झज्जर(प्रैसवार्ता) हरियाणा में पेंशन वितरण में जमकर घपले हो रहे हैं। हालात यह हो गए हैं कि सालों तक घपले के आरोपियों पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती। 2000 से 2002 में झज्जर जिले में पेंशन में 45 लाख रुपये से ज्यादा का घपला हुआ। आज तक यह राशि सरकार के पास वापस नहीं आई। एक अफसर ने सख्ती की तो उसका तबादला कर दिया गया। झज्जर जिले में 2000 से 2002 के बीच बांटी गई पेंशन में जमकर घपला हुआ। पेंशन लेने वालों की संख्या में 1016 लोगों के नाम फालतू जोड़कर उनके नाम पर 23 लाख तीन हजार 800 रुपये हड़प लिए गए। इसके अलावा कई महीने तक पेंशन की राशि ज्यादा निकलवाने के बावजूद कम बांटी गई। जो राशि बच जाती थी उसे सरकारी खाते में जमा नहीं कराया गया। इस तरह 22 लाख रुपये का गोलमाल किया गया। जब शिकायत मिली तो विभाग ने एक टीम गठित कर जांच कराई। जांच दल ने जुलाई 2003 में अपनी रिपोर्ट दी, जिसमें 45 लाख रुपये से ज्यादा का घपला होने की जानकारी दी गई। इसके बाद विभाग ने पुलिस केस भी दर्ज कराया। पुलिस केस का तो अभी फैसला होना है, लेकिन विभाग ने जांच दल की रिपोर्ट पर चार्जशीट जारी की। एक अफसर की चार्जशीट तो वापस ही ले ली, जबकि दो अफसरों की चार्जशीट अभी पेंडिंग है। इसके अलावा एक अकाउंटेंट आरपी लांबा को भी चार्जशीट जारी की गई थी। लांबा पर आरोप था कि 22 लाख रुपये से ज्यादा का घपला हुआ है, जिसके लिए वे भी जिम्मेदार हैं। लांबा पर लगाए गए आरोपों के संबंध में जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट 14 फरवरी 2005 में सौंप दी थी। जांच अधिकारी ने लांबा को दोषी करार दिया। लांबा ने 18 अप्रैल 2006 को जवाब दे दिया, लेकिन विभाग के निदेशक ने कोई कार्रवाई नहीं की। निदेशक ने फाइल पर लिख्चा दिया कि आपराधिक केस अदालत में लंबित है, इसलिए अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए। तब से यह फाइल लंबित रही। पिछले साल सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग के निदेशक पद पर नीलम प्रदीप कासनी को तैनात किया गया। उन्होंने सभी पुराने घपलों की फाइलें खंगाली। झज्जर के 45 लाख रुपये के घपले में एक आरोपी आरपी लांबा को उन्होंने 4 नवंबर 2009 को नौकरी से निकालने का आदेश पारित कर दिया। कासनी ने लिखा, 'आपराधिक केस और विभागीय कार्रवाई अलग-अलग मामले हैं। विभागीय जांच में लांबा दोषी साबित हो चुके हैं। इस मामले को लंबित रखने से कोई लाभकारी उद्देश्य साबित नहीं होगा। इसलिए लांबा को नौकरी से बाहर किया जाता है।' आदेश के बाद कासनी का तबादला कर दिया गया। दूसरी ओर लांबा ने इस आदेश के खिलाफ विभाग के वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव धनपत सिंह के पास अपील दायर कर दी है। लांबा की दलील है कि घपले में संलिप्त अन्य अफसरों पर कार्रवाई नहीं हुई, उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है।
Friday, January 22, 2010
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