चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) निर्दलीय विधायकों के सहारे बनी हरियाणा की हुड्डा सरकार ने अपने एक मंत्री और दो मुख्य संसदीय सचिवों के परिवारजनों के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज करके इन्हें जोर का झटका धीसे से दिया है-जबकि इससे पूर्व भी हुड्डा की इस झटका तकनीक से पूर्व वित्त मंत्री वीरेन्द्र सिंह, पूर्व मंत्री किरण चौधरी, प्रदेश कांग्रेस प्रधान फूल चंद मुलाना समेत कई कांग्रेसी दिग्गज अभी तक उभर नहीं पाये हैं। विधानसभा चुनाव में अपने विरोधी कांग्रेसी दिग्गजों का सफल आप्रेशन करने वाले भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने सात निर्दलीय विधायकों की मदद से सरकार बनाई थी, जिनमें से चार को मंत्री पद तथा तीन को मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया था। हाल ही में हुए नगर निगम फरीदाबाद के चुनाव में राजस्व राज्य मंत्री शिवचरण शर्मा की पत्नी और बेटे के खिलाफ पुलिस द्वारा विभिन्न-विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करना, मेवात जिले के ग्राम जमालगढ़ में मुख्य संसदीय सचिव जलेब खान के दामाद के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार करना तथा गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा के खिलाफ मुख्य सचिव को मामले पर कार्यवाही का निर्देश संकेत देता है, कि निर्दलीय विधायकों से जरूरत पर समर्थन लिया गया था, मगर अब स्थिति में बदलाव आ चुका है। जिक्र योग है कि 1999 में राज्य के 22 विधायकों ने बंसी लाल का साथ छोड़कर इनैलो की सरकार बनाई थी और वर्ष 2000 में हुए विधानसभा चुनावों में इन्हें अपना प्रत्याशी न बनाते हुए इनैलो सुप्रीमों ओम प्रकाश चौटाला ने यह कहकर इंकार कर दिया था, कि तुम बंसी लाल के होकर भी नहीं हो सके, मैं तुम पर कैसे विश्वास कर लूं। शायद इसी तर्ज पर हुड्डा चल रहे हैं।
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