चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) हरियाणा में ऐतिहासिक धरोहरों की हिफाजत के नाम पर स्थानीय प्रशासन सिर्फ आंखों में धूल झोंक रहा है। जिसके चलते हरियाणा के 2295 धरोहरों पर अतिक्रमण हो गया हैं। यह जानकारी भारतीय पुरातत्व विभाग के सुपरिटेंडिंग आर्कियोलाजिस्ट एसएच केसरवानी ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस मुकुल मुदगल और जस्टिस जसबीर सिंह की खंडपीठ के समक्ष हलफनामा दायर कर के दी। दायर हलफनामे के अनुसार भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) उन सभी इमारतों और स्थानों से अतिक्रमण हटाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है जिन इमारतों को केंद्र सरकार ने संरक्षित धरोहर का दर्जा दिया है। एएसआई ने कहा कि जिलों के उपायुक्त इसमें कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। ऐसे में कुल 1405 कारण बताओ नोटिस जारी किए जा चुके हैं। जब एएसआई की टीम 28 अक्तूबर को हांसी स्थित पृथ्वी राज चौहान किले से अतिक्रमण हटाने के लिए जेसीबी मशीन के दस्ते के साथ गई तो जिले के डीसी और अन्य अफसर दूर खड़े होकर चुपचाप देख रहे थे। इसी बीच भीड़ ने उन पर हमला कर दिया जिस कारण इस अभियान को बीच में छोडऩा पड़ा। प्रशासन ने न तो उन्हें उपयुक्त सुरक्षा मुहैया करवाई और न ही मुहिम में कोई रुचि ली। ऐसे में एएसआई की टीम को चोटें भी लगी। वहीं, जिला रोहतक में ऐतिहासिक धरोहर खोकराकोट में अतिक्रमण करने पर 74 कारण बताओ नोटिस चस्पा किए गए। फरीदाबाद के मुगल ब्रिज स्थित बुधिया का नाला में अतिक्रमण हटाने के लिए 17 और 18 फरवरी का समय रखा गया है। राजा हर्ष का टीला, थानेसर से अतिक्रमण हटाए जाने का अभियान दो और तीन फरवरी को चलाया जाएगा। ऐसे ही भिवानी में नौरंगाबाद, सिरसा स्थित थेर माउंड और गुडग़ांव की अली वर्दी खान सराय मस्जिद में अतिक्रमण हटाए जाने का अभियान भी चलाया जा रहा है। ऐसे में मांग की गई है कि एएसआई की टीम को अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान उचित सुरक्षा मुहैया करवाई जाए। गौरतलब है कि हाईकोर्ट में पंजाब एवं हरियाणा के ऐतिहासिक धरोहरों संभाले जाने के संबंध में याचिका दायर की गई थी।
Friday, January 22, 2010
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