लीक अब हिन्दी में ज्यादा और अंग्रेजी में कम उपयोग होता है। ''लीक'' अंग्रेजी का शब्द है जिसके हिन्दी में मायने होते हैं छेद, दरार, रिसना, प्रकटन, रहस्योदघाटन इतयादि। भारत देट इज इंडिया में हर माह कुछ न कुछ लीक होता रहता है अत: भारत कृषि प्रधान न होकर लीक प्रधान देश hai जुलाई अगस्त में गरीब की छत लीक होती है। पूरी बरसात वह छत ठीक करता रहता है और वह लीक करती रहती है। पूरी बरसात वह बिस्तर सरकाता रहता है। यदि किस्मत से उसके पास मच्छरदानी हुई तो वह पानी से बचने के लिए उसके ऊपर बरतन रख देता है। टपकने वाली छत पर टपका होता है। टपके से पानी टपकता है कभी-कभी सांप भी टपक जाते हैं। सरकारी बिल्डिंग की छतें तो बूंदे टपकाने की जगह पानी की धार टपकती है। बाहर कम, उसके अंदर ज्यादा पानी गिरता है और पानी कम, सरकारी छतें ज्यादा पानी गिराती हैं। हर कर्मचारी भर्तहरी बन जाता है। छत को हाथों का सहारा न दो तो सिर पर छतें गिरती हैं। दिसम्बर जनवरी में फटी छत से तारे झांकते हैं और ठण्ड बंदूक की गोली की तरह जिस्म भेदती है। फटे कोट ठण्ड को जिस्म से दूर रखने में अक्षम होते हैं। फरवरी बजट लीक होने का मौसम होता है। बजट लोक सभा में रखे जाने के पहले ही लीक हो जाता है, फिर आरोप प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो जाता है। असत्ता रूढ़ दल कहता है कि बजट मंत्री ने लोकसभा के पहले उद्योगपतियों को बजट लीक कर दिया। सत्तारूढ़ दल, असत्ता रूढ़ दल के उन सदस्यों पर आरोप लगता है, जो पहले सत्तारूढ़ दल थे। असत्ता रूढ़ दल, सत्तारूढ़ दल के असन्तुष्ट धड़े, की सराहना करता है। मालूम नहीं पड़ता कि कौन किसकी तरफ है इस समय समाचार पत्र, असंतुष्ट धड़े, विरोधी दल, उद्योग पतियों और जनता के आंखों के तारे और सत्तारूढ़ दल की आंखों की किरकिरी बन जाते हैं, फिर आता है प्रश्र पत्रों के लीक होने का मौसम। इस समय भी समाचार पत्रों की चांदी रहती है, मैं तो कहूंगा कि प्लेटीनम रहती है। समाचार पत्र प्रश्र पत्र लीक भी करते हैं और विश्वविद्यालयों की बुराई भी। इसके कहते हैं, जिस थाली में खाना उसी में छेद करना। प्रश्र पत्रों के लीक होने का मौसम फरवरी में चालू होता है और जुलाई तक चलता है। इसी बीच रिजल्ट भी लीक होता रहता है। बारहों महीने फिल्मों में हीरोइन का जिस्म लीक करता रहता है। यदि उसके कपड़े नहीं फटे होते तो सिनेमा घर का पर्दा फट जाता है। अब तो नेताओं के ड्राइंग रूप और सेलीब्रिटीज के बेडरूप लीक करने लगे हैं। ''प्लान्टेड कैमरे'' गोया उनके घरों के छेद हैं, जिसमें रिश्वत और न जाने क्या-क्या गुप्त कीचड़ समाज बाहर से देख रहा है। अब आत्मा के अलावा कुछ भी गोपनीय नहीं रहा। वह भर माया से ''फूल प्रूफ '' ढंकी है। सरकारी नौकरी में एक शब्द है गोपनीय प्रतिवेदन। वह तो इतना गोपनीय है कि सचिवालय के पास की पान और दालचूड़े की दुकानों पर टंगा रहता है। एक शासकीय कर्मचारी तो जिस कागज पर रख कर समोसा खा रहा था, वह उसका गोपनीय प्रतिवेदन ही था। हमारी सेना के गोपनीय भेदों का क्या कहना? जो भेद सेना के अधिकारियों को नहीं मालूम रहते वे पड़ोसी देशों को मालूम रहते हैं। हमारी सैनिक योजनायें हमें दुश्मन देशों से खरीदनी पड़ती है। जो गोपनीय रहना चाहिये वह समाचार पत्रों और टी.व्ही. के माध्यम से सड़कों पर बह रहा है। अब तो सूचना को व्यक्ति से छिपाने के स्थान पर सूचना से व्यक्ति को बचाना मुश्किल पड़ रहा है। समाचार पत्र व्यक्ति और संस्था के विज्ञापन हो गये हैं और विज्ञापन जनता के सूचना और समाचार। -कौशल किशोर श्रीवास्तव(प्रैसवार्ता)
Tuesday, November 17, 2009
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