सिरसा(प्रैसवार्ता) जल संरक्षण के सिलसिले में सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा द्वारा एक मिसाल कायम करते हुए डेरा परिसर में 6 विशाल डिग्गियां बनाई गई हैं, जिनमें से दो डिग्गियों में बरसाती पानी को संरक्षित किया गया है, जबकि शेष चार डिग्गियों को बरसात का इंतजार है। बरसाती पानी के सरंक्षण से जरूरत पडऩे पर उसी पानी से खेती की सिंचाई की जाती है। डेरा सच्चा सौदा में हर छोटी से छोटी वस्तु का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग किया जाता है और पानी के मामले में यह बात पानी की हर बूंद पर लागू होती है। डेरे के शाह सतनाम जी धाम परिसर में और डेरे की खेती की भूमि में, जो भरपूर हरियाली नजर आती है, वह एक शोध का विषय है, क्योंकि करीब दो दशक पूर्व यहां की भूमि जिस स्थिति में थे, अब उसमें काफी बदलाव आ गया, क्योंकि यह भूमि बंजर थी और दूर-दूर तक 20-20 फुट ऊंचे रेतीले पर्यटन स्थल से कम नजर नहीं आता। हर तरह की फसलों से लेकर फलों व फूलों की यहां खेती होती है। डेरा प्रवक्ता डा. पवन इंसा ने ''प्रैसवार्ता" को बताया कि इस क्षेत्र को रेगिस्तान से नखलिस्तान में बदलने के पीछे डेरा प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम सिंह इंसा की अद्वितीय कृषि विशेषज्ञों का होना है। डेरा मुखी स्वयं खेती के कार्यों में बढ़-चढ़ भागीदारी करते हैं। सैकड़ों एकड़ बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया जा चुका है-जबकि डेरा की जल संरक्षण के लिए बनी डिग्गियां एक बड़े कृषि भू-भाग के लिए जीवन देने का काम करती है। बरसाती पानी के संरक्षण के अतिरिक्त डेरा परिसर की रिहायशी कालौनियों से निकलने वाले सीवरेज के बेकार पानी का उपयोग भी सिंचाई के लिए किया जा सके, इसके लिए डेरा परिसर में सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट स्थापित किया जा रहा है। सिंचाई दौरान अधिकतर पानी वाष्पीकृत होकर उड़ जाता है और पौधों की जड़ों तक पहुंच नहीं पाता, इसके लिए ड्रिप ऐरीगेशन सिस्टम लगाया गया है, जो जितनी पौधे को जरूरत होती है, उतना ही पानी उसे प्रदान करते हैं।
Wednesday, June 2, 2010
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