चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) अब हथियारों का आल इंडिया लाइसेंस नहीं मिलेगा। केवल तीन राज्यों का लाइसेंस दिया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ समेत सभी राज्यों को निर्देश भेजकर कहा है कि हथियारों के लाइसेंस उदारता से न दिया जाएं। निर्देशों के अनुसार आल इंडिया लाइसेंस अब जिस राज्य का निवासी लेना चाहता है, उसे आल इंडिया का लाइसेंस न देकर दो पड़ोसी राज्यों (यानी तीन राज्यों) का ही मिलेगा। आल इंडिया लाइसेंस केवल पांच कैटेगरी को ही
मिल सकेगा। केंद्र ने ये कैटेगरी भी बता दी हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री, सांसद, सेना और पैरा मिलिट्री फोर्स के जवान और अफसर, आल इंडिया सर्विस
के अफसर, देश में किसी भी हिस्से में तैनात जिम्मेदार अफसर और खिलाड़ी शामिल हैं। यह लाइसेंस भी सिर्फ तीन साल के लिए दिया जाएगा। तीन साल के बाद राज्य सरकार पुनर्विचार करेगी। कोई भी लाइसेंस बिना पुलिस वेरिफिकेशन के जारी नहीं किया जाएगा। जिलाधीश की संस्तुति होनी जरूरी है। नान प्रतिबंधित बोर वाले हथियारों के लाइसेंस राज्य सरकार जारी करेंंगी, जबकि प्रतिबंधित बोर वाले हथियारों के लाइसेंस केंद्र सरकार जारी करेगी, लेकिन राज्य सरकार, जिलाधीश की संस्तुति और पुलिस वेरिफिकेशन के बाद केंद्र को संस्तुति भेजेगी। प्रतिबंधित बोर वाले हथियारों में सामान्यतया एके 47, एसएलआर या अन्य बड़े हथियार आते हैं, जबकि नान प्रतिबंधित बोर वाले हथियारों की श्रेणी में छोटे हथियार आते हैं। केंद्र ने साफ-साफ कहा है, कि प्रतिबंधित बोर वाले हथियार का लाइसेंस मांगने वालों की संस्तुति केवल कुछ ही लोगों के लिए की जाएगी। हर व्यक्ति को यह लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। अगर किसी व्यक्ति की जान को आतंकियों से खतरा है, कोई व्यक्ति इस प्रकार की डयूटी की जिम्मेदारी संभाल रहा है, जो आतंकियों की नजर में एक लक्ष्य हो सकता है, वे सांसद और विधाय और प्राइवेट व्यक्ति, जो आतंकी गतिविधियों की रोकथाम में लगे हैं और वे व्यक्ति या उनके परिजन, जो कभी आतंकवादियों के निशाने पर हैं, इस श्रेणी में शामिल किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा सरकार के उच्चाधिकारियों ने पुष्टि करते हुए कहा कि केंद्र के इन निर्देशों को फौरन लागू कर दिया है।


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