पत्र में अधिनियम की धारा 3 व 5 के हवाले से कहा गया है, कि सेक्स संबंधी विज्ञापनों को अधिनियम में प्रतिबंधित किया गया है। इस प्रकार के विज्ञापन प्रथम बार प्रकाशित करने पर 6 मास की सजा एवं जुर्माना अथवा दोनों ही दंड से दंडित करने का प्रावधान है। यदि ऐसा विज्ञापन पुन: प्रकाशित किया जाता है, तो सजा दुगन्नी हो सकती है। जिला मैजिस्ट्रेट के अनुसार इस प्रकार का विज्ञापन प्रकाशित या प्रसारित करने को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिनमें पुलिस अधिकारी अपराध करने वाले को बगैर वारंट मुकद्दमा दर्ज करके गिरफ्तार कर सकते हैं। जिला मैजिस्ट्रेट ने चमत्कारित उपचार अधिनियम 1954 के प्रावधान का जिक्र करते हुए कहा है, कि इस अधिनियम का उद्देश्य लैंगिक कमजोरी को दूर करने तथा गर्भधारण व गर्भपात जैसे मामलों में विज्ञापनों के माध्यम से चमत्कारिक इलाज से दिग्भ्रमित होकर लोगों को शोषण से बचाने के लिए सेक्स संबंधी विज्ञापनों को प्रतिबंधित करना है। किसी भी व्यक्ति द्वारा जादुई चमत्कारिक क्रिया कलाप जैसे तिलस्म, मंत्र, कबज द्वारा किसी मानव या पशु के उपचार का भरोसा दिलवाने वाला विज्ञापन प्रतिबंधित है। अधिनियम की धारा 3 में सैक्स व संबंधित विज्ञापनों के प्रकाशन पर पूर्णरूपेण प्रतिबंध लगाया गया है। किसी भी व्यक्ति द्वारा महिला के गर्भपात को रोकने या गर्भधारण करने से संबंधित चमत्कारिक इलाज या दवाई, शारीरिक सुख के लिए सैक्स क्षमता को बनाये रखना या उसमें वृद्धि संबंधी इलाज या दवाई तथा महिलाओं के मासिक धर्म की समस्या का इलाज चमत्कारिक दवाई के माध्यम से, कैंसर, एडस, मोटापा कम या ज्यादा करने संबंधित विज्ञापनों को प्रतिबंधित विज्ञापनों की श्रेणी में माना गया है।
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