चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) पी.जी.आई. चंडीगढ़ में दो दिसंबर से इंसुलिन लेने वाले डायबिटीज के रोगियों का स्टेम सेल के माध्यम से उपचार शुरू हो रहा है। इस नई तकनीक से पहले चरण में 30 रोगियों का उपचार किया जायेगा, जिनका पंजीकरण हो चुका है। पी.जी.आई के एंडोक्राइनोलोजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अनिल भांसली ने ''प्रैसवार्ता'' को बताया कि दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी व मुकाबला करने के लिए उनकी टीम तैयार है और आरंभ में एक सप्ताह के भीतर दो रोगियों का उपचार किया जायेगा। प्रथम दौर में 30 रोगियों के ही उपचार पर उन्होंने बताया कि दरअसल ऐसे रोगियों की निगरानी एक वर्ष तक रखी जायेगी और उसके बाद ही अगले चरण में उपचाराधीन रोगियों की संख्या बढ़ाई जायेगी। प्रोफैसर भांसली के अनुसार इस विधी से डायबिटीज के इलाज पर मात्र बीस हजार रुपये खर्चा आता है। उपचार दौरान रोगियों को तीन मास के लिए कुछ दवाएं दी जायेंगी और फिर बोनमैरो से स्टेम सेल निकाली जायेगी। स्टेम सेल निकालने उपरांत रोगी को अस्पताल में भर्ती कर एक दिन में पैन क्रियाज में स्टेम सेल से बनाया गया। इंजैक्शन लगाया जायेगा। यह स्टेम सेल वहां नई बीटा सेल विकसित करने में मददगार होगी, क्योंकि यही बीटा सेल इंसुलिन बनाती है। जिक्र योग है कि मधुमेह में बीटा सेल के नष्ट होने की वजह से ही इंसुलिन नहीं बन पाता है। दुनिया भर में स्टेम सेल को लेकर को बनी चुनौती, कहीं जरूरत से ज्यादा नई कोशिकाएं न बना दें, जो बाद में टयूमर का रूप लेकर नई समस्या उत्पन्न न कर दे, को लेकर कई शंकाएं भी हैं।
Monday, November 30, 2009
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