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Thursday, November 19, 2009

मां और सुखी दांपत्य जीवन

जन्नत मां के पैरों के नीचे रहना नहीं चाहती और मां जन्नत को बाजू में बिठाना नहीं चाहती। इन दोनों जन्नतों के बीच में मैं यानि कि दोनों से जन्नत चाहने वाला इस तरह पिसता है कि तो आटा बनता हूं और साबुत बचता हूं। यानि कि टुकड़े-टुकड़े हो जाता है। इस बार मेरी बीबी की सास जब तशरीफ लाईं तो मेरी बीबी यानि पत्नी यानि अद्र्धांगिनी यानि मालूम नहीं क्या kyaa ने आगे बढ़ कर प्रसन्नता पूर्वक उनका स्वागत किया। मैं तो अंदर तक कांप गया। मैं दौड़ कर मां के लिए पानी लाया तो मां चीखी बहू देखो भैया को पानी लाना पड़ा। बिचारे को बजन लग रहा होगा। पत्नी ने मां के चाच पांच होल्डाल वहीं पटके और पानी से भरा एक मटका उठा लाई और बोली लीजिये मुझे बजन नहीं लग रहा। फिर मुझे आदेश दिया बाथरूम से दो बाल्टी उठाकर लाओ और बगीचे में पानी डालो और तुम्हें मेरी कसम हर एक बाल्टी मां के सामने से ही ले जाओगे। मैं समझ गया कि चक्कियां चलना चालू हो गई हैं। मैं दो पाटों से ज्यादा से ज्यादा बचने की कोशिया करने लगा। सुबह मां बरतन मांजने वाली बाई के सामने कुर्सी रखकर बैठ गई, फिर उसको डांटने लगी, ये बरतन मांजने का तरीका है। बरतन इतने घिसने चाहिए कि दस दिन में उनकी पेंदी ही गायब हो जाये। बरतन वाली मेरी पत्नी से बोली, ये कैसी सास है। ऐसी सास के कारण तो मैं अपने घरवाले को छोड़कर भाग आई। ऐसी सास को छोड़कर दूसरों के बरतन मांजना अच्छा। दीदी अब जब तक आपकी सास आपके पास है तब तक मैं नहीं आउंगी बाकी बचे बरतन आप मांज लेना। आप मेरी मानो तो सास के कारण साहब को छोड़कर भाग जाओगे। मेरी बीबी मुझसे चिढ़कर बोली जब तक बरतन मांजने वाली नहीं आती तब तक तुम बरतन मांजोगे, या मैं पैसे देती हूं तुम मां जी के साथ हिल स्टेशन चले जाओ। मुझे बरतन मांजते देख अम्मा चिल्लाई, बहू क्या कलयुग गया है। पति बरतन मांज रहा है और बीबी ब्यूटी पार्लर जा रही है। पत्नी चिढ़कर बाली ये कलयुग आपकी वजह से आया है। आप वापिस चली जाओगी तो कलयुग भी वापिस चला जायेगा। शहर में पति मिलना सरल है पर काम वाली बाई मिलना मुश्किल। खाना खाते समय पत्नी ने सास को बुलाया तो मां बोली, रुक जाआ मैं भैया के साथ ही खाना खाउंगी। भैया दुबला होता जा रहा है। देखना चाहती हूं कि क्या कारण है। कारण है कि मैं दिन भर बादाम वगैरा खाती रहती हूं और इन्हें कुछ नहीं खिलाती। पत्नी चिढ़कर बोली। मां मेरे साथ ही खाना खाने बैठी जब पत्नी ने उन्हें आम खाने दिया तो उन्होंने सरका दिया और बोली भैया को दो। बीबी ने उन्हें गुस्से में फ्रिज खोलकर दिखा दिया जिसमें आम ही आम भरे हुये थे। मां प्रभाव में आने वाली नहीं थी। बोली इन्हें सेंत कर रखने से क्या फायदा? भैया को खाने दिया करो। पत्नी ने चिढ़ कर सारे दस किलो आम मेरे आगे पटक दिये और सामने शेरनी की तरह बैठ गई और बोली, ये पूरे तो तुम्हें अभी खाना ही है कल और लाओगे और तुम्हारी मां के सामने बैठकर रोज खाया करोगे। मां संतुष्ट होकर चली गई। दूसरे दिन मां कपड़े धोने वाली बाई के सामने बैठ गई। पत्नी से पूछा, इन्हें कितने रुपये महीने देती हो। पत्नी ने बताया दो सौ रुपये महीने। मां भड़क गई बोली अकेले दो आदमियों के कपड़े के दो सौ रुपये महीने। ये तो तुम भी कर सकती हो क्यों मेरे लड़के के पैसे पानी में बहा रही हो। पत्नी जलती आंखों से मेरी तरफ देखने लगी। मैं सकपका गया। एक दिन मां ने मेरी पत्नी से पूछा, भैया को हलुआ क्यों नहीं खिलाती? पत्नी ने जवाब दिया, इन्हें हलुआ अच्छा नहीं लगता। मां ने कहा तुम्हें अच्छा हलुआ बनाना भी कहां आता है। पत्नी किचन छोड़कर चली गई अब घर में संघर्ष होने लगा कि घर पर यानि कि मुझ पर किसका प्रभुत्व है। मां घर का कोना कोना शरलाक होम्स, की तरह देखती है। उसके कारण हम प्रणय नहीं कर पाते। वह वाल्मीकि द्वारा वर्णित व्याघ्र के बाण की तरह घूमती रहती है। जिससे हम क्रौन्च पक्षी अलग-अलग घायलों की तरह रहते हैं। एक बार उसने बहू को जोर से आवाज लगाई बहू। पत्नी ने जवाब दिया ''आई मां जी।'' मां ने नाराज होकर पूछा, इस जगह तुम्हारे पूज्य ससुर की विशाल तस्वीर थी वह कहां है? पत्नी ने मां की याददाश्त पर आश्चर्य व्यक्त किया। वह करीब पांच साल पूर्व का वाकया था। मां ने फिर सर्कस के रिंग मास्टर की तरह चाबुक फटकारा। मैं पूछती हूं वह पवित्र तस्वीर कहां है? पत्नी ने चिढ़कर जवाब दिया, वह इन्होंने कचरे में फेंक दी। आश्चर्य से मां ने कहा भैया ने फेंक दी? तब कोई बात नहीं। मां घर में ही नहीं पड़ोस में भी मेरे दोस्तों से दुश्मन पैदा करवा रही है। उनका ख्याल है कि लड़कियों की शादी हो ही जाना चाहिए। मेरी पत्नी से तो कहती ही रहती है कि लड़की की शादी कर दो। पत्नी कहती है कि लड़की अपने पैरों पर खड़ी हो जाये फिर शादी कर देंगे। मां ने कहा क्यों दूसरे के पैरों पर खड़ा होने में क्या हर्ज है। उन्होंने पड़ोस की श्रीमति गुप्ता से कहा, लड़की की शादी हो गई?श्रीमती गुप्ता ने किंचित नाराज होकर कहा अभी पांचवी में पढ़ रही है। एक दिन मां ने मेरी पत्नी को पुकारा, बहू, मेरी पत्नी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा प्यारी सास जी इस बार आपने तीन की मात्राएं नहीं लगाई। मां ने धीरे से कहा मैं तुम्हें एक राज की बात बताना चाहती हूं। पत्नी ने फिर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा इस बुढ़ापे में भी कोई राज की बात है? फिर आपकी राज की बातें मैं मुहल्ले वालों से सुन लूंगी। उन्होंने :: बार आपकी राज की बातें सुनी हैं। मां ने कुछ बुरा मानते हुये फुसा कर कहा, मेरी शादी की बातचीत तुम्हारे पिता जी से चल रही थी। मुझे मालुम है। मिसेज मल्होत्रा बतला रहीं थी। मेरे पिताजी बच गये तो आप उनका बदला मुझसे क्यों निकाल रही हैं? पत्नी बोली। इतने में मेरे छोटे भाई का फोन गया कि उसकी पत्नी मायके चली गई है। मां जी को भेजा जा सकता है। हमारे सुखी दांपत्य जीवन के लिए अब हमारी मां के कारण हमारी पत्नियां हमसे अलग रहने लगी हैं। -डॉ. कौशल किशोर श्रीवास्तव (प्रैसवार्ता)

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