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Tuesday, November 17, 2009

युवा वर्ग को साइबर क्राइम की ओर धकेल रहे हैं साइबर कैफे

जयपुर (प्रैसवार्ता) राजस्थान के जयपुर शहर में युवा वर्ग को नीले नशे का आदी बना मोटी कमाई में जुड़े साइबर संचालक सूचना प्रोद्योगिकी तथा कम्प्यूटर शिक्षा के नाम क्राइम की ओर धकेल रहे हैं। कम खर्च में अशील दृश्यों का मजा मिलने तथा टाइम पास होने के चलते युवक-युवतियां सिनेमाघरों और पब्लिक पार्कों के स्थान पर साइबर कैफे को अधिक पसंद करने लगे हैं। शहर के विद्यार्थियों की अधिक आवाजाही वाले स्थानों और पॉश कॉलोनियों में साइबर कैफे की भरमार है। वैशली नगर, सोडाला, राजपार्क, झोटवाड़ा, मानसरोवर, मालवीय नगर क्षेत्रों में सर्वाधिक मात्रा में नीले नशे का व्यापार किया जा रहा है। मात्र दस से बीस रूपए प्रतिघंटा की सस्ती दर से केबिन उपलब्ध कराकर कैफे संचालक युवाओं को आकर्षित करते हैं। केबिन में आजकल युवक-युवतियों गुपचुप करते हुए नजर आते हैं। इंटरनेट पर अश£ील साइटों की भरमार है। इसलिए युवक अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए ब्ल्यू फिल्में देखने कैफे जाते हैं, इस नीले नशे के आदी ज्यादातर स्कूलों-कॉलेजों के विद्यार्थी, आपराधिक प्रवृत्ति के लोग और सांभ्रांत परिवारों के बच्चे और बड़े सदस्य होते हैं। सरकारी खामियों के चलते इस काले व्यापार से जुड़े लोग भावी पीढ़ी को नीले नशे का आदी बनाने के साथ मोटी कमाई कर रहे हैं, साइबर कानूनों के तहत नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान है। भारतीय दण्ड सहिता (आईपीसी) की धारा 292, महिला अशिष्ट रूपण अधिनियम की धारा 416 और साइबर कानून के अनुसार इस तरह के अपराधियों को न्यूनतम तीन वर्ष के कठोर कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। इस सम्बन्ध में साइबर कैफे चलाते हैं। हमें ग्राहक का इंतजार रहता है, हमें यह पता नहीं रहता है, कि केबिन के भीतर युवक-युवतियां क्या करते हैं, क्या देखते हैं। युवक मनीष सिंह और युवती आयुषी, मोनिका ने बताया कि सार्वजनिक जगहों पर खुलकर मिल नहीं सकते, बात नहीं कर सकते, जबकि कैफे में ऐसी बंदिश नहीं होती, पूरी स्वतंत्रता होती है। कैफे से हम यौन शिक्षा की जानकारी भी प्राप्त करते हैं।

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