सिरसा (प्रैसवार्ता) जिला सिरसा के ग्राम सुखचैन, लकड़ांवाली, कुरंगावाली, झोरड़ नाली व गदराना में प्राचीन काल से गूंगी माई की पूजा हो रही है। ''प्रैसवार्ता'' को एक विशेष भेंट में सुखचैन निवासी करनैल सिंह ने बताया कि इन ग्रामों में शादी होने पर ग्राम में ही बने माई के मंदिर में पूजा की जाती है और ग्राम में बारात चढऩे से पहले तथा दुल्हन के आगमन पर पहले गूंगी माई की पूजा की जाती है, क्योंकि इन ग्रामों की मान्यता है कि यदि नई नवेली दुल्हन गूंगी माई की पूजा नहीं करती, तो उसका बोलना बंद हो जाता है और वह गूंगी हो जाती है। सिर्फ इतना ही ग्राम में अगर कोई व्यक्ति मकान, दुकान व रसोई इत्यादि बनाता है, तो उसके ऊपर माई की एक मट्टी बनाई जाती है। ऐसा न करने पर छत गिर जाती है और ऐसी कई घटनाएं घट भी चुकी हैं। ग्राम में हर महीने की सप्तमी के दिन लोग खीर बनाकर माई की पूजा करते हैं और समस्त ग्राम वासियों के सहयोग से माई के दरबार में सालाना पूजन भी किया जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे दिल से मांगी गई मन्नत पूरी होती और माई मंदिर के परिसर में गलत काम करने वालों को सजा स्वयं माई देती है। कारण भले ही कुछ रहे हों, मगर उपरोक्त ग्रामों में माई की पूरी मान्यता है।
Monday, November 16, 2009
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