पेट में गैंस न सिर्फ खुद एक बीमारी है, बल्कि दूसरी कई बीमारियों की जड़ भी है। कई बार यह दूसरों के सामने हास्यास्पद या अजीब स्थिति में लाकर भी खड़ा कर देती है। लेकिन थोड़ी-सी सावधानी से इस दिक्कत से काफी हद तक बचा जा सकता है। एक्सपट्र्स की सलाह से गैस से छुटकारे के उपाय बता रहे हैं।
गैस यानी बीमारियों की जड़: पेट गेस को अधेवायु बोलते हैं। यह पेट में बनी रहे तो कई बीमारियां हो सकती हैं,जैसे एसिडिटी, कब्ज, पेटदर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, बेचैनी आदि। लंबे समय तक गैस को रोके रखने से बवासीर भी हो सकती है।
गैस है, कैसे पहचानें: पेट में दर्द, पेट से गैस पास होना, डकारें आना, छाती में जलन, अफारा। इसके अलावा, जी मिचलाना, खाना खाने के बाद पेट ज्यादा भारी लगना और खाना हजम न होना, भूख कम लगना, पेट भारी-भारी रहना और पेट साफ न होने जैसा महसूस होना।
किससे बनती है गैस
गलत खानपान
शराब पीने से।
मिर्च-मसाला, तली-भुनी चीजें ज्यादा खाने से।
राजमा, छोले, लोबिया, मोठ उड़द की दाल, फास्ट फूड, ब्रेड और किसी-किसी को दूध या भूख से ज्यादा खाने से।
खाने के साथ कोल्ड ड्रिंक लेने से।
तला या बासी खाना लेने से।
गलत लाइफस्टाइल
टेंशन रखने से।
देर से सोने और सुबह देर से जागने से।
खाने-पीने का टाइम फिक्स्ड न होने से।
बाकी वजहें
लिवर में सूजन, गॉल ब्लैडर में स्टोन, अल्सर या मोटापे से
डायबीटीज, अस्थमा या बच्चों के पेट में कीड़ों की वजह से।
अक्सर पेनकिलर खाने से।
कब्ज, अतिसार, खाना न पचने व उलटी की वजह से।
जांच के 3 तरीके
एंडॉस्कोपी, ब्लड टेस्ट और बैक्टीरिया टेस्ट
क्या है इलाज
आयुर्वेद
नीचे लिखी दवाओं में से कोई एक दवा अजमा सकते हैं-
गैसांतक वटी। शुरू में दो गोली दिन में तीन बार गर्म पानी से खाने के बाद लें, पर कुछ दिन बाद एक-एक गोली तीन बार कर दें और धीरे-धीरे एक गोली एक बार।
हिमालय की लिव-52, दो गोली हर बार खाने के बाद ले।
लहशुनादि वटी एक-एक गोली तीन बार लें।
एमिल की एमिली क्योर कैप्सूल, सुबह-शाम खाने के बाद ले।
चित्रकादि वटी, एक-एक सुबह-शाल लें।
अविपत्तिकर चूर्ण, खाना खाने के आधे घंटे बाद दो से छह ग्राम लें।
हिंग्वाष्टक, लवणभास्कर चूर्ण या अजमादादि चूर्ण में से कोई एक लें।
योग
आसन-मन्डुकासन, पवनमुक्तासन, नौकासन, धनुरासन, वक्रासन आदि।
प्राणायाम-कपालभाति, अग्रिसार आदि।
इसके अतिरिक्त आप कुन्जल एवं शंखप्रच्छालन का भी प्रयोग कर सकते हैं।
होम्योपैथिक
नीचे लिखी दवाओं में से कोई एक दवा की पांच-पांच गोलियां दिन में तीन बार लें।
गैस ऊपर की ओर जोर मारे और डकारें आएं तो कार्बोवेज-30 लें।
गैस पास हो रही हो, तो लाइकोपोडियम-30 लें।
गैस पेट में घूम रही हो साथ ही पास भी हो रही हो और डकारें भी आ रही हों, या फिर गैस रूक जाए, पेट फूल जाए और अफारा भी हो तो सिंकोना ऑफ या चाइना-30 लें।
ऐसे लोग, जिन्हें घबराहट के साथ जोर-जोर से डकारें आती हों, अर्जेटम नाइट्रिकम लें। प्रस्तुति: अरूण तिवारी, प्रैसवार्ता
गैस यानी बीमारियों की जड़: पेट गेस को अधेवायु बोलते हैं। यह पेट में बनी रहे तो कई बीमारियां हो सकती हैं,जैसे एसिडिटी, कब्ज, पेटदर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, बेचैनी आदि। लंबे समय तक गैस को रोके रखने से बवासीर भी हो सकती है।
गैस है, कैसे पहचानें: पेट में दर्द, पेट से गैस पास होना, डकारें आना, छाती में जलन, अफारा। इसके अलावा, जी मिचलाना, खाना खाने के बाद पेट ज्यादा भारी लगना और खाना हजम न होना, भूख कम लगना, पेट भारी-भारी रहना और पेट साफ न होने जैसा महसूस होना।
किससे बनती है गैस
गलत खानपान
शराब पीने से।
मिर्च-मसाला, तली-भुनी चीजें ज्यादा खाने से।
राजमा, छोले, लोबिया, मोठ उड़द की दाल, फास्ट फूड, ब्रेड और किसी-किसी को दूध या भूख से ज्यादा खाने से।
खाने के साथ कोल्ड ड्रिंक लेने से।
तला या बासी खाना लेने से।
गलत लाइफस्टाइल
टेंशन रखने से।
देर से सोने और सुबह देर से जागने से।
खाने-पीने का टाइम फिक्स्ड न होने से।
बाकी वजहें
लिवर में सूजन, गॉल ब्लैडर में स्टोन, अल्सर या मोटापे से
डायबीटीज, अस्थमा या बच्चों के पेट में कीड़ों की वजह से।
अक्सर पेनकिलर खाने से।
कब्ज, अतिसार, खाना न पचने व उलटी की वजह से।
जांच के 3 तरीके
एंडॉस्कोपी, ब्लड टेस्ट और बैक्टीरिया टेस्ट
क्या है इलाज
आयुर्वेद
नीचे लिखी दवाओं में से कोई एक दवा अजमा सकते हैं-
गैसांतक वटी। शुरू में दो गोली दिन में तीन बार गर्म पानी से खाने के बाद लें, पर कुछ दिन बाद एक-एक गोली तीन बार कर दें और धीरे-धीरे एक गोली एक बार।
हिमालय की लिव-52, दो गोली हर बार खाने के बाद ले।
लहशुनादि वटी एक-एक गोली तीन बार लें।
एमिल की एमिली क्योर कैप्सूल, सुबह-शाम खाने के बाद ले।
चित्रकादि वटी, एक-एक सुबह-शाल लें।
अविपत्तिकर चूर्ण, खाना खाने के आधे घंटे बाद दो से छह ग्राम लें।
हिंग्वाष्टक, लवणभास्कर चूर्ण या अजमादादि चूर्ण में से कोई एक लें।
योग
आसन-मन्डुकासन, पवनमुक्तासन, नौकासन, धनुरासन, वक्रासन आदि।
प्राणायाम-कपालभाति, अग्रिसार आदि।
इसके अतिरिक्त आप कुन्जल एवं शंखप्रच्छालन का भी प्रयोग कर सकते हैं।
होम्योपैथिक
नीचे लिखी दवाओं में से कोई एक दवा की पांच-पांच गोलियां दिन में तीन बार लें।
गैस ऊपर की ओर जोर मारे और डकारें आएं तो कार्बोवेज-30 लें।
गैस पास हो रही हो, तो लाइकोपोडियम-30 लें।
गैस पेट में घूम रही हो साथ ही पास भी हो रही हो और डकारें भी आ रही हों, या फिर गैस रूक जाए, पेट फूल जाए और अफारा भी हो तो सिंकोना ऑफ या चाइना-30 लें।
ऐसे लोग, जिन्हें घबराहट के साथ जोर-जोर से डकारें आती हों, अर्जेटम नाइट्रिकम लें। प्रस्तुति: अरूण तिवारी, प्रैसवार्ता
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