बठिण्डा(प्रैसवार्ता) ड्रग कंट्रोल ऐक्ट अनुसार दवाईयां बेचने का कारोबार केवल डिप्लोमा होल्डर फार्मासिस्ट ही कर सकता है, जबकि उसके लाईसैंस या सर्टिफिकेट पर किसी ओर को दवाइयां बेचने का अधिकार नहीं है, परन्तु बठिण्डा जिला में सब कुछ उल्टा-पुल्टा हो रहा है। कुछ फार्मासिस्टों ने अपने लाईसैंस या सर्टिफिकेट कर दे रखे हैं-जबकि कई दवा विक्रेताओं के पास लाईसैंस या सर्टिफिकेट है-ही नहीं, परन्तु फिर भी वह अंग्रेजी दवाइयां धड़ल्ले से बेच रहे हैं। ''प्रैसवार्ता'' को मिली जानकारी अनुसार ड्रग ऐक्ट अनुसार दवाइयों की दुकान में कोई अन्य कारोबार नहीं किया जा सकता, परन्तु जिला बठिण्डा में कुछ दवा विक्रेताओं की दुकानों पर एस.टी.डी, मोबाइल रिचार्ज इत्यादि का काम हो रहा है, जिनका प्रयोग दवा विक्रेता नशीली, नकली, प्रतिबंधित तथा एक्सपायरी डेट की दवाएं छिपाने का इस्तेमाल करते हैं। ड्रग ऐक्ट के अनुसार दवा विक्रेता सिर्फ डाक्टर की पर्ची पर ही दवा देने का अधिकार रखते हैं और बेची गई दवाई का कैश-मीमो देना अनिवार्य है-जिसमें डाक्टर का नाम, दवाई का नाम, बैच नंबर, उत्पादन तैयार करने वाली फर्म का नाम, तिथि और मूल्य दर्ज होना चाहिये, परन्तु जिला बठिण्डा में ऐसा नहीं हो रहा। कुछ प्राईवेट अस्पतालों तथा क्लिनिकों में भी दवा बिक्री की दुकानें हैं, जहां डाक्टरों को मिलने वाले सैंपलों तक की बिक्री होती है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ''प्रैसवार्ता'' को बताया कि नशीले पदार्थ अफीम, गांजा, भुक्की, चरस, स्मैक इत्यादि पकडऩे का अधिकार तो पुलिस प्रशासन के पास है, परन्तु नकली या नशीली दवाइयों की जांच व निरीक्षण ड्रग इंस्पैक्टर के पास है, जिस कारण पुलिस कार्यवाही करने में असमर्थ है।
Wednesday, January 27, 2010
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गूंजता रहेगा सदियों तक आज ऐसा आगाज लिख देंगे,लहू के हर कतरे से" छात्र एकता" जिंदाबाद लिख देंगे !!!#SOPU
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