भारतवर्ष में सदियों से पकवानों में गुड़ का प्रयोग होता आ रहा है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में गुड़ का हलवा, गज्जक, गुलगुले, शकरपारे, लड्डू तथा चाय गुड़ से ही बनती है। गुणों की खान गुड़ की पौष्टिकता से अनजान शहरी लोग ज्यादातर चीनी प्रयोग में लाते हैं, परनतु शायद वह चीनी प्रयोग से होने वाली क्षति के बारे अनभिज्ञ है। मनुष्य शरीर के लिए गुड़ हर दृष्टि से लाभदायक है। यदि गुड़ खाने उपरांत दांतों की अच्छी तरह से सफाई कर ली जाये, तो यह दांतों को भी नुकसान नहीं पहुंचाता। गुड़ में गुलुकोज 29 प्रतिशत, खनिज द्रव 3.29 प्रतिशत, पानी 8.66 प्रतिशत, शुक्रोज 29.70 प्रतिशत के अतिरिक्त लोहा, प्रोटीन, आयोटीन, विटामिन ऐ और बी कम्पलैक्स भी भरपूर मात्रा में होता है। गुड़ में मौजूद तत्व शरीर को गर्माइश पहुंचाते हैं और खून की कमी को दूर करते हैं। हड्डियों को पोषण उपलष्ब्ध करवाने के साथ-साथ स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने में गुड़ की विशेष भूमिका होती है। यदि गुड़ के गुणों को आयुर्वेदिक औषधी के रूप में देखा जाये, तो गुड़ खून और चर्बी बढ़ाने के अतिरिक्त शरीर को फर्तीला और सुंदर बनाता है। गुड़ दिल के लिए लाभदायक है, रोग नाशक है और मलमूत्र रोग, थकावट को दूर करने के साथ-साथ पाचन शक्ति बढ़ाता है। सौंफ के साथ गुड़ खाने पर वात रोग, हरड़ के साथ खाने पर पित रोग और अदरक के साथ खाने से गुड़ कफ रोग में लाभदायक है। पांडू रोग, सास रोग, खुजली दूर करने वाला गुड़ मधुमेह नाशक और त्रिदोश नाशक माना गया है। जरूरत से ज्यादा गुड़ का सेवन नुकसानदायक भी है। -रजनी मिश्रा (प्रैसवार्ता)
Wednesday, January 20, 2010
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