आवश्यक नोट:-प्रैसवार्ता का प्रैस मैटर छापते समय लेखक तथा एजेंसी के नाम के अक्तिरिक्त संबंधित समाचार पत्र की एक प्रति निशुल्क बजरिया डाक भिजवानी अनिवार्य है

Tuesday, June 8, 2010

9 साल बिना मान्यता के ही पढ़ाते रहे विज्ञान संकाय

सिरसा(प्रैसवार्ता) डीसी कॉलोनी स्थित एक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान द्वारा बिना मान्यता के ही 10 जमा 1 व 2 के विद्यार्थियों को विज्ञान संकाय में दाखिला देने के कारण इस स्कूल से शिक्षा प्राप्त कर रहे या कर चुके विद्यार्थियों के भविष्य पर प्रश्रचिन्ह लग गया है। अतिरिक्त न्यायिक दंडाधिकारी सुधीर परमार की अदालत ने इस मामले में स्कूल प्रबंधन को दोषी ठहराते हुए इसके खिलाफ आई शिकायत को स्वीकार कर लिया है। तथ्यों के अनुसार चंडीगढ़ स्थित शिक्षा निदेशालय द्वारा भेजे गए पत्र के साथ छेड़छाड़ करके सेंट्रल स्कूल के संचालकों ने आट्र्स, कॉमर्स के साथ लिखे संकाय शब्द को साइंस में बदल दिया। शिक्षा निदेशालय द्वारा हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी के सचिव, जिला शिक्षा अधिकारी सिरसा व सेंट्रल स्कूल को एक ही प्रतियां प्रेषित की गई थी,लेकिन गंतव्य पर पहुंचने वाले इन पत्रों का मूल स्वरूप बदल गया जिसके तहत सेंट्रल स्कूल को आट्र्स, कॉमर्स के साथ-साथ साइंस संकाय की भी मान्यता दर्शा दी गई। मामले के अनुसार, डीसी कॉलोनी स्थित सेंट्रल स्कूल ने 10 जमा 2 कक्षा में आट्र्स व कॉमर्स संकाय की कक्षा संचालित करने के लिए निदेशक सैकेंडरी एजुकेशन हरियाणा से आवेदन किया गया था। निदेशक शिक्षा हरियाणा के आदेश में केवल आट्र्स व कॉमर्स संकाय में ही सशर्त अस्थायी मान्यता देने संबंधी पत्र जारी किया। निदेशक शिक्षा विभाग द्वारा इस पत्र की प्रति सेंट्रल स्कूल के प्रबंधक के अलावा हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड व जिला शिक्षा अधिकारी को भी प्रेषित की गई थी। निदेशक शिक्षा विभाग द्वारा जारी इस पत्र में सेंट्रल स्कूल को आट्र्स व कॉमर्स संकाय में ही कक्षाएं संचालित करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन स्कूल संचालकों ने साइंस संकाय के संचालन से मोटी कमाई जुटाने के लिए इस पत्र से छेड़छाड़ कर साइंस विषय भी जोड़ दिया। बताते हैं, कि स्कूल संचालकों ने साइंस संकाय चलाने के लिए शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों से गठजोड़ किया और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को मूल पत्र से की गई छेड़छाड़ वाली कॉपी प्रदान की। इसी प्रकार स्कूल संचालकों ने हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड को भी शिक्षा निदेशक से हासिल हुए पत्र से कथित छेड़छाड़ वाली कॉपी उपलब्ध करवाई। इस सारे मामले का भंडाफोड़ सूचना अधिकार अधिनियम के कारण हुआ। खैरपुर निवासी कमल किशोर पुत्र हरिसिंह व रवि कुमार पुत्र अशोक कुमार जग्गा ने सूचना अधिकार के माध्यम से शिक्षा निदेशालय से जानकारी मांगी। निदेशक शिक्षा हरियाणा चंडीगढ़ के आदेश दिनांक 24 सितंबर 2001 की प्रति में शिक्षा निदेशक की ओर से केवल आट्र्स व कॉमर्स विषय की ही मान्यता दिए जाने का उल्लेख किया गया। इस मामले में संपूर्ण जानकारी उपलब्ध न होने के कारण याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय में शिकायत की। इस पर फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश सुधीर परमार ने इसे विद्यार्थियों के साथ छलकपट बताते हुएण् शिकायत को जायज ठहराते हुए स्कूल संचालकों को दोषी करार दिया है। इस संबंध में सेंट्रल स्कूल के प्रिंसीपल नरेश पंवार से बातचीत की गई, तो उन्होंने कहा कि यह कोर्ट का अंतरिम आदेश है और वे इसे सेशन कोर्ट में चुनौती देंगे। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी आशा किरण ग्रोवर ने कहा कि न्यायालय के फैसले की अनुपालना की जाएगी। न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले की सूचना जैसे ही अभिभावकों को मिली तो उनमें हड़कंप मच गया। अब वे अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हो उठे हैं।

No comments:

Post a Comment

YOU ARE VISITOR NO.

blog counters

  © Blogger template On The Road by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP