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Friday, November 13, 2009

बिहार के चिकित्सक नहीं कर सकते किसी अन्य राज्य में प्रेटिक्स

बठिण्डा(प्रैसवार्ता) आयुर्वेदिक चिकित्सा के नाम पर पूरे देश में कहीं भी बिना डिग्री या प्रमाणपत्र के इलाज करना गैर कानूनी है और ऐसे आयुर्वेदिक चिकित्सकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो सकेगा। बिहार राज्य में निबंधित आयुर्वेदिक चिकित्सकों को महाराष्ट्र में प्रैक्टिस करने से रोकते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, कि आयुर्वेदिक चिकित्सक सिर्फ तभी पूरे देश में प्रैक्टिस कर सकते हैं, जब उनकी शैक्षिक योग्यता भारतीय केन्द्रीय औषधि परिषद् कानून (आईएमसीसीए) के तहत मान्य है। फिलहाल होता है कि किसी एक राज्य से मान्यता प्राप्त आयुर्वेदिक चिकित्सक पूरे देश में कहीं भी प्रैक्टिस शुरू कर देता है, लेकिन यह आई.एम.सी.सी.ए के नियमों के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीश अरिजत पसायत मुकंदकम शर्मा की पीठ ने कहा कि ऐसा करना अवैध है। आईएमसीसीए की नियमावाली के खंड- 29 के अनुसार देश के किसी भी राज्य में उसे प्रैक्टिस करने का अधिकार है, जिसका नाम केन्द्रीय पंजी में दर्ज है। इस पंजी के नाम दर्ज करवाने के लिए नियम है कि खंड 2 (1) (एच) के अनुसार उसकी शैक्षिक योग्यता होनी चाहिए। इस खंड में दिए गए नियमानुसार शैक्षिक योग्यता और जिस संस्था से शिक्षा ग्रहण की गई, उसे आयुर्वेदिक प्रशिक्षण देने के लिए परिषद से मान्यता का निर्धारण होता है। आयुर्वेदिक इनलिस्टड डाक्टर्स एसोसिएशन ने महाराष्ट्र सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी थी, जिमसें उसने उन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने का फैसला लिया था, जो बिना आईएमसीसी में निबधन के राज्य में मरीज देख रहे थे। अपील करने वाले डाक्टरों का कहना था, कि वे बिहार डिवैलमैंट ऑफ आयुर्वेदिक एंड यूनानी सिस्टम ऑफ मैडिसन एक्ट 1951 (द बिहार एक्ट) के तहत निबंधित हैं। अपील कर्ताओं का यह भी कहना था, कि वे बिहार स्टेट कोसिंल ऑफ आयुर्वेदिक एंड यूनानी मैडिसन (द कांऊसिल) की शर्तों को पूरा करते हैं और उनके नाम भी कांऊसिल में दर्ज हैं, परन्तु माननीय सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलील को ठुकरा दिया, जिक्र योग है कि बिहार राज्य में रिश्वती लेन-देन के चलते प्रोक्सी सिस्टम के जरिए देश भर में हजारों लोगों के पास डिग्रीयां हैं, जो कि अमान्य है।

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