गुरदासपुर(प्रैसवार्ता) प्रवासी पक्षियों के आवास जिला गुरदासपुर में जोहड़ के पक्षी धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं। यदि इनकी तरफ ध्यान न दिया गय, तो जोहड़ समाप्त होने के साथ-साथ क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों की चहक सुनाई नहीं देगी। अपनी आय बढ़ाने के लिए ग्राम पंचायतें और किसान जोहड़ों का नामोनिशां समाप्त करने के लिए प्रयासरत् हैं, जबकि राज्य का वन-जीव विभाग इन प्रवासी पक्षियों को बचाने के लिए चुप्पी साधे हुए है। ''प्रैसवार्ता" द्वारा एकत्रित की गई जानकारी के अनुसार जिला गुरदासपुर में चार जोहड़ हैं, जिनमें कस्बा मगरमूदीयां का जोहड़ सबसे बड़ा है, जिसमें बहिरामपुर, ग्राम डाला, मगरमूदीयां की सैकड़ों भूमि शामिल है। इस जोहड़ की ऐतिहासिक विशेषता यह है कि यह महाराजा रणजीत सिंह की पसंदीदा शिकार गाह रहा है। इतिहास के पन्ने पलटने से मिली जानकारी अनुसार महाराज रणजीत सिंह, जब भी अपनी गर्मियां बिताने के लिए दीनानगर आते थे, तो वह प्रवासी पक्षियों का शिकार करने यहां आते थे। उन्होंने जोहड़ में शिकार करने के लिए एक चबूतरा भी बनवाया था। इसके अतिरिक्त तीन अन्य जोहड़ काहनुवान जोहड, नौशहरा बेट का क्षेत्रीय जोहड़ और दोरागला खंउ से लगते जोहड़ का क्षेत्र सम्मिलित है। पिदले कुछ वर्षों से यह क्षेत्र निरंतर कम हो रहा है, जिसका कारण मछली पालकों को जोहड़ ठेके पर देना है। इसके अतिरिक्त ऐसी उजह की पैदावार, जिस पर पानी की खपत ज्यादा आती है, के चलते क्षेत्र में जोहड़ निरंतर कम हो रहे हैं। जिला गुरदासपुर के पूर्व उपायुक्त कुलबीर सिंह ने मगर मूंदिया की सुन्दरता बढ़ाने के लिए एक योजना राज्य सरकार को भेजी थी, जिस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। नियमानुसार किसी भी योजना को लागू करने से पूर्व जमीन अधिग्रहण अनिवार्य है, जोकि अभी सरकार ने नहीं किया, जिसके चलते योजना ठंडे बस्ते में है। इस क्षेत्र में दलीप सिंह, हरजिन्द्र सिंह तथा करनैल सिंह ने ''प्रैसवार्ता" को बताया कि एक दशक पूर्व तक सारस की, जो प्रजातियां यहां देखी जाती थी, अब उन्हें कभी नहीं देखा गया। इसके साथ ही गुरगाबी अैर दूसरे पक्षियों का भी इस क्षेत्र में आना कम हो गया है। काहनूवॉन क्षेत्र के जोहड़ों में ड्रेन आऊट की सहायता से इस क्षेत्र की सैकड़ों एकड़ भूमि कृषि योग्य बन सकती है। वन जीव सुरक्षा भाव की इन प्रवासी पक्षियों के प्रति दिलचस्पी न होने के कारण ऐसी प्रवासी पक्षियों का शिकार भी होता है। अपने यौवन पर गर्मी के चलते प्रवासी पक्षी इस क्षेत्र में नहीं दिखाई देते, क्योंकि विशेषज्ञों के अनुसार प्रवासी पक्षी उन क्षेत्रों में चले जाते हैं, जहां सरदी होती है और जब भी इस क्षेत्र में सरदी बढ़ेगी, उसी समय प्रवासी पक्षी भी दिखाई देगें।
Tuesday, June 1, 2010
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