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Wednesday, January 20, 2010

मस्जिद में भी हुआ 'वंदेमातरम्'

बैतूल(प्रैसवार्ता) देश में मुसलमानों द्वारा वंदेमातरम् न गाए जाने को लेकर भले फतवा जारी हुआ हो, लेकिन बैतूल बाजार की मस्जिद में मुस्लिम भाइयों ने एक स्वर से वंदे मातरम् गाकर मातृभूमि की वंदना की एक नई मिसाल पेश की है। इसके पहले श्री रूकमणी बालाजी मंदिर बालाजीपुरम में सामूहिक वंदे मातरम् का गाया गया, इसमें मुसलमान शामिल हुए। इस अनूठे वंदे मातरम् गायन में सभी धर्मों के लोग मौजूद थे। हाल में देवबंद में मुसलमानों द्वारा वंदे मातरम् न गाए जाने को लेकर फतवा जारी हुआ था। इसी तारतम्य में बालाजीपुरम में रविवार को दोपहर 2 बजे सामूहिक वंदे मातरम के गायन का आयोजन हुआ। इसमें बालाजीपुरम् मंदिर संस्थापक सेम वर्मा ने सभी लोगों से वंदे मातरम् गाने की बात करते हुए कहा कि मां की पूजा करना, प्रत्येक धर्म में सिखाया गया है। इसलिए इस राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् को अधामिक कहना गलत है। कार्यक्रम में हिन्दुओं के अलावा मुस्लिम समुदाय के लोग भी थे। कार्यक्रम में आभार समिति के शेख्र हारोड़े ने किया। बालाजी सेवा समिति संयोजक सुनील द्विवेदी ने बताया कि इसके बाद सभी लोगों ने सामूहिक वंदे मातरम् गाया। भारत माता के जयघोष के साथ छात्र-छात्राओं, युवाओं की यह रैली बैतूलबाजार की गलियों में निकाली।
वंदे मातरम् में गैर इस्लामिक कुछ भी नहीं: यहां बाजार चौक के आगे मस्जिद में हाफिज अब्दुल राजिद ने इन सभी को मस्जिद परिसर में वंदे मातरम् गायन के लिए आमंत्रित किया। इस दौरान शाहिद, अनीस, इश्ताक आदि ने भी इन सभी के साथ वंदे मातरम् गाया। हाफिज अब्दुल ने कहा कि इसके गायन में कोई गैर इस्लामिक बात नहीं है। इस दौरान मंदिर संस्थापक सेम वर्मा ने इन सभी मुस्लिम धर्मावलंबियों को इस बात के लिए बधाई दी कि हर भारतीय नागरिक की तरह उन्होंने भी वंदे मातरम् की मुखालिफत करने वालों का विरोध किया है।

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