वर्तमान में समाचार और विवरण प्राप्ति के दो ढंग अपनाये जा रहे हैं-परम्परागत और आधुनिक। परम्परागत ढंग से समाचार व विवरण प्राप्ति का मुख्य स्त्रोत, सरकारी सूचना कार्यालय होता है-जबकि सिविल अस्पताल, पुलिस स्टेशन, नगर पालिकाओं के अतिरिक्त सामाजिक, धार्मिक संगठनों व राजनेताओं से समाचार भी मिल सकते हैं। इन स्त्रोतों से प्राप्त होने वाली जानकारी निष्पक्ष व पूर्णात सत्य नहीं होती। इसलिए इसमें पाठक कम रूची लेते हैं, अत: पत्रकारों को इन स्त्रोतों पर निर्भर रहने की बजाये समाचार और विवरण प्राप्ति के लिए आधुनिक ढंग प्रयोग में लाने चाहिए। जिसके लिए उन्हें विशेष लोगों से संबंध और सम्पर्क बनाये रखने के अतिरिक्त किसी भी घटना संबंधी प्रत्यक्षदर्शियों से मिलना चाहिए। कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं-जिसकी सत्यता प्राप्त करना कठिन होता है और घटना से संबंधित भी घटना को छिपाने या दबाने का प्रयास करते हैं, मगर ऐसी घटना की सत्यता तक पहुंचने के लिए जासूसी करनी चाहिए और जिन लोगों पर घटना छिपाने का संदेह हो-उसके दुश्मनों से संपर्क करने से विवरण प्राप्ति हो सकती है। खेलकूद, भाषण, प्रैस संवाददाता सम्मेलन, स्वागत समारोह आदि कार्यक्रमों की रिपोर्ट कार्यक्रम के स्थान पर जाकर करनी चाहिए। समाचार चित्र की प्राप्ति छायाकार के लिए पत्रकार के समाचार पाने से आसान है। कैमरा लेकर घटनास्थल पर जाकर फोटो ली जा सकती है, जिसका विरोध कम होता है। कई बार ऐसा भी होता है कि, पुलिस या भीड़ फोटो नहीं लेने देती, ऐसी स्थिति में गुप्त रूप से, बिना किसी को संदेह होने के, फोटो लेनी चाहिए। प्रैस कार्ड दिखाने पर किसी भी कार्यक्रम में, जहां प्रैस का प्रवेश वर्जित हो, को छोड़कर, जाकर प्रवेश लेने उपरांत फोटोग्राफी की जा सकती है। लोकप्रिय तथा सुप्रसिद्ध व्यक्तियों से आप अपना परिचय देकर छाया-चित्र ले सकते हैं-जबकि कुछ बदनाम तथा अपराधी व्यक्ति छायाचित्र देने से परहेज करते हैं और फोटो लेते समय मुंह ढक लेते हैं। ऐसे व्यक्तियों के छाया चित्र, उन्हें बिना बताये लेने चाहिए। प्रस्तुति:प्रैसवार्ता
Saturday, January 9, 2010
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