पानीपत(प्रैसवार्ता) हरियाणा के शौकीनों के गले तर करने के लिए ग्रेन वाइन ज्यादा जल्द बाजार में आ रही है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यह गुणवत्ता के हिसाब से तो बेहतर होगी ही साथ ही डिस्टिलरी की आय में भी खासी वृद्धि होगी। पानीपत सहकारी चीनी मिल डिस्टिलरी इसे तैयार कर रहा है। अगले महीने तक इसे मार्केट में उतारा जा रहा है। प्रदेश की एक मात्र पानीपत स्थित सहकारी डिस्टिलरी में अब तक शीरे से मिलने वाले अल्कोहल से वाइन तैयार की जाती थी, लेकिन हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में गन्ने की फसल की कमी के चलते पानीपत की डिस्टिलरी को कुछ समय से शीरा मिलने में परेशानी आ रही थी। शीरे के अभाव में डिस्टिलरी को बाजार से सीधे अल्कोहल की खरीद करनी पड़ रही थी। इससे तैयार होने वाली वाइन महंगी पड़ती थी। लागत को कम करने के लिए पानीपत डिस्टिलरी ने शीरे के बजाए ग्रेन (ज्वार, बाजरा, गेहूं, भूसी, चावल की कनकी) से वाइन तैयार करने की महत्वकांक्षी योजना तैयार की और करीब चार करोड़ रुपये की लागत से डिस्टिलरी परिसर में ग्रेन फरमेंटेशन प्लांट स्थापित कर दिया। फिलहाल प्लांट के अंदर ग्रेन फरमेंटेशन में है और मई माह के अंत तक ग्रेन से बनी वाइन की पहली खेप बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। पानीपत सहकारी डिस्टिलरी के सूत्रों से पता चला है कि चार करोड़ रुपये की लागत से ग्रेन फरमेंटेशन प्लांट स्थापित कराया गया है। फिलहाल प्लांट के अंदर ग्रेन फरमेंटेशन में है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ग्रेन से तैयार होने वाले अल्कोहल से बनी शराब मई माह के अंत तक बाजार में उपलब्ध करवा दी जाएगी। दावा किया कि ग्रेन से तैयार होने वाला अल्कोहल उच्च गुणवत्ता वाला होता है और इससे वाइन की क्वालिटी बेहतर आती है। इसकी संभावित मांग को देखते हुए आबकारी विभाग में कोटा बढ़ाने के लिए आवेदन किया है। इससे डिस्टिलरी की आय में वृद्धि होना तय है।
Tuesday, June 1, 2010
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