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Thursday, November 19, 2009

दोस्ती

सुंदरवन में एक बहुत बड़ा पीपल का पेड़ था। उसमें अनेक पक्षी घोंसला बनाकर आनंदपूर्वक रहते थे। पीपल की एक डाल पर एक चिडिय़ा ने भी घोंसला बना रखा था। चिडिय़ा की दोस्ती एक झाऊंमूसे (कांटेदार चूहा) से थी। झाऊंमूसे को देखकर पेड़ पर रहने वाले सभी पक्षी चिडिय़ा से कहते, ये कितना गंदा, कुरुप, कटीला है और धरती पर धीरे-धीरे रेंगता है। तुम कितनी सुंदर और आकाश में उडऩे वाली पक्षी हो, फिर तुम दोनों में कैसी दोस्ती? यह सुनकर चिडिय़ा कहती, दोस्त्ी में ये सब नहीं देखा जाता, बल्कि दोस्ती तो लिद से होती है, वहीं पीपल की खोल में एक काला सांप रहता था। एक दिन सांप खोल से निकलकर बाहर घूमने लगा। पेड़ पर बहुत सारे घोंसले देख सांप की बांछें खिल गईं। वह सोचने लगा, जब यहीं पेड़ पर इतना सारा भोजन उपलब्ध है तो भोजन के लिए दूर-दूर क्यों भटका जाए? अब सांप रोजाना पक्षियों के अंडे और बच्चों को एक-एक करके खाने लगा। अब पीपल के पेड़ पर सुख-शांति की बजाए अशांति और मातम छाने लगा। सभी पक्षियों में भय समा गया। एक दिन चिडिय़ा दाना-चुग्गा लेने खेतों में गई तो वहां चिडिय़ा को उदास देखकर झाऊंमूसा बोला, चिडिय़ा रानी, आज तुम बड़ी उदास दिखाई दे रही हो। क्या बात है? हमें भी बताओ, शायद मैं तुम्हारे कुछ काम आ सकूं। चिडिय़ा ने अपने दोस्त को सारी बात बता दी, जिसे सुनकर झाऊंमूसा ने कहा, चलो बहन, आज मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर चलता हूं, इस संकट से तुम्हें छुटकारा दिलाता हूं। चिडिय़ा झाऊंमूसे को अपने पेड़ के पास ले आई। झाऊंमूसे ने जब पेड़ के खोल में प्रवेश किया तो देखा कि सांप आराम से सो रहा है। वह अपना मुंह अंदर कर सांप पर कूद पड़ा। झाऊंमूसे के नुकीले कांटे जब सांप को चुभे तो वह क्रोधित हो उठा और उस पर फन से वार पर वार करने लगा। झाऊंमूसे के कांटे से सांप लहूलुहान होकर मर गया। इस प्रकार अपनी दोस्ती के लिए अपने प्राणों को संकट में डालकर झाऊंमूसे ने भयंकर सांप को मार पेड़ पर फिर से जीवन की खुशियां लौटा दी। सभी पक्षियों ने झाऊंमूसे का धन्यवाद किया। -मनमोहत (प्रैसवार्ता)

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