इसमें उपस्थित कैरोटीन रतौधी एवं कैंसर रोग को दूर करने में सहायक है। इसमें पाये जानेवाले थियामीन एवं राइबोफ्लविन शरीर की विभिन्न अनियमितताओं को दूर करने में सहायक होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने, अर्श, क्षय रोग, अम्ल पित्त आदि रोग में गाजर का सेवन लाभप्रद माना गया है। शरीर के विकास, त्वचा की कोमलता, आंखों की रोशनी एवं पाचन तंत्र के लिए गाजर को अच्छा माना जाता है। छोटे बच्चों को गाजर का रस पिलाने से उनको पाचन संबंधी शिकायत नहीं होती है। बिना मुंह के फोड़ों पर गाजर को उबाल कर इसकी पुल्टिस बनाकर बांधने से फोड़ा फूटकर ठीक हो जाता है। गाजर के एक-एक कप रस को नित्य सुबह-शाम पीने से पत्थरी की शिकायत नहीं होती है। खूनी बवासीर की स्थिति में रोगी को घी या तेल में बने गाजर के साग को अनार के रस और दही के साथ मिश्रिम करके सेवन करने से लाभ होता है। गाजर के बीजों को पानी में उबालकर महिलाओं को देने से उनकी मासिक धर्म की अनियमितता की समस्या से उन्हें निजात दिलाया जा सकता है। बनाये कांजी एवं कचूमर- कांजी- इसे बनाने के लिए काली अथवा गहरा कत्थई गाजर के टुकड़े करके उसे राई के साथ घोंटा जाता है एवं उसका पये पदार्थ बना लिया जाता है। कचूमर- गाजर को कद्दूकस में कसकर इसमें नमक, काली मिर्च, जीरा, हरा धनिया तथा हरी मिर्च को मिलाकर कचूमर तैयार किया जाता है। -जसप्रीत सिंह (प्रैसवार्ता)
Wednesday, November 18, 2009
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nice
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