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Tuesday, June 1, 2010

किरयाणा की दुकानों पर मिल रहा है-प्रतिबंधित इजैक्श आक्सीटोसन

सिरसा(प्रैसवार्ता) स्वास्थय विभाग की मिलीभगत से जिला सिरसा में प्रतिबंधित आक्सीटोसिन की धडल्ले से बिक्री हो रही है। अधिक दूध प्राप्त करने के लिए दुधारू पशुओं को लगाया जाने वाला यह टीका काफी हानिकारक है, क्योंकि इस टीके की बदौलत पशु का दुध पीने से मनुष्य नपुंसक हो सकता है। बताया जाता है कि प्रतिबंध से पूर्व आक्सीटोसिन का टीका मात्र 20 पैसे में मिलता था मगर अब इनका दाम तीन गुणा हो गया है और खुदरा लेने पर एक रूपये का एक मिलता है। केवल इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह टीका किरयाना की दुकानों पर भी मिल जाता है। एक चिकित्सक ने प्रैसवार्ता को बताया कि जो मनुष्य आक्सीटोसिन लगे हुए पशु के दूध का लगातार सेवन करता है, उसमें महिलाओं जैसे लक्षण प्रतीत होने लग जाते है और पुरूषों का सीना तक बढ़ जाता है। धीरे-धीरे ऐसी अवस्था हो जाती है कि पुरूष अपने पौरूष तक खो बैठता है, लेकिन महिलाओं पर इसका कोई प्रतिकुल प्रभाव नहीं पडता। इस चिकित्सक का यह भी मानना है कि जो बच्चा या गर्भवती महिला आक्सीटोसीन लगे पशु का दूध पीते है, उस बच्चे के विकास की गति धीमी हो जाती है और कभी कभी तो विकास भी पूर्ण रूप में सही नहीं होता। ऐसे बच्चों की दाढी व मूंछें देर से आती हैं। भारतीय पुरूषों के सैक्स पावर में आ रही कमी का मुख्य कारण आक्सीटोसिन लगे पशुओं के दूध का प्रयोग करना है। ग्राम औढा के एक कृषक नत्था सिंह ने 'प्रैसवार्ताÓ को बताया कि लोग अब इस टीके का प्रयोग सब्जी व फल के पौधों के साथ साथ कपास-नरमें के पौधों पर भी करने लगे है, ताकि अधिक से अधिक पैदावार की जा सके। कद्दू या तोरी की बेल पर इस टीके के लगने से एक बार जो बडे आकार में और ज्यादा मात्रा में सब्जी मिल जाती है, लेकिन एक बार फल देने के बाद पर पौधों में हारमोन की कमी आ जाने के कारण अपनी प्रजनन क्षमता खो बैठते है। और दूसरी बार फल देने से पूर्व सुख जाते है। इसी कृषक के अनुसार यहीं स्थिति पशुओं की हो रही है। चिकित्सकों के मुताबिक कपास-नरमें में इसी टीके का प्रयोग होता है, तो उसके बिनौले में इसका प्रभाव कम होने के कारण जब पशु बिनौले खाते है, तो उसका कुछ अंश दूध द्वारा मानव के शरीर में भी चला जाता है। एक अन्य चिकित्सक के अनुसार हयूमन आक्सीटोसिन का भी टीका आता है, जिसका उपयोग गर्भवती महिला को बच्चा जल्दी पैदा करने के लिए दिया जाता है। इसी टीके का एक दो बार प्रयोग तो घातक नहीं, मगर ज्यादा प्रयोग क्षतिदायक है। पशु चिकित्सकों का मानना है कि आक्सीटोसिन का प्रयोग पशुओं की प्रजनन क्षमता बढाने के लिए किया जाता है, लेकिन बिना कारण व बिना जरूरत या दूध निकालने के लिए लगाया गया, यह टीका पशु को समय से पूर्व मौत भी दे सकता है, या फिर पशुओं की प्रजनन और गर्भधारण की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

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