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Friday, January 22, 2010

उच्चतम न्यायालय के आदेशों से बेखबर हरियाणा परिवजनकर्मी

सिरसा(प्रैसवार्ता) माननीय उच्चतम न्यायालय के एक जनहित याचिका पर नवम्बर 2001 में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था, करीब एक दशक बीत जाने उपरांत भी हरियाणा राज्य परिवहन के कर्मचारी इससे बेखबर हैं और चलती बसों में बिना किसी भय के धूम्रपान करते देखे जा रहे हैं। ''प्रैसवार्ता'' द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण अनुसार हरियाणा राज्य परिवहन के 60 प्रतिशत चालक-परिचालक, 45 से 50 प्रतिशत बस संस्थान परिसर व कर्मशालाओं में अपनी ड्यूटी दौरान धूम्रपान करते हैं। ''धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है"- लिखा होने उपरांत भी धूम्रपान के रसिया इस लिखित की परवाह नहीं करते। केवल इतना ही नहीं, हरियाणा राज्य परिवहन की ज्यादातर बसों में यात्री सरेआम धूम्रपान करते देखें जा सकते हैं-जबकि बसों में साफ-साफ लिखा होता है कि बस में धूम्रपान कानूनन वर्जित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार धूम्रपान के धुएं से होने वाले रोगों के कारण प्रत्येक वर्ष करीब 30 लाख लोग समय से पूर्व मृत्यु का शिकार हो जाते हैं, क्योंकि बहुत कम लोग जानते हैं कि मुंह में जलता हुआ धुआं एक छोटे से अग्रिकांड तुल्य है। एक जल रही सिगरेट से मुंह पर 90 डिग्री सैटीग्रेड का तापमान बनता है, और सांस में खींचे गये धुएं का 30 डिग्री सैंटीग्रेड तापमान, जो एक इंच सिगरेट रह जाने पर 50 डिग्री सैंटीग्रेड रह जाता है, खास नली को क्षति पहुंचाता है। एक सिगरेट करीब 500 मिलीग्राम धुआं उगलती है-जिसमें बहुत हानिकारक रसायन होते हैं, जिनकी संख्या लगभग 4 हजार बताई जाती है और इनमें 43 कारसोजैनिक होते हैं, जो कैंसर का कारण बनते हैं। धूम्रपान संबंधी माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों से बेखबर हरियाणा परिवहनकर्मी, जहां कानून व नियमों की अनदेखी कर रहे हैं, वहीं कई भयंकर बीमारियों को भी निमंत्रण दे रहे हैं।

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