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Wednesday, June 2, 2010

गांव की चौधर के लिए साम-दाम , दंड-भेद का इस्तेमाल

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) 6 जून तथा 12 जून को होने वाले पंचायती चुनावों को लेकर प्रदेश के ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में शादी जैसा माहौल दिखाई देता है। जगह-जगह लगे टैन्ट, कुर्सियां, पोस्टरों तथा होर्डिंग पर हाथ जोड़कर वोट मांगते उम्मीदवार, चाय-पानी ठंडे, लंगर तथा शराब की उचित व्यवस्था देखी जा सकती है। समय के साथ-साथ बदलाव हर वस्तु में आता है और चुनावी रंग में आया बदलाव स्पष्ट छलकता है। वर्तमान चुनाव में आये बदलाव, प्रचार के बदलते तौर तरीके और आधुनिकता के इस युग में हाईटैक हुए चुनावों की सरगर्मियों की सही तस्वीर पर प्रस्तुत है, ''प्रैसवार्ता" की एक चुनावी रिपोर्ट! बढ़ते पारे के साथ जिला परिषद, खंड समिति तथा पंचायती चुनाव में बढ़ी सरगर्मियों में उम्मीदवार घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। राज्य चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित खर्च पर चुनाव लडऩा कठिन है, क्योंकि छोटा समझा जाने वाला पंचायती चुनाव भी काफी महंगा पड़ता है। ग्राम भाग खेड़ा के राजपाल ने ''प्रैसवार्ता" को बताया कि वह जमाना लद गया, जब सैंकड़ों रुपयों में चुनाव हो जाता था। चुनाव सरपंची, पंची का हो या फिर विधायक और सांसद का एक जैसे ही तौर-तरीकों का जमाना आ गया है। दूर-दराज शहरों/ग्रामों में बसे मतदाताओं को अपने वाहनों पर मतदान के लिए लाने पर होने वाले खर्च के अतिरिक्त कई-कई दिन तक आने-जाने वालों की आवभगत (जलपान, ठंडा, दोपहर भोज आदि)तथा सांय ढलते ही शराब का सेवन करवाना उम्मीदवारों की मजबूरी है। कई बार तो वोटों की खरीद-फिरोक्त भी करनी पड़ती है। ग्राम की चौधर पाने के लिए ज्यादातर उम्मीदवार पैसा पानी की तरह बहा रहे है और विजय श्री प्राप्त करने के लिए साम-दाम, दंड-भेद का हर ढंग इस्तेमाल कर रहे हैं।

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