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Friday, November 13, 2009

नाम भी रखे जाते हैं कुछ तरह-तरह के

इस अजब अनोखी दुनिया के खेल भी निराले हैं या यूं कहे कि सारी दुनिया इन कारनामों से भरी हुई है। चर्चा में बने रहने के लिए अनेक लोग विलक्षण कारनामों को अंजाम देते हैं, तो कोई अपने तरह-तरह के अजीबो गरीब नाम की बदौलत अपनी अलग पहचान बनाए रखता है। नामों से जुड़ी कुछ अजब गजब घटनाएं देखे मुहम्मद नाम मलेशिया में काफी प्रचलित है तथा वहां पर यह विविध तरीकों से लिखा जाता है। इन विविध हिज्जो की वजह से मलेशिया में भारी प्रशासनिक समस्या उत्पन्न हो गई। वहां के प्रशासन ने मुहम्मद नाम के लिए विशेष स्पलेलिंग निर्धारित कर दी, और आज सभी मोहम्मद या मुहम्मद एक ही प्रकार से लिखते हैं। कुछ समाचार पत्रों का प्रकाशन चांदी का जूता, बीच का रास्ता, चीखती आवाज, खौफनाक, जवाब तलब, अब नहीं होगा भ्रष्टाचार, भभक और भ्रष्टाचार की चांदी जैसे शीर्षक नामों से भी हुआ है। भारत के श्रीस्वामी लंदन में सैमी बर्मा में सामी, पीनांग में सेमी, मारीसर में शॉ मी और मास्कों में शाए मेन कह कर बुलाये जाते हैं। अमरीका में ए बी और सी जैसे नाम भी रखे जाते हैं। वहां क्यू के अतिरिक्त अंग्रेजी वर्णमाला के सारे अक्षरों वाले नाम पाये जाते हैं। जापान के एक छोटे बैंक ने अपना नाम टोमेटो बैंक रख दिया। वहां के कम पूंजी वाले बैंकों से व्यापारिक टक्कर लेने की क्षमता नहीं होती, अत ये बैक, हैप्नीनैस, फैमिली जैसे आकर्षक नाम रख लेते हैं। अरब फिलिस्तीन संघर्ष के परिणामस्वरूप कुछ फिलिस्तान अपने बच्चे के नाम विक्ट्री, रिवोलयूशन, स्ट्रगल, सेक्रीफाईस, विक्ट्रीशी, फ्रीडम आदि रखने लगते हैं। कुवैत इराक युद्ध में बच्चों के नाम सद्धाम नाम को तो स्वीकृत कर लिया गया, परन्तु वहां के अधिकारियों ने एक इराकी मिसाइल स्कड के नाम पर बच्चों के नाम रखने के लिए स्वीकृति नहीं दी। प्रशांत महासागर में यू नामक द्वीप है, डेनमार्क और नार्वे में ए नाम वाले स्थान भी मौजूद हैं। थॉमस ली (चीन) ने अपने एक पुत्र का नाम इतना लंबा रखा कि उसे पूरा नाम बुलाने के लिए अपने पास एक टेप कैसेट हमेशा रखनी पड़ती थी। इसे बुलाने के लिए थॉमस ली टेप बजा दिया करता था। अपने सभी परिचितों और रिश्तेदारों को भी थॉमस ली ने अपने पुत्र का नाम टेप की हुई कैसेट दे रखी थी। ली के अमुक पिता का अनुसरण करते हुए ली के पुत्र ने सभी अपने पुत्र का लांबा चौड़ा नाम रखा, और इसे बुलाने और याद रखने के लिए अपने पिता का ही तरीका अपनाया। इतना ही नहीं, इसके पुत्र के पुत्र ने भी अपने पिता के कारनामे को आगे बढ़ाते हुए इस परंपरा का निर्वाह किया और चर्चा में बना रहा। -स्वदेश (प्रैसवार्ता)

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