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Friday, January 22, 2010

दुर्घटनाओं का शहर बन रहा है-सिरसा

सिरसा(प्रैसवार्ता) कभी सिरसा को पैरिस जैसा बनाने का स्वप्र दिखाकर सत्ता पर काबिज होकर भी अपने वायदे से दूरी बनाये रखने वाले एक राजनेता को भले ही सिरसावासियों ने सत्ता से दूर का रास्ता दिखा दिया है, मगर प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही का खमियाजा जरूर भुगतना पड़ रहा है। बिजली की नंगी तारें, जगह-जगह पर सीवरेज के खड्डे, टूटी-सड़कें, बिना ढक्कनों के मेन होल, सड़कों के किनारों पर लगाई गई रंग-बिरंगी टयूबों में बिजली का न होना, बेकाबू होती यातायात व्यवस्था और दिन प्रतिदिन बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं के चलते सिरसा शहर खतरों का नगर बनता दिखाई देने लगा है। विद्युत प्रसारण निगम द्वारा बिना योजना कनैक्शन के लिए लटकाई गई अस्थाई तारें व खम्बे सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक साबित हो रहे हैं। ज्यादातर ऐसी तारों से अक्सर चिंगारियां निकलती रहती हैं-जो कभी भी किसी अप्रिय हादसे को जन्म दे सकती हैं। शहर के सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ वाले रोड़ी बाजार में बिजली के खम्बों तथा लटकती तारों से शायद निगम अधिकारी बेखबर है, भले ही बार-बार शिकायत की गई हो, मगर लगता है कि शायद विद्युत निगम किसी हादसे की इंतजार कर रहा है। शहर में स्ट्रीट लाईट की यह स्थिति है है कि इसे दिन में देखा जा सकता है, रात्रि को नहीं, क्योंकि रात्रि को अंधेरा होता है। अंधेरे में आते-जाते कई लोग दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं। शहर की विभिन्न-विभिन्न सड़कों पर पड़े खड्डे, सीवरेज का पानी, बिगड़ती सफाई व्यवस्था, जहां दुर्घटनाओं में वृद्धि कर रही है, वहीं कई बीमारियों को भी निमंत्रण दे रही है। राज्य में अपनी विशेष पहचान रखने वाला सिरसा हादसों का शहर बनता नजर आने लगा है।

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