जाने माने पत्रकार चन्द्र मोहन ग्रोवर कहते हैं कि इसमें कोई संदेह की गुंजाईश नहीं, कि पत्रकारिता स्कैण्डलों के पीछे ज्यादा भाग रही है, भले ही यह समय की जरूरत है, परन्तु इस वजह से अन्य पहलुओं की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। देश की स्वतंत्रता उपरांत राजनीतिक लोगों का पत्रकारिता में प्रवेश ज्यादा बढऩे की वजह से पत्रकारिता अपने लक्ष्य से अवश्य भटकी है, परन्तु समूचे पत्रकार जगत को इसका दोषी मानना सरासर अन्याय है। अखबारी जगत से जुड़े कुछ लोगों की मजबूरियां होगी, यह तो माना भी जा सकता है, मगर मजबूरियों के आगे हथियार डालना भी तो उचित नहीं, बल्कि मजबूरियों से सम्मानजनक समझौता भी तो हो सकता है। पत्रकार ग्रोवर के अनुसार अखबार को निस्पक्ष होना चाहिये, क्योंकि वह समाज का आईना है अत: उसकी जिम्मेवारी बनती है कि वह समाज को रास्ता दिखाये। इतिहास साक्षी है कि पत्रकारों ने दुनिया के इतिहास को बदला है और यही वजह है कि सभी क्षेत्रों से जुड़े लोग पत्रकारों से मार्ग दर्शन लेते हैं। स्वार्थ के लिए पत्रकारिता का लिबादा औढऩा राष्ट्र, समाज व मानवता से अन्याय है। अखबार वही प्रगति करता है, जो समाज की नब्ज पहचानता है। सत्य व निस्पक्ष समाचारों से अखबार की विश्वसनीयता बढ़ती है और जनता का स्नेह, सम्मान भी मिलता है। जागृत समाज को इस संबंध में सतर्क रहना चाहिये, ताकि कोई गलत तत्व पत्रकारिता में घुस कर समाज के आईने पर घूल न जमा जाये। अखबार आज जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। पत्रकार यदि सत्यता और समर्पित भावना से खबरों का प्रकाशन करेंगे, तो पाठक संख्या कारोबार बढऩे के साथ-साथ पाठक विश्वास भी बढ़ेगा, जो कि एक अखबार की जमा पूंजी है। वर्तमान परिस्थितियों की चर्चा करते हुए पत्रकार श्री ग्रोवर कहते हैं समाज के नैतिक स्तर गिरने में बदलाव सिर्फ पत्रकारिता ही ला सकती है और उसके लिए पत्रकारों को आगे आना होगा, भले ही उन्हें कुछ खोना पड़े। वह चाहते हैं कि पत्रकार स्कैंडलों के पीछे न भागकर ऐसा दायित्व निभायें, जिससे राष्ट्र समाज व मानवता का कल्याण हो। -सुभाष बांसल, प्रैसवार्ता
Saturday, January 9, 2010
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