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Thursday, January 7, 2010

पौधे कहेंगे अपनी कथा

ऐसी भविष्यवाणी की जा रही है कि आने वाले दिनों मे बगीचे ऐसे फूल-पौधों से लदे होंगे, जो प्यास होने पर नीले, उर्वरक की आवश्यकता पडऩे पर पीले तथा कीटों का आक्रमण होने पर लाल हो जाएंगे। इस प्रकार से फूल पेड़-पौधों के बदले हुए रंगों को देखकर बाग का माली सतर्क हो जाएगा अत: तुरंत उनके लिए पानी, उर्वरक अथवा कीटनाषक की यथायोग्य आवश्यकतानुसार व्यवस्था करेगा। इस संदर्भ में विशेषज्ञों के मतानुसार यह प्रौद्योगिकी पर्यावरण के लिए भी अच्छी रहेगी, क्योंकि इससे बगीचे में रसायनों का प्रयोग कम से कम करने में सहायता मिल सकेगी। ऐसे बुद्धिमान स्मार्ट पौधों का विकसित करने के लिए आष्यक मूलभूत ब्रिटेन में हर्टफोर्डशर में रोथमस्टेड स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ एरबेल क्रॉप्स रिसर्च, एडिनबरा विष्वविद्यालय तथा एडिनबरा के ही स्कॉटिश एग्रीकल्चरल कॉलेज में संयुक्त रूप से किया जा रहा है। इसके अलावा इन संस्थानों के वैज्ञानिक उन जीनों का भी पता लगाने की चेष्टा कर रहे हैं, जो पौधों पर खतरा मंडराने पर रासायनिक अलार्म छोड़ सकते है। दरअसल इस अनुसंधान के अनुसार पौधों के डी.एन.ए. को प्रषांत महासागर में पाई जाने वाली एक जैली फिष के जेेनेटिक कोड द्वारा संषोधन किया जाता है। ऐसे करने से वे चमकले पिगमेंट छोड़ते हैं। इस प्रकार से प्रत्येक पिगमेंट अलग-अलग रंगों में चमकीली रोषनी छोड़ता है। उनकी बुद्धि का विष्लेषण करने में ये चमकीली रोषनी सहायक की भूमिका अदा करेगी। इस विषय में रोथमस्टेड में अनुसंधान दल का नेतृत्व करने वाले डॉ. ब्रायन फोर्ड ने बात स्पष्ट करते हुए कहा कि दरअसल उनकी टीम एक ऐसे जीन का पता लगाने की चेष्टा कर रही है, जो पौधे को नाइट्रेट उर्वरक की आवष्यकता महसूस होने पर समय से पहले ही संकेत दे देगा। एडिनबरा विश्वविद्यालय के ही सेल एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर टानी ट्रेवावास के नेतृत्व में एक अन्य दल एक ऐसे जीन की तलाश करने में व्यस्त हैं, जो यह बताएगा कि आलुओं के पौधों को कब प्यास लगती है। दूसरी ओर एडिनबरा के स्कॉटिष एग्रीकल्चरल कॉलेज के अनुसंधानकर्ता एक ऐसा उपकरण विकसित कर रहे हैं, जो पौधों पराबैंगनी प्रकाश फैंककर बाग के माली को यह सूचना देगा, कि पौधों को पानी की आवश्यकता है अथवा नहीं। प्रो. टेऊवावास ने कहा कि हम जलवायु को तो नहीं बदल सकते, परंतु हम पौधे से यह संकेत अवश्य दिलवा सकते हैं, कि उनकी आंतरिक दशा क्या है। ऐसा यथायोग्य संकेत मिलने के पश्चात हम उसकी आवश्यकतानुसार निर्णय कर सकते हैं तथा तदनुसार आवश्यक कदम उठा सकते हैं। इसी के साथ विश्व के अन्य वैज्ञानिक भी आनुवंशिक इंजीनियरिंग की मदद से अनोखे रंगों वाले फूल विकसित कर रहे हैं, जो लंबे समय तक खिले रहने की क्षमता से युक्त हैं। इसके अलावा वे फूल ओलावृष्टि ,पाले तथा अन्य प्राकृतिक विपत्तियों तथा कठिनाईयों को भी झेल सकते हैं।
-नरेंद्र चावला (प्रैसवार्ता)

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