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Saturday, January 9, 2010

घर का डॉक्टर है-पत्तागोभी

पत्तागोभी को कही बंद गोभी कहा जाता है, कहीं करमल्ला कहा जाता है। यह प्रकृति में गरम व रूखी होती है। इसमें पाये जाने वाले तत्वों का विश£ेषण करें तो इसमें 90 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 0.6 प्रतिशत, प्रोटीन 1.6 प्रतिशत, कैल्शियम 00.3 प्रतिशत, वसा 0.001 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 6.2 प्रतिशत व लोहा 00.5 प्रतिशत होता है। इसमें विटामिन ए और डी पर्याप्त मात्रा में होते हैं और विटामिन सी बहुतायत में होते हैं। इसके उपर वाले पत्तों में विटामिन होता है। इसे फेंकना नहीं चाहिए। इसके पत्तों को चबा चबा कर खाने से रक्त विकार, बदहजमी, दंत रोग, आंत रोग, पांडरोग, नेत्र रोग, कफ, पित्त विकार दूर हो जाते हैं। यह कुष्ठ रोग में भी लाभदायक है।
कब्ज रोग: ताजे पत्तागोभी के कुछ पत्तों को प्रात: कुछ दिन अच्छी तरह चबा चबा कर खाने से कब्ज से छुटकारा मिलता है।
अनिद्रा: पत्तागोभी की सब्जी तथा रात को सोने से एक घंटा पहले 5 चम्मच रस पीने से खूब निद्रा होती है।
दांत रोग: पायरिया व दंत रोगों से पत्तागोभी के 50 ग्राम पत्ते को अच्छी तरह चबाने से लाभ होता है।
बाल झडऩा:पत्तागोभी के नियमित पत्ते खाने से बाल झडऩा बंद हो जाते हैं।
मूत्र रोग: यदि पेशाब रूक रूक कर आता हो इसका आधा कप रस नियमित पीने से पेशाब की रूकावट समाप्त हो जाती है।
कैंसर रोग: स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा किये गये शोधों से निष्कर्ष निकाला गया है, कि पत्तागोभी खाने व रस पीने से इस रोग में आराम मिलता है। -नीलम (प्रैसवार्ता)

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