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Friday, November 13, 2009

पूजा पाठ करने व दान देने से पूर्व सोचें!

पूजा पाठ करने व दान देने से पूर्व जरा सोचें। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार बिना सोचें, समझे और अपनी कुंडली में बैठे ग्रहों के अनुसार पूजा पाठ व दान न करने वाले व्यक्ति को सदैव कठिनाईयां आती रहती है। वास्तव में हर आम और खास आदमी पूजा पाठ या दान अवश्य करता है। भले ही यह पूजा पाठ विधिवत रूप से हो या न हो। दान धार्मिक रूप में हो या महज किसी की सहायता हेतु किया गया हो। आप के जीवन पर इन क्रियाओं का खासा प्रभाव पड़ता है। प्रश्र यह पैदा होता है, कि पूजा पाठ करने और किसी को वस्तु दान देने से पूर्व किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस प्रश्र का उत्तर देने से पूर्व ज्योषि विज्ञान की कुछ आधारभूत बातों पर नजर डालना आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति की जन्म कुंडली में बाहर घर होते हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन रों में मुख्य रूप से कुल नौ ग्रह होते हैं। यह ग्रह कितनी शक्ति के है, किस राशि और घर में है और इस पर किन ग्रहों की दृष्टि है, यह सब बातें इन ग्रहों को शुभ, अशुभ कमजोर या शक्तिशाली बनाती है। आमतौर से ज्योतिष विज्ञान का थोड़ा बहुत ज्ञान रखने वाला कोई भी व्यक्ति आपको बता सकता है कि आपकी कुंडली कौन से ग्रह कमजोर, शक्तिशाली या पापी है। बस आप निश्चित कर सकते हैं, कि आपको किस दृष्टि की पूजा पाठ करनी है और कौन सी वस्तुओं का दान करना है या नहीं करना। यदि आपकी कुंडली में कोई ऐसा ग्रह है, जो आपको कष्ट पहुंचा रहा है, तो आपको उस ग्रह से संबंधित देवी देवता की आराधना करके उन ग्रहों को और अधिक शक्ति प्रदान नहीं करनी चाहिए। कष्टदाई ग्रह की शक्ति बढऩे से आपके कष्ट में इजाफा होगा। दूसरी बात यह है, कि उस ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करें। इससे उस ग्रह की दुष्टता कम होगी और आप का कष्ट कम होगा। मान लो, कि एक व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह दुष्ट रूप में है। ऐसा व्यक्ति यदि लाल वस्त्रों, मीठी वस्तुओं आदि का दान करेगा, तो मंगल के दिन हनुमान का प्रसाद बांटना चाहिए और प्रसाद स्वयं कभी नहीं खाना चाहिए। इसी प्रकार से यदि कोई ग्रह कमजोर है और आपको इच्छित फल की प्राप्ति करवाने में असक्षम हैं, तो आप को संबंधित ग्रह के देवी देवता की आराधना करनी चाहिए और उस ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान कभी न दें। जैसे चंद्र ग्रह कमजोर हो, तो शिव आराधना करनी चाहिए और सफेद वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। जैसे दूध पीना, सफेद वस्त्र पहनना चाहिए। यदि आप अपने चारों तरफ दृष्टि डालें, तो पाएंगे कि कुछ लोग नुकसान उठाने लगते हैं। सट्टे के व्यापार करने वाले व्यक्ति ने अनाप-शनाप धन दौलत कमाई। बाद में उस को शराब की लत लग गई। अब वह अपने शराब खोरे मित्रों को हर रोज शराब पिलाने लगा और देखते-देखते वह दरिद्र होने लगा। किसी ने उसे बताया कि उसके पास धन दौलत आने और बाद में उसके धन हीन शनि का हाथ है। उसने शनि से संबंधित दान प्रांरभ कर दिया। जैसे काले वस्त्र, तेल, काले तिल इत्यादि का, पर उस की आर्थिक हालत खराब हो रही थी। एक दिन किसी ज्योतिषी ने उसकी कुंडली में देखा कि शनि ग्रह से उसे लाभ प्राप्त हो रहा है पर शनि से संबंधित काले वस्त्र, तेल आदि का दान करके शनि की शक्ति को घटा दिया तथा वह दरिद्र होने लगा। जब उसने शनिदेव की आराधना करनी शुरू कर दी, काले कपड़ों को दान देने की बजाए धारण करना शुरू कर दिया। वह जैसी लाभदायक स्थिति की ओर अग्रसर होने लगा। इसलिए किसी भी प्रकार का धन भले ही किसी गरीब को सहायर्थ दिया गया, उपहार क्यों न हो देने से पूर्व अपनी जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति को अवश्य जान लो। यदि चंद्रग्रह कमजोर है तो सफेद वस्तुओं जैसे दूध, पनीर इत्यादि का सेवन करो। यदि चंद्र शक्तिशाली है और शुभ प्रभाव दे रहा हो तो, चंद्र संबंधी वस्तुओं जैसे पानी, सफेद वस्तुएं, चांदी आदि का दान कभी न करें और छबील भूल कर न लगवायें। यदि चंद्र अशुभ हो सफेद वस्तुओं का दान करो। यदि मंगल शुभ हो, तो उस की शक्ति बढ़ाने हेतु मंगलवार को मंदिर जाओ पर प्रसाद वहां न बांटकर स्वयं सेवन करो। लाल वस्त्र कदापित दान न दें, बल्कि लाल वस्त्र पहनना उत्तम रहेगा। मिठाईयां भी मंगल से संबंधित है, इसलिए वह कभी दान का उपहार स्वरूप किसी को न दें, यदि मंगल नीच का हो और अशुभ हो, तो लाल वस्तुएं, गुड, प्रशाद, मिठाईयां दान दें। किसी का दिया हुआ प्रसाद न खाएं। शनि शुभ हो तो किसी को भूल कर भी मुफ्त शराब न पिलाएं। तेल कभी न दान दें। अपना वाहन किसी को न दें, जूते पुराने होने पर बेच दें, पर किसी को दान स्वरूप न दें। यदि शनि अशुभ है तो वाले वस्त्रों, काले तिलों, लोहा, तेल, शराब इत्यादि का दान दें। शुक्र के तत्व फूल, सीले वस्त्र खुशबू आदि होते हैं। शुभ शुक्र वाले को इनका दान कभी नहीं करना चाहिए और अशुभ वालों को इनको अपने से दूर रखे या समय समय पर दान दें। शुक्र के प्रभावों को बिल क्लिंटन अच्छे से भुगत रहे हैं। जब-जब उन्होंने मोनिका लेविसकी से शुक्र के तत्वों परफ्युमों का दान दें। बुध शुभ हो तो कला कभी दान न दें। गुरू शुभ हो तो पीले वस्त्रों व पुस्तकों का दान कभी न करें। दान देने या लेने में यदि आप अपनी कुंडली में पड़े शुभ व अशुभ ग्रहों की राय लेते हैं। तो आपको हमेशा लाभ प्राप्त होगा। डायना अपने मित्र डोडी से नीलक की अंगूठी करके मौत का ग्रास बन चुकी है। इसी प्रकार से बिल क्लिंटन कपड़ों के उपहार के आदान प्रदान के फलस्वरूप मुसीबतों में फंसे हुए हैं, तो दूसरी और अटल बिहारी वाजपेयी अपने पहने जाने वाली जैकेट के रंग में परिवर्तन करके अनेक कठिनाईयों के चलते हुए भी प्रधानमंत्री के पद पर विराजमान थे। दान की शांति पूजापाठ करने का भी अपना एक अलग विज्ञान है, किन्तु ज्योतिष विज्ञान का मूल विचार यही है कि कमजोर ग्रहों की शक्ति बढ़ाने हेतु शक्तिशाली ग्रहों की शक्ति के सही प्रयोग के लिए और दुष्ट ग्रहों की दुष्टता व नीच ग्रह की नीचता कम करने हेतु पूजा किस इष्ट की की जाए, यह काफी गंभीर विषय है। कुछ लोग एक साथ कई ईष्टों की पूजा करते हैं और आपने देखा होगा कि वे आमतौर से दुखी रहते हैं या मन वांछित फल प्राप्त नहीं कर पाते। कारण साफ है वे जाने-अनजाने में कई तत्वों का प्रयोग करके ग्रहों में असंतुलन पैदा कर बैठते हैं। यदि कुंडली में मंगल से कमजोर दूषित हो रहा हो तो हनुमान की आराधना मंगल की शक्ति को बढ़ा चंद्र को और ज्यादा दूषित कर इस संदर्भ में ज्योतिष विज्ञान का एक आसान तरीका आप अजमां सकते हैं। आपको पूजा-आराधना हेतु कुंडली के पांचवें घर में बैठे ग्रह के इष्ट का चयन करना चाहिए। यदि सूर्य हो तो विष्णु यदि चंद्र हो तो शिवजी शुक्र। लक्ष्मी, मंगल तो हनुमान, शनि को भैरो, बृहस्पति तो ब्रह्मा, बुध तो देवी दुर्गा, केतू तो गणेश और यदि राहू तो सरस्वती देवी। यदि पांचवें घर में कोई ग्रह न हो तो, पांचवें घर की राशि के गुण की पूजा की जा सकती है। इस प्रकार से दान देने या लेने की सही परिपाटी और पूजा पाठ के लिए उपयुक्त इष्ट का चयन कर आप भी समृद्धि, शांति व मन चाही इच्छाओं को प्राप्त कर सकते हैं। -प्रो. रविन्द्र पुरी (प्रैसवार्ता)

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